QR कोड स्कैन करते ही कट जाएगी जेब? मार्केट में Cyber Crime के नए तरीके से डर गए लोग!

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QR कोड स्कैन करते ही कट जाएगी जेब? मार्केट में Cyber Crime के नए तरीके से डर गए लोग!
QR कोड को स्कैन करते ही कट सकती है जेब
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Cyber Crime: साइबर ठग लोगों को अपने झांसे में फंसाकर उनकी जेब पर डाका डालने के लिए हर रोज नई नई तरकीबें लड़ाते हैं। और अक्सर लोग स्कैमर्स की चालों में फंस भी जाते हैं। साइबर सिक्योरिटी के लिए हर रोज नए नए उपाय देकर बचने के तमाम रास्ते दिखाने वाली कंपनियों की मानें तो साइबर ठग लोगों को चूना लगाने के लिए फिशिंग लिंक का इस्तेमाल करते रहते हैं। लेकिन अब इन साइबर ठगों का नया पैंतरा सामने आया है। अभी तक तो ईमेल के जरिए QR कोड भेजकर लोगों की जेब में डाका डालते थे लेकिन अब तो QR कोड को स्कैन करने पर भी साइबर ठगों ने लूट का नया तरीका इजाद करने का। 

QRकोड फिशिंग लिंक

असल में QRकोड फिशिंग लिंक और स्कैम पेज से इनकोडेड होते हैं। और यूजर के QR कोड को स्कैन करते ही साइबर ठगों के जाल में फंस कर अपनी रकम गंवा बैठता है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो ये भी देखा गया है कि धंधे बाजों ने गिफ्ट या रिटर्न के नाम पर ये जालसाज लोगों को फंसाकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं। 

साइबर फ्रॉड का नया तरीका है QR कोड 

जालसाजों के शिकार बन जाते

जानकारों की मानें तो कोई यूजर्स जैसे ही गिफ्ट या रिटर्न्स के लिए दिए गए कोड को स्कैन करता है, स्कैन करने के बाद उसे गेटवे के लिए पासवर्ड डालना पड़ता है। और पासवर्ड डालते ही कोई भी इन जालसाजों के शिकार बन जाते हैं और उनके खाते से पैसे कटकर सीधे फरेबियों के एकाउंट में चले जाते हैं। 

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साइबर ठगों का नया पैतरां 

ताजा खुलासा ये भी है कि लोगों को फंसाने के लिए साइबर ठगों ने नयां पैतरां आजमाना शुरू कर दिया है और दुकानों और दूसरी जगहों पर QR कोड्स के फेस को चिपका देते हैं। चूंकि दुकानों पर कई तरह के QR कोड्स चिपके होते हैं उनके बीच में ही ये जालसाज अपने जालसाजी वाले QR कोड्स के फेस को चस्पा कर देते हैं, और यूजर्स गफलत में उन्हें स्कैन करके खुद को इन जालसाजों के जाल में फंसाकर उनका शिकार हो जाते हैं। 

अमेरिकी जांच एजेंसी FBI की वार्निंग

अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने कुछ अरसा पहले ही इस बात की वार्निंग जारी की थी। FBI के मुताबिक कई बार साइबर ठग असली QR कोड्स पर फर्जी कोड लगा देते हैं। अमेरिकी जांच एजेंसी के मुताबिक इन कोड को स्कैन करते ही कई बार मोबाइल भी हैक हो जाता है। और मोबाइल के हैक होते ही डेटा हैकर्स के पास मोबाइल के जरिए पहुंच जाता है। और फिर वो लोगों की सारी निजी जानकारियां अपने पास रखकर उसका बेजा इस्तेमाल कर सकता है। देखा तो ये भी जाता है कि इस तरह से मोबाइल में हैकर्स मैलवेयर भी डाउनलोड कर लेते हैं।

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साइबर ठगों के जाल में 

FBI के मुताबिक इस तरह के स्कैम को ही फिशिंग कहा जाता है, जिसमें यूजर्स मछली के जाल की तरह ही साइबर ठगों के फेंके चारे के चक्कर में फंसकर उस जाल में उलझ जाता है। आमतौर पर ऐसे फर्जीवाड़े ईमेल या एसएमएस के जरिए अंजाम दिए जाते हैं।  ताजा सूरते हाल ये है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के साथसाथ बड़े बड़े ब्रांड्स और साइबर सिक्योरिटी कंपनियां लगातार लोगों को इस तरह के स्कैम से सावधान रहने की हिदायतें जारी करते रहते हैं। किसी लिंक के जरिए लोगों से ठगी करना साइबर अपराधियों का पुराना पैंतरा है। लेकिन अब लोग जागरूक हो गए और लोगों ने अपराधियों के एसएमएस या ईमेल वाले पैंतरों को नज़रअंदाज करना शुरू कर दिया लिहाजा अब फ्रॉड करने वाले लोगों ने ये नया तरीका इजाद किया है। 

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अब जालसाजों ने QR कोड को अपना हथियार बना लिया

फिशिंग लिंक की बजाय QR कोड्स 

अब फिशिंग लिंक की बजाय साइबर ठगों ने QR कोड्स भेजने शुरू कर दिए हैं। जैसे ही कोई यूजर्स इन कोड्स को स्कैन करता है उसका मोबाइल फौरन हैक हो जाता है और साइबर ठगों का काम हो जाता है। इस फ्रॉड में सबसे मुश्किल ये है कि फिशिंग लिंक को पहचानना तो आसान है लेकिन QR की पहचान करना बेहद मुश्किल। 

सतर्क रहें … सावधान रहें

अब सवाल यही उठता है कि आखिर इस जाल में फंसने से कैसे बचा जा सकता है। सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि इंटरनेट की दुनिया में सतर्क और सावधान रह कर ही बचा जा सकता है। इसका सबसे बुनियादी तरीका यही है कि QR कोड के साथ आने वाला ईमेल फ्रॉड के जाल में फंसने का सबसे पहला संकेत है जिसे समझना जरूरी है। अगर किसी ईमेल के साथ आपको QR कोड भेजा जाता है तो उसे आप खतरनाक मान सकते हैं। 

ऐसे होता है QR कोड से फ्रॉड

होता ये है कि जैसे ही आप QR कोड को स्कैन करते हैं तो एक फेक वेबसाइट्स पर ये रिडायरेक्ट हो जाता है। और ये वेबसाइट्स आपसे कई तरह की परमिशन एक्सेस मांगने लगती हैं और फिर उसी डेटा के साथ साइबर ठग यूजर्स के साथ ठगी कर लेते हैं। असल में इसके पीछे का जो मनोविज्ञान है वो है यूजर्स की जल्दबाजी। जिसका फायदा ये साइबर ठग उठाते हैं। क्योंकि इसके बाद ही स्कैमर्स पासवर्ड कॉम्प्रोमाइज्ड या सर्विस एक्सपायर जैसे ईमेल भेजते हैं और लोग जल्दबाजी में गलत कदम उठा लेते हैं। 

जल्दबाजी का फायदा उठाते हैं ठग

इसी तरह किसी भी दुकान पर QR कोड को स्कैन करने में भी कोई जल्दबाजी दिखानी ठीक नहीं है। कोड को स्कैन करने के बाद ये जरूर तय करें कि वो कोड किसने नाम का है और किस नंबर पर है। जिसे दुकानदार से कन्फर्म भी किया जा सकता है उसके बाद ही पेमेंट मोड पर जाएं। कहीं ऐसा न हो कि स्कैन के बाद किसी फ्री गिफ्ट के ऑफर के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई से भी हाथ धो बैठें। 

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