अमृतपाल का सहयोगी कलसी NSA के तहत गिरफ्तार, देश के खिलाफ युद्ध की तैयारी में था : पंजाब सरकार

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अमृतपाल का सहयोगी कलसी NSA के तहत गिरफ्तार, देश के खिलाफ युद्ध की तैयारी में था : पंजाब सरकार
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Punjab News : पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय को मंगलवार को बताया कि रासुका (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया, अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) का निकट सहयोगी दलजीत सिंह कलसी पृथक खालिस्तान के लिए कट्टर अलगाववादी विचारधारा के प्रसार में मदद कर रहा था और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहा था। कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया है।

सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि सरबजीत उर्फ दलजीत सिंह कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है और उसे अवैध रूप से रखने का आरोप गलत और असत्य है। सरकार ने कहा कि उसे कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके हिरासत में लिया गया है। अदालत कलसी की पत्नी एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कलसी को पंजाब पुलिस ने अवैध रूप से कैद कर रखा है और बिना वैध कारण और उचित प्रक्रिया के असम में डिब्रूगढ़ की केंद्रीय जेल भेज दिया है।

अमृतपाल सिंह मामले में एनएसए के तहत अन्य बंदियों - गुरमीत सिंह, कुलवंत सिंह, वरिंदर सिंह फौजी, भगवंत सिंह (उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके) और बसंत सिंह- के रिश्तेदारों ने भी नजरबंदी के आदेशों को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की है। जालंधर में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके सहयोगियों पर 18 मार्च को शुरू हुई पुलिस कार्रवाई के दौरान इन लोगों को हिरासत में लिया गया था। कलसी की पत्नी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिमरनजीत सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार ने मंगलवार को उनकी याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया, जबकि केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। उन्होंने कहा कि सुनवाई की अगली तिथि 24 अप्रैल निर्धारित की गयी है।

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पंजाब सरकार की ओर से अमृतसर (ग्रामीण) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सतिंदर सिंह ने हलफनामे के रूप में जवाब दायर किया है। राज्य सरकार ने अदालत में कहा है कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद दलजीत सिंह कलसी को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है और वह वर्तमान में केंद्रीय जेल असम में बंद है। अदालत को बताया गया कि कलसी ने हिरासत के आदेश के खिलाफ 24 मार्च को एक अभ्यावेदन दिया था और इसे राज्य सरकार में सक्षम प्राधिकारी द्वारा खारिज कर दिया गया था। अदालत को बताया गया कि प्राधिकारी ने इसे आधारहीन पाया। हलफनामे में कहा गया है कि मामले को एनएसए की धारा 10 के तहत एक अप्रैल को सलाहकार बोर्ड को भेजा गया है और अब यह बोर्ड के विचाराधीन है।

 

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