पति के क़ातिल से बदला लेना था इसलिए पति के क़ातिल से ही शादी कर ली

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पति के क़ातिल से बदला लेना था इसलिएपति के क़ातिल से ही शादी कर ली
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इस कहानी की शुरुआत होती है अफगानिस्तान से। अफगानिस्तान का रहने वाला एक शख्स वहां पर मची उथल पुथल को छोड़कर काम करने के लिए पाकिस्तान आ गया। नाम था अफगान शाह। अफगान शाह जब अफगानिस्तान से पाकिस्तान आया तो उसने अफगानिस्तान बॉर्डर के शहर बाजौर में छोटा मोटा काम धंधा करना शुरु कर दिया। उसे बाजौर में रहते हुए काफी वक़्त बीत चुका था। लोकल लोगों से जान-पहचान भी हो गई थी। यहीं के एक परिवार की बेटी यासमीन से अफगान शाह की शादी हो गई।

दोनों की ज़िंदगी बेहद सुकून से कट रही थी। इसी बीच अफगान शाह के एक बेटी हुई।बेटी होने पर अफगान शाह को लगा कि अब खर्चे बढ़ रहे हैं तो उसे भी अच्छी नौकरी तलाशनी चाहिए ताकि बेटी के अच्छे भविष्य़ के लिए पैसे जोड़े जाएं। बस यही सोचकर अफगान शाह नौकरी ढूंढने के लिए बाजौर से पेशावर आ गया। पेशावर में उसने छोटा मोटा काम धंधा शुरु कर दिया और जल्द ही उसका धंधा चल भी निकला। हालांकि पाकिस्तान में रह रहे अफगानी शरणार्थियों के लिए जिंदगी आसान नहीं है। शिनाख्ती कार्ड के नाम पर पाकिस्तान की पुलिस और दूसरी एजेंसियां पाकिस्तान में रह रहे अफगानियों को बहुत परेशान करते हैं।

वो बैंक में अपना खाता नहीं खोल सकते क्योंकि उनके पास आईडी कार्ड नहीं होता। आईडी कार्ड बनाने के लिए पाकिस्तान की एजेंसी नादरा के मुलाजिम मोटा पैसा वसूलते हैं। ऐसे में बेहद ज्यादा गरीब लोग इतना मोटा पैसा नहीं दे पाते। ऐसे में वो पाकिस्तानी नागरिकों के बैंक खातों में ये पैसा जमा करा देते हैं ।कुछ ऐसा ही मसला अफगान शाह के साथ भी था। बाजौर में अफगान शाह की मुलाकात गुलिस्तान खान से हुई। दोनों अच्छे दोस्त बन गए अफगान शाह जो भी पैसे कमाता था वो गुलिस्तान को रखने के लिए दे देता था। गुलिस्तान भी वो पैसे रख लेता और जरुरत पड़ने पर लेने के लिए कहता।

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वक़्त गुजरता रहता है और गुलिस्तान के पास अफगान शाह के पैसे जमा होते रहते हैं। साल 2018 में एक दिन अफगान शाह ने गुलिस्तान को पैसे देने के लिए कहा। उसकी तबीयत खराब थी लिहाजा उसे डॉक्टर को दिखाने के लिए पैसे चाहिए थे। गुलिस्तान ने उसे बताया कि अभी तो उसके पास पैसे नहीं है लेकिन हां वो उसकी दवा का इंतज़ाम जरुर कर देगा। वो अफगान शाह को बोलता है कि वो दवाई लेकर आता है और वो उसका इंतजार शहर की एक नदी के पास ही करे। ये कहकर गुलिस्तान वहां से चला जाता है।

बताए हुए वक्त पर गुलिस्तान नदी किनारे पहुंच जाता है और वहीं पर उसे अफगान शाह भी मिल जाता है। वो अपने साथ दो इंजेक्शन और कुछ दवाइयां लेकर आया था। वो अफगान शाह को बताता है कि जैसा कि तुमने बताया था ठीक वैसा ही मैंने अपने जानने वाले डॉक्टर को बताया जिसके बाद उसने ये दवाइयां लिखी थी जो मैं लेकर आया हूं। उसने बोला कि अगर अफगान शाह शहर में किसी और डॉक्टर के पास जाता तो इलाज के नाम पर डॉक्टर उससे मोटी फीस वसूलता।

