'पेरिस' से 'पाताललोक' कैसे बना अफगानिस्तान?

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'पेरिस' से 'पाताललोक' कैसे बना अफगानिस्तान?
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अफगानिस्तान पर अब तालिबान की हुकूमत है, पूरी दुनिया परेशान है वहां के हालात को लेकर, खासकर महिलाओं की स्थिति को लेकर। क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबानियों ने अपना कब्जा जमाकर मुल्क में शरिया कानून लागू करने की बात कही है। जिसकी वजह से वहां के लोग खासकर महिलाएं परेशान है। महिलाओं में ज्यादा डर इस बात का है कि वो अब पहले की तरह आजाद ज़िंदगी नहीं जी पाएंगी। घरों में बंद होकर और बुर्का पहन कर अपनी सारी जिदंगी एक पिंजरे में बंद पंछी की तरह गुजारनी होगी, जिस वजह से सिर्फ अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश इस पर सवाल उठा रहे हैं। तो सवाल ये है कि..

पहले कैसी थी अफगानिस्तान में महिलाओं की ज़िंदगी?

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अफगानिस्तान हमेशा से ऐसा नहीं था। 1970 से पहले ये देश भी बाकी देशों की तरह फैशन, रोजगार और करियर के मामले में काफी आगे था। अमीर अमानुल्लाह खान के शासन के दौरान साल 1978 तक अफगानिस्तान में महिलाओं को ये आजादी थी कि वो चाहें तो पर्दा करें, चाहे तो न करें और अपने मन मुताबिक कपड़ा पहन सकती हैं। उस वक्त मानुल्लाह खान कहते थे कि 'धर्म में ये जरूरी नहीं है कि औरतें अपने हाथ, पैर और चेहरा ढंकें'।

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सरकारी दफ्तरों में थी महिलाओं की भागीदारी

एक रिपोर्ट्स का दावा है कि 1919 में अफगान महिलाओं को वोट देने का अधिकार था। 1940 से 1950 के बीच अफगान महिलाएं नर्स, डॉक्टर और टीचर्स भी थी। साल 1959 से 1965 आते-आते अफगानी महिलाएं सिविल सर्विसेज में, स्पोर्ट्स में खुलकर हिस्सा लेती थी। 1923 में औरतों को अपनी पसंद से शादी करने का भी कानूनी अधिकार था। इसके बाद 1965 में दो महिला सीनेटर चुन गई थीं और 1966 से 71 में अफगानी अदालतों में 14 महिलाएं जज पहुंच गई थीं और फैशन की चर्चा होने लगी थी।

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स्टाइल और फैशन में भी आगे थी अफगानी महिलाएं

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वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, 60 के दशक में 8% अफगान महिलाएं बाहर जाकर स्वतंत्र होकर नौकरी कर खुद पैसे कमाती थीं, उनकी स्टाइल और फैशन हमेशा चर्चा में रहता था। रिपोर्ट के अनुसार, 1971 में अफगान महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा के लिए स्वतंत्र थी।

महिलाएं एयर हॉस्टेस की लेती थी ट्रेनिंग

1970 के शुरुआती महीनों में कुछ अफगानी महिलाएं एयर हॉस्टेस बनने की ट्रेनिंग भी लिया करती थी जिसमें अफगानी महिलाओं का एलिगेंट फैशन दिखता था। इतना ही नहीं 1960 के दशक में अफगानी महिलाएं खुलकर बाजार जाती थी और शॉपिंग करती थीं।

1978 के दौर में हुआ महिलाओं की आजादी का अंत

लेकिन फिर 1978 के दौर में महिलाओं की इन खुशहाल भरी आजादी की जिंदगी का अंत हो गया। इस दौरान अमेरिका और सोवियत यूनियन के सपोर्ट से अफगान क्रांति हो गई, तो दूसरी ओर अमेरिका ने गुप्त ऑपरेशन शुरू किया। इसके बाद अफगानिस्तान में कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाले मुजाहिदीन पैदा हो गए और इस्लामिक कानून को मनवाने का और महिलाओं की आजादी को खत्म करने का शासन शुरू हो गया।

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