इतिहास का सबसे ख़ूंखार हत्यारा, जिसने अपने रूमाल से किए 931 क़त्ल, अंग्रेज़ भी खाते थे ख़ौफ़

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सीरियल किलर 'बेहराम' से डरते थे अंग्रेज़

Serial Killer Behram :भारत का वो सीरियल किलर जिसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। भारत का वो बेरहम क़ातिल जिसने अंग्रेज़ी हुकूमत की नींद उड़ा दी थी। भारत का वो हत्यारा, जिसने बिना बंदूक या चाकू के 900 से ज़्यादा क़त्ल किए। भारत का वो शातिर जिसके कारनामों का ज़िक्र करने के लिए किताबें तक लिखी गईं।

ऐसा बेरहम हत्यारा जिसकी हुकूमत 50 सालों तक अपने नाम का सिक्का चलाने वाले अंग्रेजों को भी डराती रही। इस सीरियल किलर के बारे में अब तो न जाने कितनी कहावतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन कहा जाता है कि 19वीं सदी में लोगों के दिलों में ख़ौफ़ पैदा करने के लिए वाकई में उसका नाम ही काफी था। उस शातिर किलर का नाम है बेहराम।

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बेहराम को ठग बेहराम (Behram) भी कहा जाता है, और उसे किंग ऑफ ठग्स का रुतबा भी हासिल है। दुनिया भर के अपराधियों की लिस्ट में लिखे तमाम सीरियल किलर्स के मुकाबले जो दहशत बेहराम के नाम की थी, ऐसी न तो उससे पहले किसी की देखी गई और न ही उसके बाद ये ख़ौफ़ किसी के नाम का हुआ।

बेहराम को ठग बेहराम भी कहा जाता है। और किताबों में लिखा है कि बेहराम बेहद अनोखे तरीक़े से अपने शिकार की हत्या करता था। आज की क्राइम की कहानी (Crime Ki Kahani) उसी सीरियल किलर बेहराम की है, जिसकी हैवानियत का क़िस्सा न सिर्फ इतिहास की किताबों में पढ़ाया जाता है, बल्कि जिसके जुर्म के क़िस्से सुनकर आज भी लोग सिहर उठते हैं।

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दस सालों में बन गया ठगों का सरदार

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Serial Killer Behram : मध्य भारत आज के मध्य प्रदेश के जबलपुर में 1765 में पैदा हुआ बेहराम बचपन में बेहद सीधा सादा हुआ करता था। लेकिन उसकी दोस्ती उसकी उम्र से 25 साल बड़े सैयद अमीर अली से हुई जो अपने समय का सबसे ख़तरनाक और खूंखार ठग हुआ करता था।

उसी अमीर अली ने बेहराम को ठगों की ख़तरनाक दुनिया से रु ब रू करवाया था। एक बार ठगों की दुनिया में आने के बाद बेहराम ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जल्दी ही बेहराम बेरहम ठगों का सरदार बन गया। बेहराम ने जब ठगों की दुनिया में क़दम रखा उस वक़्त उसकी उम्र 25 साल थी, लेकिन अगले दस सालों तक उसने इतने लोगों की हत्या की जिससे उसके नाम का ख़ौफ़ दूर दूर तक फैल गया था।

कारोबारी, सैलानी और सेना के जवानों को बनाया शिकार

Serial Killer Behram : उस ज़माने में बेशक आने जाने और खबरों को इधर से उधर पहुंचाने के साधन बहुत कम थे, बावजूद इसके बेहराम के जुर्म के कारनामों को दूर दूर तक पहुँचने में देर नहीं लगती थी।

उसके नाम का ख़ौफ़ इस कदर चारो तरफ फैल चुका था कि दिल्ली से लेकर झांसी, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल के साथ साथ कोलकाता तक जाने वाले कारोबारी, सैलानी, तीर्थयात्री और यहां तक कि पुलिस और सेना के जवान तक उन रास्तों से किनारा कर लेते थे जिन रास्तों पर ठग बेहराम के नाम का साया सुनाई पड़ता था।