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अफगान शाह को गुलिस्तान की बातों पर यकीन हो गया। गुलिस्तान ने अफगान को बताया कि उसे एक इंजेक्शन अभी लेना पड़ेगा और एक कल। दवाइयां इंजेक्शन के बाद भी ली जा सकती हैं। अफगान शाह को विश्वास में लेने के बाद गुलिस्तान उसे एक इंजेक्शन लगा देता है और जल्द ही उसके पैसे भी देने का वादा कर वहां से निकल जाता है।

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इंजेक्शन लगने के बाद अफगान शाह दवाई लेकर घर पहुंचता है लेकिन घर पहुंचने के बाद ही वो बेहोश हो जाता है। उसकी पत्नी यासमीन उसे पड़ोसियों की मदद से अस्पताल लेकर जाती है लेकिन जब वो अस्पताल पहुंचता है तो डॉक्टर बताते हैं कि उसकी मौत हो चुकी है।

अफगान शाह की अचानक हुई मौत से यासमीन सदमें में आ जाती है। मौत भी सबको प्राकृतिक ही लग रही थी। यासमीन ने बताया था कि अफगान शाह की तबीयत ठीक नहीं थी । हालांकि उसकी तबीयत इतनी ज्यादा भी खराब नहीं थी कि उसकी मौत हो जाए। यासमीन को लगता है कि कुछ न कुछ तो ऐसा है जिसकी वजह से अफगान शाह की मौत हुई है। उस वक्त बाजौर के जिस इलाके में ये लोग रहते थे वहां पर कोई थाना नहीं था।

दूसरी तरफ घरवाले भी उसे कानूनी पचड़ों में पड़ने से दूर रहने की सलाह देते हैं। यासमीन उस वक्त तो लोगों की बात मानकर अफगान शाह का अंतिम संस्कार कर देती है लेकिन उसके दिल के कोने में अफगान शाह की मौत का सच जानने की कसक रह जाती है। वो दवाई और इंजेक्शन चैक करती है। पता चलता है कि वो नॉर्मल पेन किलर था।

यासमीन को गुलिस्तान पर शक होता है और अपने इसी शक को दूर करने के लिए वो गुलिस्तान से पैसे मांगती है जो अफगान शाह ने उसके पास जमा किए थे। गुलिस्तान यासमीन को बताता है कि वो कुछ रोज पहले ही सारे पैसे अफगान शाह को लौटा चुका है। हालांकि अफगान शाह एक-एक बात यासमीन को बताता था और उसने बताया था कि उसने अभी तक गुलिस्तान के पास जमा कराएं पैसों से एक पाई भी नहीं ली है।

गुलिस्तान का इस तरह का जवाब सुनने के बाद ये बात तो साफ हो गई थी कि गुलिस्तान ने ही उसका क़त्ल किया है। यासमीन को इस बात की भी खबर थी कि गुलिस्तान ने ही अफगान शाह को दवाई लाकर दी थी। उसने जब गुलिस्तान से डॉक्टर का पर्चा मांगा तो वो भी उसने इधर उधर की बात कर के टाल दिया।

वक़्त गुजर रहा था और यासमीन गुलिस्तान से बदला लेने के नए-नए प्लान तैयार कर रही थी लेकिन कोई भी प्लान उसे कामयाब होता हुआ नजर नहीं आ रहा था। आखिरकार साल 2020 की शुरुआत में यासमीन ने गुलिस्तान के सामने एक प्रस्ताव रखा। उसने गुलिस्तान को कहा कि अफगान शाह की मौत के बाद वो बेहद अकेली पड़ गई है। उसकी बच्ची की परवरिश ठीक तरह से नहीं हो पा रही है लिहाजा वो उससे शादी कर ले।

हालांकि गुलिस्तान ने उससे शादी करने से साफ इंकार कर दिया। गुलिस्तान पहले से ही शादीशुदा था और उसका एक बेटा भी था । लिहाज वो शादी करने के लिए तैयार नहीं था। यासमीन ने जो जाल बुना था उसमें गुलिस्तान फंस नहीं रहा था। कई महीने बीत गए और इस बार यासमीन ने गुलिस्तान के सामने एक और प्रस्ताव रखा। उसने गुलिस्तान को कहा कि अगर वो उससे शादी करेगा तो उसके पास जो पैसे जमा हैं उनमें से वो उसे एक कार और मकान खरीद कर दे सकती है।

