महंगाई की मार : काबुल में 3000 रुपये में 1 बोतल पानी, चावल की प्लेट 7500 में, हर तीसरा अफ़ग़ानी भूखा

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अफ़ग़ानिस्तान में अब तालिबान के साथ महंगाई का ख़ौफ़ भी हो चुका है. महंगाई ऐसी कि बिना कुछ खरीदे ही इंसान भूखे-प्यासे दम तोड़ देगा. दरअसल, पिछले 10 दिनों से जिस तरह से हालात हैं उस वजह से पानी की एक बोतल की कीमत 40 डॉलर हो चुकी है.

यानी करीब 3 हजार रुपये. वहीं, खाने के लिए अगर प्लेट चावल चाहिए तो इसके लिए लोगों को 100 डॉलर देने पड़ रहे हैं. यानी करीब 7500 रुपये में खाने को एक प्लेट चावल मिल रहा है.

ये बेतहाशा कीमत उस वक़्त में बढ़ी है जब लोगों के पास नौकरी नहीं है. कमाई का कोई जरिया नहीं है. ऐसे में लोग आखिर कितने दिनों तक इतना खर्च कर सकेंगे. खासतौर पर ये महंगाई काबुल एयरपोर्ट के आसपास के एरिया में है. क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान के कुल 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट में एकमात्र काबुल ही एक ऐसा एयरपोर्ट है जो ओपन है और यहां अमेरिकी फोर्स तैनात है.

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सिर्फ डॉलर से ही मिल रहा खाने-पीने का सामान

इस समय अफ़ग़ानिस्तान में जिस तरह से हालात है ऐसे में कोई भी दुकानदार अफ़ग़ानी करंसी नहीं ले रहा है. इसके बजाय वो डॉलर ही ले रहा है. वजह ये है कि अगर दुकानदार को भी कहीं भागना पड़ा तो उसे डॉलर ही काम आएगा. इसलिए उन लोगों को भी परेशानी हो रही है जिनके पास डॉलर नहीं हैं.

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यहां आपको बता दें कि अफगानिस्तान की मुद्रा को अफगान-अफगानी (AFN) कहा जाता है. मौजूदा समय में 1 अमेरिकी डॉलर की कीमत 86 अफगान अफगानी के बराबर है. वहीं, अगर इंडिया की बात करें तो 1 भारतीय रुपये की कीमत 1.16 AFN मुद्रा है. यानी भारत के 100 रुपये आपके पास हैं तो उसकी अफ़ग़ान में कीमत 116 रुपये मानी जाएगी.

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हर तीसरा अफ़ग़ानी भूखा : वर्ल्ड फूड प्रोग्राम

वर्तमान समय में हालात ये है कि हर तीसरा अफ़ग़ानी भूखा है. ये दावा हाल में आई वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट में सामने आया है. इसके मुताबिक, हर तीन में से एक अफगानी खाली पेट सोने के मजबूर है. इस तरह अफ़ग़ानिस्तान की आबादी करीब 3.8 करोड़ है. यानी ये कह सकते हैं कि करीब 1.4 करोड़ लोग भूखे रह रहे हैं.

यही वजह है कि इस समय अफ़ग़ानिस्तान में 20 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि फसलें नहीं हैं. बारिश नहीं हो रही है. ऐसे में लोगों के पास पीने का पानी नहीं है. और लोग गरीबी में जी रहे हैं. इसे देखते हुए पूरे विश्व स्तर पर अफ़ग़ान को बड़े स्तर पर मदद की जरूरत है.

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