उस दौर में अंग्रेज़ अफसरों की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा है कि तब लोग आमतौर पर काफिलों और कारवां में सफर किया करते थे लेकिन ठग बेहराम और उसके साथी पूरे के पूरे काफिले को ही ग़ायब कर दिया करते थे। यहां तक पुलिस को किसी की लाश तक नहीं मिल पाती थी।

हत्यारे ठगों की टोली और हत्या का अनोखा तरीक़ा

Serial Killer Behram : कहते हैं कि बेहराम ने क़रीब दो सौ ठगों का ग्रुप बनाया था, जो पूरे मध्य भारत में फैले हुए थे। और कहा तो यहां तक जाता है कि जो भी एक बार ठगों के इस गुट के चंगुल में फंसता था तो फिर माल और जान को बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है।

जिस दौर में ठग बेहराम के जुर्म की हुकूमत थी उस दौर में हिन्दुस्तान में ईस्ट इंडिया कंपनी भी अपने पैर पसार रही थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अंग्रेज़ अफ़सर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बेहराम ने अपनी पूरी ज़िंदगी में 931 लोगों की हत्या की। हत्या करने का उसका अनोखा तरीक़ा बेहद चौंकाने वाला भी है। उसके पास एक पीला रुमाल हुआ करता था और एक सिक्का। उसी सिक्के को रूमाल में डालकर वो अपने शिकार का गला घोंट दिया

इधर ठग बेहराम और उसके गिरोह का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। उधर इंग्लैंड में अंग्रेज़ी हुकूमत के साथ साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों में घबराहट बढने लगी थी। एक अंग्रेज अफ़सर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1822 से पहले ठग बेहराम का पता लगाने के लिए जितने भी अंग्रेज अफसर भेजे गए उन सभी की हत्या बेहराम ने कर दी थी। तब अंग्रेज़ी हुकूमत ने अपने सबसे तेज़ तर्रार और चालाक अफसर कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमैन को हिन्दुस्तान भेजा।

कैप्टन स्लीमैन ने फैलाया मुखबिरों का जाल

Serial Killer Behram : साल 1822 में कैप्टन विलियम्स हेनरी स्लीमैन को मध्य भारत के नरसिंहपुर ज़िले का मजिस्ट्रेट बनाया गया था। ठगों के गिरोह के बारे में पता लगाने के लिए स्लीमैन शहर शहर और जंगल जंगल भटकते रहे लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।

तभी ईस्ट इंडिया कंपनी ने लॉर्ड विलियम्स बेंटिक भारत का गवर्नर जनरल बनाकर तैनात किया गया। लॉर्ड बेंटिक का इरादा साफ था कि हिन्दुस्तान में अंग्रेजों का परचम चारो तरफ फहराना, लेकिन उनके सामने ठग बेहराम नाम की एक सबसे बड़ी रुकावट आकर खड़ी हो गई थी जिससे अंग्रेज के अफसर भी डरते थे। तब लॉर्ड बेंटिक ने स्लीमैन को पूरी छूट दी और साथ में सेना की एक टुकड़ी, जिससे उनकी हिफाज़त भी हो सके।

कैप्टन स्लीमैन ने पानी की तरह पैसा बहाते हुए अपने मुखबिरों का जाल फैलाया और जल्दी ही उन्हें बेहराम के उस्ताद ठग सैयद अमीर अली के ठिकाने का पता मिल गया। ब्रिटिश फौज फौरन दबिश देने अमीर अली के घर पहुँच गई लेकिन अमीर अली उनके हाथ से फिसल गया और फरार हो गया। लिहाजा अंग्रेज अफसरों ने अमीर अली के परिवार के लोगों को गिरफ़्तार कर लिया।

उस्ताद ने ही पकड़वा दिया अपने चेले को

Serial Killer Behram : कई महीनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार 1832 में अमीर अली ने अपने परिवार को बचाने के लिए खुद को अंग्रेज फौज के हवाले कर दिया। लेकिन कैप्टन स्लीमैन को अमीर अली की बजाए ठग बेहराम का पता जानना था, लिहाजा कैप्टन स्लीमैन ने अपने हथकंडों से अमीर अली का मुंह खुलवा ही लिया और ठग बेहराम का पता जान लिया।

