Bhopal Fire : मासूमों की किलकारियों की जगह गूंजी मौत की चीखें, कमला नेहरू अस्पताल ने 15 साल से नहीं ली थी फायर NOC

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Bhopal Hamidia Hospital Fire News : भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल की बिल्डिंग में लगी भीषण आग में 4 मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन है? जिस अस्पताल के पीडियाट्रिक वॉर्ड में बच्चों की जान को बचाने की जिम्मेदारी होती है उसी में लगी आग ने उन्हें मौत के आगोश में ले लिया. वो मासूम बच्चे जिनकी किलकारियों से घर में खुशियां आने वालीं थीं अब उन्हीं के शव ले जाने को परिवारवाले विवश हो गए.

आंखों में आंसू, चेहरे पर मातम. गुस्सा और चीखें. हो भी क्यों ना, जिन मासूमों के लिए एक मां ने 9 महीने तक उन्हें दुनिया में लाने का इंतजार किया. वो दर्द सहा. आने की खुशी में अब घर लौटने की तैयारी थी लेकिन अचानक लापरवाही से उनकी जान चली जाए तो उस दर्द को समझना और सहना आसान नहीं. भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर में संचालित कमला नेहरू अस्पताल पीडियाट्रिक वॉर्ड में सोमवार रात को लगी आग का कारण शॉर्ट-सर्किट बताया जा रहा है.

NICU में लगी थी आग

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Four infants dead in fire at Bhopal Kamla Nehru hospital : कहा जा रहा है कि आग तीसरी मंजिल पर स्थित नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में लगी. कुछ देर बाद ही उस फ्लोर पर धुंआ ही धुंआ हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.

ये दावा किया जा रहा है कि आग की सूचना पाकर वहां पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने 15 मिनट में आग पर काबू पा लिया. जहां ये हादसा हुआ वहां के दो वार्डों में 40 बच्चे भर्ती थे. इन 40 में से 36 बच्चों को तो किसी तरह शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन चार बच्चों को नहीं बचाया जा सका. शुरुआती जांच में ये भी सामने आया है कि हमीदिया अस्पताल ने फायर NOC ली थी, लेकिन कमला नेहरू अस्पताल ने 15 साल से NOC लेना भी जरूरी नहीं समझा.

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जानलेवा लापरवाही की 2 बड़ी वजहें

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21 साल पुरानी बिल्डिंग में कोई एग्जिट गेट नहीं. जबकि फायर नॉर्म्स कहते हैं कि एग्जिट गेट एक जरूर होना चाहिए. इमरजेंसी के वक्त उसी गेट के जरिए फंसे लोगों को आसानी से बाहर निकाला जा सके. ये गेट बाहर साइड में होना चाहिए जिससे आग लगने पर सेफ तरीके से निकाला जाए, लेकिन इस बिल्डिंग में ऐसा नहीं था.

जिस एनआईसीयू वॉर्ड में आग लगी वहां पर फायर एस्टिंग्युसर भी नाम मात्र के थे. 21 साल पुरानी बिल्डिंग में फायर हाइड्रेड लगे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि काफी लंबे समय से मरम्मत नहीं होने से बंद पड़े हैं. यहीं वजह है कि आग तेजी से फैली और चारों तरफ धुंआ-धुंआ ही फैल गया.

8 मंजिला बिल्डिंग में फायर नियमों की अनदेखी

भोपाल के हमीदिया परिसर में आग लगने के बाद वहां मौके पर पहुंचे फायर विभाग अधिकारियों को चौंकाने वाली जानकारी मिली. बताया जा रहा है कि अस्पताल की बिल्डिंग बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर आठ मंजिला है. कमला नेहरू अस्पताल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे.

फायरकर्मियों ने जब अस्पताल में लगे ऑटोमेटिक हाईड्रेंट को चेक किया तो वो भी खराब मिले. इनके अनुसार, अस्पताल में हर फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्विशर रखे हुए हैं लेकिन वे काम नहीं कर रहे थे. फायर ऑफिसर रामेश्वर नील ने मीडिया को बयान जारी किया है कि हमीदिया अस्पताल ने फायर NOC ली थी, लेकिन कमला नेहरू अस्पताल ने 15 साल से NOC लेना भी जरूरी नहीं समझा और बिल्डिंग के निर्माण के समय लगे सिस्टम को चालू भी नहीं किया गया था.

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