दुनिया का एक अजीब गांव जहां कई दिनों तक सोते हैं लोग,खाना बनाते-बनाते सोई औरतें 6 दिन बाद खुली आंखें!

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खास बात ये है कि इस गांव के लोग कभी भी सो सकते हैं। खाना बनाते-बनाते, मछली पकड़ते-पकड़ते, बर्तन साफ करते-करते यानि कभी भी उनको नींद आ सकती है।

ये गांव मध्य एशिया के दश कजाकिस्तान में है। इस गांव का नाम है कलाची। कलाची गांव में लगभग 800 लोग रहते हैं जिनमें से 160 ऐसे हैं जो सोने की इस बीमारी से पीड़ित हैं। सोते वक्त इन लोगों को अजीब-अजीब सपने आते हैं । बेहद डरावने सपने आते हैं और नींद इतनी ज्यादा आती है कि एक बार सोए तो आंखे छह दिन बाद ही खुलती हैं।

यहां पर सोने वाले मर्दों को उठने के बाद बेहद सेक्स करने की उत्तेजना होती है। जबकि मर्दों और औरतों को सोने से पहले की कोई भी बात याद नहीं रहती है। कजाकिस्तान के इस गांव में सोने की ये बीमारी साल 2012 से शुरु हुई। अचानक गांव के लोग सोने लगे। कहीं भी कुछ भी करते हुए। कुछ लोगों से शुरु हुई ये बीमारी लोगों में फैलने लगी।

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धीरे-धीरे उसने ये बीमारी गांव के और भी लोगों में फैलने लगी। तीन साल के भीतर गांव के 160 लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए। इस रहस्यमय बीमारी की खबर जब स्थानीय पत्रकारों को लगी तो उन्होंने इस रहस्यमय नींद की बीमारी को लेकर खबरें छापना शुरु किया। जब मीडिया में खबर आई तो सरकार भी नींद से जागी और इस रहस्यमय बीमारी की तफ्तीश शुरु कर दी।

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कई लोगों को इस बीमारी का पता लगाने के लिए लगाया गया। सब ने इस रहस्यमय बीमारी के बारे में पता करना शुरु किया। सबसे पहला शक कलाची गांव के पास बनी यूरेनियम की खानों पर गया जो अब बंद पड़ी थीं। शोधकर्ताओं का कहना था कि यूरेनियम की खानों का इस्तेमाल नहीं होने की वजह से इनमें पानी भर गया है और ये पानी जमीन के पानी से मिल गया है जिसकी वजह से लोग सोने की बीमारी से पीड़ित हो गए हैं।

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जांच में ये बात भी सामने आई कि पानी के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बेहद ज्यादा है जिसकी वजह से लोगों के अंदर सोने की बीमारी हो रही है। हालांकि इस बात का जवाब कोई भी शोधकर्ता नहीं दे पाया कि केवल गांव के 160 लोगों को ही ये बीमारी क्यों हुई जबकि गांव के दूसरे लोग भी उसी गांव में रह रहे थे और गांव में मौजूद स्त्रोतों से पानी पी रहे थे।

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हालांकि सरकार ने शोध के परिणाम आने के बाद गांववालों के पानी पीने की दूसरी व्यवस्था कर दी जिसके बाद यहां पर सोने की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या में कमी आने लगी। अब कजाकिस्तान के कलाची गांव में 120 परिवार रहते हैं और अब सभी लोग सामान्य नींद ले रहे हैं।

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