हमें हथियार दो, हम दिखा सकते हैं तालिबान को दिन में तारे!

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हमें हथियार दो, हम दिखा सकते हैं तालिबान को दिन में तारे!
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अहमद मसूद ने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा है और तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए देशों से मदद मांगी है। मसूद के मुताबिक अफगान फौज के कई सारे सैनिक पंजशीर में इक्टठा हो रहे हैं वो अपने कमांडरों से नाराज हैं क्योंकि उन्होंने बिना लड़ाई किए तालिबान के सामने घुटने टेक दिए।

इसके अलावा कई पूर्व सैनिक भी उनके साथ हैं। मसूद के मुताबिक उनके पास काफी मात्रा में हथियार जमा हैं। हालांकि उन्हें लगता है लंबी चलने वाली इस लड़ाई में उन्हें और हथियारों की जरुरत पड़ेगी। उन्होंने पश्चिमी देशों से मांग की है वो जल्द से जल्द पंजशीर में हथियारों की सप्लाई पहुंचाएं।

मसूद ने इस बात का खतरा भी बताया है कि तालिबान के कट्टरपंथी शासन में एक बार फिर अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दुनिया भर के देशों में आतंकी हमले करने के लिए किया जाएगा।

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उन्हें फिक्र है कि तालिबान की सरकार अफगानियों के भविष्य को रोशन करने की बजाय उन्हें अंधेरे की तरफ ढकेल देगी। ऐसे में वो और उनके मुजाहिदीन हर हाल में पंजशीर की सुरक्षा करेंगे। बस वो ये चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द हथियारों की सप्लाई उनके पास तक पहुंच जाए।

शहर-शहर हो रहा है तालिबान का विरोध

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अफगानिस्तान के अलग-अलग शहरों में लोग तालिबानी शासन का विरोध कर रहे हैं। कई शहरों से तस्वीरें सामने आई हैं जहां पर लोगों ने तालिबान का झंडा हटाकर वहां पर अफगानी झंडा दोबारा लगाया है। कई लोग अपनी कार में अफगानी झंडा लगाकर चल रहे थे जिन्हें तालिबान के लोगों ने गिरफ्तार कर लिया।

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पिछली बार के तालिबान शासन में इस तरह का विरोध करने वालों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया जाता था लेकिन बीस साल बाद दुनिया और अफगानिस्तान में बहुत कुछ बदल चुका है।

सूचना क्रांति की इस दुनिया में ज्यादातर लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन है। अगर तालिबान सार्वजनिक सजा देने की कोई हरकत करता है तो उसकी तस्वीरें तुरंत वायरल हो जाएंगी और ये तालिबान के लिए मुसीबत साबित होंगी।

इस बार अफगानिस्तान पर राज करने आए तालिबान अपनी छवि को लेकर काफी सहज हैं। वो नहीं चाहते कि दुनिया भर में उनकी खराब छवि जाए। अगर दुनिया भर में उनकी छवि खराब होती है तो बाकी देश तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देगी ऐसे मे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ही चौपट हो जाएगी।

अगर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट होती है तो इसका सीधा असर अफगानिस्तान के लोगों पर पड़ेगा। पहले से ही गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे अफगानिस्तान के लोगों के सामने हालात और ज्यादा खराब होते हैं तो वो तालिबान के खिलाफ विद्रोह कर देंगे जिसको दबाना किसी के बस की बात नहीं है।

यही वजह है कि तालिबान चाहते हैं कि अपनी छवि को चमकाकर वो दूसरे देशों को विश्वास दिला सकें कि वो नए तालिबान है और उनकी मानसिक्ता संक्रीण नहीं रही बलकि वो बेहद खुले विचारों वाले तालिबान है जो मुल्क और लोगों का विकास करना चाहते हैं।

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