स्पीड ब्रेकर ने कैसे सुलझाई क़त्ल की वारदात जिसे पुलिस हादसा मान रही थी वो निकली हत्या

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स्पीड ब्रेकर ने कैसे सुलझाई क़त्ल की वारदातजिसे पुलिस हादसा मान रही थी वो निकली हत्या
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बेंगलुरु के वाइटफील्ड इलाके की पुलिस को कॉल मिली थी कि रोड एक्सीडेंट में एक शख्स की मौत हो गई है । तारीख थी 21 जनवरी 2021 वक्त था शाम के पौने आठ बजे का...मरने वाले की उम्र 58 साल थी और उसका नाम था सुब्बारप्पा ।

सुब्बारप्पा अपनी मोपेड पर सवार होकर कहीं जा रहा था उसकी मोपेड पर सब्जी की टोकरी लदी हुई थी। पुलिस को ऐसा लग रहा था कि पेशे से किसान सुब्बारप्पा सब्जी बेचने के लिए जा रहा था और वो रास्ते में हादसे का शिकार हो गया।

मामला साफ सुथरा हादसे का लग रहा था। सुब्बारप्पा के बड़े बेटे जी एस देवराज ने अज्ञात वाहन के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस ने भी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह साफ थी कुछ भी ऐसा नहीं था जिस पर शक किया जा सके। हालांकि कुछ लोग बेंगलुरु पुलिस के पास आए जो सुब्बारप्पा के जानकार थे। उन्हें न जाने क्यों सुब्बारप्पा की मौत के पीछे कोई साजिश नज़र आ रही थी।

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जब इस तरह का अंदेशा जताया गया तो पुलिस के आला अधिकारी ने भी एक बार मौका मुआयना करना तय किया। अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने बड़े ध्यान से उस जगह को देखना शुरु किया जहां पर एक्सीडेंट हुआ था।

पुलिस ने नोटिस किया कि सुब्बारप्पा का एक्सीडेंट जिस जगह पर हुआ है उससे सौ मीटर पहले एक स्पीड ब्रेकर था। ऐसे में ये बेहद मुश्किल था कि इतनी तेज रफ्तार से मोपेड को टक्कर लगे कि उसको चलाने वाले शख्स की मौत हो जाए। पुलिस के मुताबिक सुब्बारप्पा की मोपेड पर टक्कर इतनी तेजी से मारी गई थी कि उसे अच्छा-खासा नुकसान हुआ था।

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पुलिस अब उस वाहन का पता लगाने में जुट गई जो एक्सीडेंट में शामिल था। पुलिस ने करीब उस रास्ते के 80 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और एक कार की पहचान करी। कार के बारे में पुलिस को पता चला कि ये कार किसी ट्रैवल एजेंसी की है और ये एक self driven car है यानि किराये पर लेने वाला शख्स उस कार को खुद चला सकता है।

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पुलिस ने जब उस एजेंसी में पूछताछ की तो पता चला कि इस कार को 17 जनवरी 2021 को किराये पर लिया गया था। इस कार को किराये लेने वाले शख्स का नाम अनिल था। पुलिस को एजेंसी से अनिल का वो मोबाइल नंबर भी मिला जिससे कार बुक की गई थी।

पुलिस ने उस मोबाइल पर कॉल करने की कोशिश की तो वो बंद था। उसकी डिटेल निकाली गई तो पता चला कि इस मोबाइल को 10 जनवरी 2021 को ही एक्टिव किया गया था और 21 जनवरी 2021 को रात पौने आठ के बाद बंद कर दिया गया। 21 जनवरी को ही सुब्बारप्पा का एक्सीडेंट हुआ था और मोबाइल का बंद होने का वक्त भी एक्सीडेंट के चंद मिनट बाद का था। मोबाइल फोन से बहुत कम कॉल किए गए थे ।

