ख़त्म हुआ पाकिस्तान और तालिबान का दोस्ताना, हिन्दुस्तान की तस्वीर दिखाकर कर दी बोलती बंद

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Latest World News: क्या पाकिस्तान (Pakistan) और उसकी पनाह में सिर उठाकर दुनिया (World) का सिरदर्द बन चुके तालिबान (Taliban) के बीच के रिश्ते अब दरकने लगे हैं? क्या पाकिस्तान और तालिबान का दोस्ताना (Friendship) खत्म होने लगा है...ये सवाल इसलिए उठने लगे हैं क्योंकि तालिबान ने पाकिस्तान को जो त्योरियां दिखाई हैं, उससे तो ऐसा मालूम पड़ता है कि अब तालिबान ने पाकिस्तान को उसकी हैसियत दिखाने का इरादा कर लिया है।

सियासी तौर पर और आर्थिक नजरिये से पूरी तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान को तालिबान ने भारत की 1971 वाली जीत का राग सुनाकर बुरी तरह से धमकाया है। और इसी लिए कहा जाने लगा है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंध अब दोस्ताना नहीं रह गए।

उनके बीच चल रही जुबानी जंग अब धमकियों की शक्ल लेने लगी है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के भीतर तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान की गतिविधियां और तेज़ और तीखी होने लगी हैं।

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असल में पिछले दिनों पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मंत्री राणा सनाउल्लाह के उस बयान का मुंह तोड़ जवाब कुछ इस अंदाज में दिया कि उसकी बोलती बंद हो गई। हुआ यूं कि राणा सनाउल्लाह ने कहा था कि पाकिस्तान की सेना जल्दी ही अफग़ानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर हमले कर सकती है।

तब तालिबान के एक नेता अहमद यासिर ने ट्वीट करके भारत की वो तस्वीर साझा कर दी जिसमें 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तानी सेना के पूर्वी कमान के जनरल नियाजी भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करने वाले दस्तावेजों में दस्तखत करते दिखाई दे रहे हैं।

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Talibani Threat: इस फोटो को साझा करते हुए तालिबानी नेता यासिर ने पश्तो में लिखा था, “ पाकिस्तान के मंत्री हम पर सेना के हमले की धमकी देने की बात न सोचें तो ही बेहतर होगा नहीं तो भआरत के साथ जैसा सैन्य समझौता हुआ था उससे भी ज़्यादा शर्मनाक हालात दोबारा पैदा हो सकते हैं”।

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तालिबान ने इस ट्वीट के साथ ये भी लिखा कि अगर पाकिस्तान को अपना ऐसा हाल दोबारा नहीं करवाना है तो किसी भी सूरत में हमला करने का ख्याल भी अपने दिमाग से निकाल दे।

भारत और पाकिस्तान के बीच की वो ऐतिहासिक तस्वीर का सच ये है कि 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों ने भारतीय सेना की टुकड़ी के सामने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया था। उस तस्वीर का एक सच ये भी है कि उसमें भारतीय सेना के पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा हैं जबकि पाकिस्तान के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए के नियाजी दिखाई दे रहे हैं।

सच कहा जाए तो हमेशा ही आतंकवाद और तालिबान को पनाह देने वाले पाकिस्तान के लिए अब ये उसकी ही आस्तीन के सांप बनकर उसे ही डसने लगे हैं।

TTP challenges Pakistan : बताया जा रहा है कि पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान के बीच संबंधों में जो तनाव पैदा हुआ उसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है तहरीक –ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP है। इस संगठन को लेकर पाकिस्तान का रवैया हमेशा ही आक्रामक रहा है।

टीटीपी को पाकिस्तान का तालिबान भी कहा जाता है। और अगर पाकिस्तान से छनकर आ रही खबरों पर यकीन किया जाए तो पाकिस्तान में टीटीपी ने एक तरह से आने वाले दिनों में अपनी सरकार बनाने का ऐलान तक कर दिया है। असल में टीटीपी ने कुछ ऐसे ऐलान किए हैं जो मंत्रालयों के वितरण का गुमान देते हैं।

मसलन टीटीपी ने अपने कुछ नेताओं को डिफेंस, जस्टिस, सूचना, सियासी अमला, आर्थिक मामले, शिक्षा जैसे अहम पदों पर नई नियुक्तियों का ऐलान किया है। इसके अलावा निर्माण और खुफिया विभाग के प्रमुखों को भी बदलने का ऐलान कर दिया है।

जिसकी वजह से अब ये कहा जाने लगा है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सियासी लगाम तालिबान के साथहो सकती है। पाकिस्तान के हुक्मरान और उनके सियासी पहलवान इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि तालिबान वो अजगर है जो कभी भी पलटकर पालने वाले को अपनी कुंडली में दबाकर उसका दम घोंट सकता है। शायद इसीलिए पाकिस्तान ने अब अपनी पोजिशन लेनी शुरू कर दी है।

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