यासमीन की ये चाल काम कर गई। गुलिस्तान शादी के लिए राजी हो गया लेकिन शादी की खबर जब गुलिस्तान की पहली पत्नी ने सुनी तो वो नाराज हो गई। लिहाजा वो यासमीन को तो अपने घर में नहीं रख सकता था। यासमीन, गुलिस्तान और यासमीन की बेटी अब गुलिस्तान के ही किसी रिश्तेदार के यहां पर रहने लगे। कुछ दिन किसी रिश्तेदार के पास तो बाकी दिन किसी और के पास। दिन ऐसे ही कट रहे थे और यासमीन को मौका नहीं मिल पा रहा था।

उसने गुलिस्तान को कहा कि वो अलग कहीं पर किराये का मकान क्यों नहीं ले लेता। कब तक रिश्तेदारों के पास रहेंगे। इस पर गुलिस्तान ने बाजौर में ही एक मकान किराये पर ले लिया। तीनों अब उस किराये के मकान में रहने लगे। गुलिस्तान अपनी पहली पत्नी और बेटे के पास भी जाया करता था। कभी-कभार काम धंधे के चक्कर में भी वो दूसरे शहर चला जाता था।

एक दिन यासमीन ने उससे कहा कि वो कई-कई दिन तक घर नहीं आता है। वो और उसकी बेटी अकेले रह जाते हैं उनके पास जो कैश पड़ा है वो भी ऐसे में महफूज नहीं है लिहाजा उसे एक पिस्टल खरीद लेनी चाहिए ताकि वो घर में रहे सुरक्षा के लिए। गुलिस्तान को भी यासमीन की बात जच गई। उसने बाजौर से ही तेरह हज़ार रुपये में एक पिस्टल खरीदी।

यासमीन ने गुलिस्तान से ही वो पिस्टल चलाना सीखा। यासीन को पिस्टल चलाना आ गया था और अब उसे वो काम करना था जिसका इंतजार वो पिछले तीन साल से कर रही थी। 14 जुलाई 2021 की रात जब गुलिस्तान घर में सो रहा था तो यासमीन पिस्टल लेकर उसके पास पहुंची। उसने पिस्टल कॉक करी और कई बार उसका ट्रिगर दबाया लेकिन ये क्या गोली चली ही नहीं।

यासमीन घबरा गई कि कहीं पिस्टल की आवाज से गुलिस्तान जाग ना जाए। वो एक बार फिर दूसरे कमरे में गई। पिस्टल के चैंबर में फंसी गोलियों को निकाला और एक बार फिर गुलिस्तान पर वो पिस्टल तान दी। इस बार पिस्टल गुलिस्तान की खोपड़ी के पास रखी गई थी। ट्रिगर दबते ही पिस्टल में से निकली गोली ने गुलिस्तान के सिर में छेद कर डाला। इसके बाद यासमीन ने एक और गोली गुलिस्तान के सीने में उतार डाली। रात भर वो गुलिस्तान के सिराहने बैठी रही। जैसे ही सुबह का उजाला होना शुरु हुआ उसने शोर मचाना शुरु कर दिया कि किसी ने उसके पति का क़त्ल कर दिया है। अब तक बाजौर के उस इलाके में थाना खुल चुका था। क़त्ल की खबर लगने के बाद भी पुलिस मौके पर पहुंची। तफ्तीश की तो पुलिस को लगा कि कत्ल करने वाला कोई अंदर का ही शख्स है।

यासमीन और गुलिस्तान के बारे में पता करा गया तो यासमीन के पहले पति अफगान शाह की मौत का किस्सा सामने आया। बात चौंकाने वाली थी कि जो यासमीन अपने पति की मौत का इल्जाम गुलिस्तान पर लगा रही थी आखिरकार उसने ही उससे शादी कैसे कर ली।

पुलिस ने यासमीन के घर की तलाशी ली तो पुलिस को वो पिस्टल भी मिल गई जिससे कत्ल किया गया था। फॉरेंसक जांच में भी ये बात सामने आ गई कि गुलिस्तान के जिस्म से बरामद गोली उसी पिस्टल से चली थी जो घर से बरामद हुई है। यासमीन अपना गुनाह कुबूल कर लेती है। उसे गुलिस्तान के क़त्ल का कोई अफसोस नहीं है। सवाल ये है कि यासमीन के जेल जाने के बाद उसकी बेटी की देखभाल कौन करेगा।

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