उनमें से एक नंबर पर जब पुलिस की नज़र पड़ी तो वो खुद हैरान रह गई। ये नंबर किसी और का नहीं बलकि हादसे में मरने वाले सुब्बारप्पा का था। सवाल ये था कि आखिर सुब्बारप्पा को टक्कर मारने वाला अनिल उसे फोन क्यों करेगा । मामला पेचीदा होता जा रहा था और पुलिस अनिल की तलाश में लगी हुई थी। अनिल तक पहुंचने में पुलिस को ज्यादा वक्त नहीं लगा।

अनिल पुलिस की गिरफ़्त में था और तोते की तरह बोल रहा था। अनिल ने पुलिस को बताया कि उसने छह लाख रुपये में सुब्बारप्पा के क़त्ल की सुपारी ली थी। सुपारी देने वाले का नाम तो और भी चौंकाने वाला था। सुब्बारप्पा की सुपारी किसी और ने नहीं बलकि उसकी पत्नी और दो बेटों ने दी थी।

अनिल ने पुलिस को बताया कि सुब्बारप्पा के संबंध अपनी पत्नी और दोनों बेटों से ठीक नहीं थे। सुब्बारप्पा एक एकड़ जमीन का मालिक था जिस पर उसकी पत्नी और बेटों की नजर थी। कुछ साल पहले नया बिजनेस शुरु करने के लिए लोन लेने के लिए उस जमीन के कागज बेटों ने सुब्बारप्पा से लिए थे। हालांकि उन्होंने बड़ी चालाकी से उस जमीन को अपने नाम पर चढ़वा लिया। जब इस बात की खबर सुब्बारप्पा को लगी तो उसने अपनी पत्नी और दोनों बेटों के खिलाफ अदालत में मामला फाइल कर दिया।

इस बात से वो सभी सुब्बारप्पा से बेहद चिढ़ गए और उन्होंने सुब्बारप्पा के कत्ल के लिए एक वकील से सलाह मशवरा किया। वकील ने उन्हें बताया कि अगर सुब्बारप्पा की मौत एक्सीडेंट में होती है तो किसी को शक नहीं होगा और मामला रफादफा हो जाएगा।

इसके बाद सुब्बारप्पा के बड़े बेटे ने अपने दोस्त अनिल कुमार से संपर्क किया जो पेशे से ड्राइवर था। सुपारी की कीमत छह लाख रुपये तय हुई जिसमें चार लाख से ज्यादा की रकम दी जा चुकी थी।

वारदात वाले दिन अनिल ने सुब्बारप्पा को फोन किया और उसकी जमीन पर उगी हुई सब्जी खरीदने की बात कही । जानबूझकर उसे अंधेरा होने के बाद सब्जी लेकर बेंगलुरु के एक इलाके में बुलाया गया। अनिल अपने दो साथियों के साथ सुब्बारप्पा का कार में पीछा कर रहा था।

जहां उसने देखा कि कोई भी मौजूद नहीं है वहीं उसने सुब्बारप्पा की मोपेड को जोरदार टक्कर मारी । टक्कर के बाद सुब्बारप्पा की लाश और मोपेड को उस जगह पर डाला गया जहां से पुलिस को एक्सीडेंट की खबर मिली थी। टक्कर मारने के फौरन बाद अनिल ने अपना फोन तोड़ दिया और फिर एक राहगीर से उसका फोन लेने के बाद सुब्बारप्पा की पत्नी को उसकी मौत के बारे में बताया।

टक्कर मारने के बाद सुब्बारप्पा अपने साथी नागेश के गांव चला गया । वहां जाकर इन्होंने कार में डेंटिंग-पेंटिंग की ताकि किसी को पता न चल सके। पुलिस ने इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है । इस पूरी साजिश को बेहद शातिराना तरीके से अंजाम दिया गया था लेकिन महज एक ब्रेकर ने साजिश करने वालों के चेहरों को बेनकाब कर दिया।

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