अमीर अली से ठग बेहराम का पता जान लेने के पांच साल तक कैप्टन स्लीमैन को कामयाबी नहीं मिली, लेकिन साल 1838 में एक रोज बेहराम की क़िस्मत उसे कैप्टन स्लीमैन के सामने ले ही आई और अमीर अली की मुखबिरी ने उसे अंग्रेज़ हुकूमत के शिकंजे में फंसा ही दिया। अंग्रेज अफ़सर की डायरी में लिखी बात के मुताबिक जिस वक़्त अंग्रेजी फौज ने बेहराम को पकड़ा था उस वक़्त उसकी उम्र 75 साल से ज़्यादा थी।

अगले दो साल तक अंग्रेजों की अदालत में ठग बेहराम के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलता रहा। और 1840 में बेहराम को जबलपुर के पास कटनी में स्लीमनाबाद में एक पेड़ में खुलेआम फांसी पर लटका दिया गया था। और उसके साथ लटकाया गया था 40 और ठगों को। जबकि कुछ ठगों ने अंग्रेज़ अफसर के सामने घुटने टेक दिए जिससे उन्हें सुधार गृह में भेज दिया गया था।

931 लोगों की हत्या का इल्ज़ाम

Serial Killer Behram : कैप्टन स्लीमैन की रिपोर्ट का खुलासा है कि बेहराम के गिरोह में 200 ठग ऐसे थे जो हत्यारे थे। और ये लोग सिर्फ एक ही तरीक़े से हत्या को अंजाम देते थे। रूमाल में सिक्के को डालकर शिकार के गले को घोंट दिया करते थे और इसके बाद लाश को ये लोग कुओं में फेंक दिया करते थे। अंग्रेजों की डायरी से हत्या की गिनती 931 तक पहुँचती है, लेकिन ये भी सही है कि ये शायद आखिरी गिनती नहीं है। अंग्रेज अफसरों ने ये बात भी अपनी डायरी में लिखी है कि इस गिरोह ने इससे भी ज़्यादा लोगों की हत्या की होगी।

कैप्टन स्लीमैन की तफ्तीश की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होता है कि बेहराम ठग और उसका गिरोह एक ख़ास तरह की भाषा में बात किया करते थे, जो किसी के पल्ले नहीं पड़ती थी। यहां तक कि अंग्रेजों के जासूसों ने भी उस भाषा को समझने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे वो लोग भी डिकोड नहीं कर सके।

ठगों की भाषा 'रामोसी'

Serial Killer Behram :ठगों की जुबान में उस भाषा को रामोसी कहा जाता था। ये एक तरह की सांकेतिक भाषा थी जिसमें वो अपने शिकार उसकी स्थिति, उसकी ताक़त उसके पास मौजूद सामान और उसके आस पास के माहौल के बारे में एक दूसरे को जानकारी देते थे।

ठगों का ये गिरोह अक्सर जिस काफिले को लूटता था उसमें एक मुसाफिर की शक्ल में शामिल हो जाता था जबकि उसके गिरोह के बाकी लोग कुछ दूरी बनाकर चलते रहते थे। लेकिन जब काफिले के लोग रात में सो जाते थे तो ये ठग गीदड़ के रोने की आवाज़ से हमले का इशारा कर देते थे। और एक साथ हमला होने की सूरत में काफिले के पास बचाव करना नामुमकिन हो जाता था। और ये लोग अपने पीले रूमाल और सिक्के की मदद से लोगों का गला घोंट देते थे।

अंग्रेजों की अदालत में चले मुकदमे के दौरान खुद ठग बेहराम ने अपने बारे में बताया कि खुद उसने अपने हाथों से 150 से ज़्यादा लोगों को मारा है। जबकि उसने ही अपने गिरोह के तमाम लोगों को मारने का तरीक़ा सिखाया, जिसमें हथियार की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। 1790 से लेकर 1838 के बीच पकड़े जाने से पहले ठग बेहराम ने कुल 931 लोगों को मौत के घाट उतारा था।

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