5 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म - दोषी को मिलेगी मौत की सजा

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LUCKNOW:

27 साल के एक युवक ने अपनी कुंठा को मिटाने के लिए 5 महीने की एक नवजात के साथ बलात्कार किया. इंसानियत को शर्मसार करने वाले इस शख्स ने फिर उस नन्हीं सी जान को बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।

महज़ 5 महीने की एक नन्हीं बच्ची से रेप कर हत्या करने वाले इस शख्स ने कोर्ट में खुद को बचाने के लिए अपनी नाबालिक बेटी की दी दुहाई।

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जज ने इस मामले में कहा -कोई राहत नहीं, तुरंत फांसी पर चढ़ाया जाए।

जानिए पूरा मामला :

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लखनऊ। विशेष पॉक्सो अदालत ने एक पांच महीने की बच्ची के साथ रेप करने और उसे बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाले उसके 27 साल के सगे चचेरे भाई प्रेमचन्द्र उर्फ पप्पू दीक्षित को फांसी की सजा सुनाई है।

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कोर्ट ने कहा की उच्च न्यायालय से सजा की पुष्टि के बाद इस हैवान अपराधी की गर्दन में फांसी लगाकर उसे तब तक लटकाया जायेगा जब तक उसकी मौत नहीं हो जाती।

बलात्कारी शादीशुदा है और साथ ही में एक नाबालिग का पिता भी। विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने इस बलात्कारी पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उन्होंने इसके अपराध को दुर्लभतम से दुर्लभ करार देते हुये कहा कि जुर्माने की रकम पीड़िता के पिता को दी जाए।

इस मामले में जज ने कहा :

जज में अपने फैसले में कहा - "भारत में कन्या को देवी माना जाता है। नवरात्रि में नौ दिन के व्रत के बाद देवी दुर्गा का रूप मान कन्याओं को भोजन कराकर व्रत तोड़ा जाता है। ऐसे में दोषी ने जिस तरह एक शिशु के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या की, उससे यह मामला विरलतम से विरल की श्रेणी में आता है और उसे फांसी से कम की सजा नहीं दी जा सकती।’’

अदालत ने कहा, ‘‘दोषी ने जैसा अपराध किया है सभ्य समाज में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।’’ अगर इस अपराध के लिए इस हैवान को दंड नहीं दिया गया तो इसका समाज पर व्यापक रुप से गलत प्रभाव पड़ेगा। ऐसी ही घटना की वजह से समाज में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने व व्यवहार करने की आजादी नहीं दे पा रहे हैं। जिसकी वजह से इस देश की नई पीढ़ी अर्थात छोटे बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है।’’

अभियोजन पक्ष ने सजा को लेकर सुनवाई के दौरान अपराधी के लिए मौत की सजा देने का अनुरोध किया था। वहीं दोषी ने कहा था कि उसकी पत्नी और नाबालिग बच्चे का दुनिया में और कोई नहीं है, इसलिए उसके साथ नरमी बरती जाए।

Crime Tak opinion -

दुनिया से इंसानियत ख़त्म होती जा रही है। एक इंसान की जो परिभाषा है वो दिन-ब-दिन बदलती जा रही है। अभी भी हमारे समाज में काफी लोग औरतों के पहनावे को रेप का कारण बताते हैं मगर वह ये चीज़ क्यों भूल जाते हैं की

यह एक इंसान ही है जो अपनी हवस दूर करने के लिए जानवरों से लेकर छोटी बच्चियों तक का रेप कर डालता है। रेप का दोष इंसान की सोच को जाना चाहिए जो किसी भी वक्त फिसलकर ऐसे दुष्कर्म को अंजाम दे डालती है। हर दिन रेप की बढ़ती हुई वारदातों से ऐसा लगता है की इंसान के अंदर से क़ानून का खौफ मिटता चला जा रहा है।

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