वॉट्सऐप ग्रुप में मेंबर ने भेजा अश्लील या आपत्तिजनक मैसेज तो एडमिन जिम्मेदार होगा या नहीं? जानें

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वॉट्सऐप ग्रुप में मेंबर ने भेजा अश्लील या आपत्तिजनक मैसेज तो एडमिन जिम्मेदार होगा या नहीं? जानें
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Whatsapp Group Admin News : वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन के केरल हाई कोर्ट ने बड़ी राहत की खबर दी है. दरअसल, एक मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन को उसके किसी सदस्य द्वारा भेजे गए अश्लील या आपत्तिजनक मैसेज के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

केरल हाई कोर्ट का ये फैसला पॉक्सो ( द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट) के एक मामले में आया है. इस केस में उच्च न्यायालय ने किसी वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन के खिलाफ पॉक्सो मामला खारिज कर दिया. इस ग्रुप के एक सदस्य ने अश्लील सामग्री डाल दी थी.

अदालत ने कहा कि जैसा कि बंबई और दिल्ली उच्च न्यायालय ने जो व्यवस्था दी है, वो यह है कि ‘‘ किसी व्हाट्सग्रुप में अन्य सदस्यों के संदर्भ में एडमिन को बस इतना अलग से अधिकार है कि वो इस ग्रुप में किसी को भी जोड़ सकता है या किसी सदस्य को हटा सकता है.

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केरल हाई कोर्ट ने कहा कि ‘‘कोई भी सदस्य उस ग्रुप में क्या पोस्ट कर रहा है, उसपर एडमिन का भौतिक या किसी अन्य प्रकार का कंट्रोल नहीं होता है. वह ग्रुप में किसी संदेश में कोई बदलाव भी नहीं कर सकता है और ना ही उस पर कोई रोक लगा सकता है. सेंसर लगाने का कोई सिस्टम नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि यही वजह है कि किसी वॉट्सऐप ग्रुप में बस उस हैसियत से काम कर रहे एडमिन को ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा डाले गए किसी आपत्तिजनक मैसेज के लिए अप्रत्यक्ष तरीके से भी जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है.

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क्या है पूरा मामला

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता ने ‘फ्रेंड्स’ नामक एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था और उसने अपने साथ दो अन्य व्यक्तियों को भी एडमिन बनाया था. उन्हीं दो में से एक ने बच्चे की अश्लील हरकत वाला कोई वीडियो डाल दिया था.

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इसकी शिकायत मिलने पर पुलिस ने उस व्यक्ति के खिलाफ आईटी और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया था. इसमें मैसेज डालने वाले को आरोपी नंबर एक बनाया गया था जबकि वॉट्सऐप ग्रुप एडिमन को दूसरे नंबर का आरोपी बनाया गया था. जांच पूरी हाने के बाद निचली अदालत में अंतिम रिपोर्ट पेश की गई थी.

वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन ने याचिकाकर्ता के तौर पर अपने विरूद्ध कानूनी कार्रवाई को खारिज करने की अपील की थी. इसके लिए उसने दलील दी थी कि पूरे केस में उसका कोई लेना देना नहीं है. उसका ना तो किसी के मैसेज करने पर कंट्रोल है और ना ही वो उसमें कोई बदलाव या फिर उसे रोक सकता है. ऐसे में उसे किस आधार पर आरोपी बनाया गया है. इस दलील पर कोर्ट ने भी सहमति जताई और ये फैसला सुनाया.

बता दें कि अभी तक ये पुलिस दावा करती है कि किसी वॉट्सऐप ग्रुप में किसी तरह के भड़काऊ या आपत्तिजनक मैसेज के लिए एडमिन भी उतना ही जिम्मेदार है जितना मैसेज डालने वाला है.

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