नकली वेबसाइट बनाकर 3 हज़ार लोगों से ठगी 70 लाख से ज्यादा की रकम, आप भी क्लिक करने से पहले कर लें वेबसाइट की जांच

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दिल्ली से संवाददाता हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट

लोगों को इसका वेबसाइट असली जैसा नजर आता और जब लोग एक बार इसके वेबसाइट पर पेमेंट कर देते तो वह पैसा अलग-अलग वॉलेट से होता हुआ इसके अकाउंट में पहुंच जाता।पकड़ में आया कपिल त्यागी पहले एक फेक कॉल सेंटर में काम करता था। वहीं से इसे यह आइडिया आया की सरकारी वेबसाइट बनाकर लोगों के साथ ठगी कर सकता है।

इसके बाद इसमें असली से नजर आने वाले फेक वेबसाइट बनाए। और लोगो को ठगना शुरू कर दिया। 2 अक्टूबर को रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मंत्रालय की तरफ से दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में एक शिकायत दी गई थी की आरटीओ के नाम से कुछ जाली वेबसाइट काम कर रही है। जो डॉक्यूमेंटेशन से लेकर अलग-अलग सर्विसेस के बदले लोगों से फीस भी वसूल रही है। इस शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

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इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम ने डिजिटल फुटप्रिंट और पेमेंट ट्रेल के जरिए आरोपी के बारे में पता लगाने की कोशिश शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस को पता लग गया कि आरोपी गाजियाबाद में बैठकर यह सभी जाली वेबसाइट चला रहा है। इसके बाद पुलिस की टीम ने आरोपी कपिल त्यागी को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने कपिल त्यागी के पास से 15 सिम कार्ड, चार मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, दो पेन ड्राइव,दो हार्ड ड्राइव, 15 डेबिट और क्रेडिट कार्ड और अलग-अलग बैंक के अकाउंट में 8 लाख 34 हजार बरामद किए हैं। बैंक में मौजूद पैसे को सीज करा दिया है। पूछताछ में और जांच में खुलासा हुआ कि कपिल त्यागी ने अब तक 3300 लोगों को करीब 70 लाख का चूना लगाया है।

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इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक़्त ये सावधानियां बरतें

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पुलिस का भी यही कहना है कि किसी भी सर्विस के लिए इंटरनैट का इस्तेमाल करते वक्त बेहद सावधान रहें। वेबसाइट पर क्लिक करते वक्त ये पक्का कर लें कि जिस वेबसाइट पर आपने विजिट किया है वो उसी विभाग की असली वेबसाइट है या नहीं।

जालसाज नकली वेबसाइट बनाकर गूगल पर अपनी वेबसाइट का पैसे देकर प्रमोशन कराते हैं जिसकी वजह से गूगल पर खोज करते ही इन जालसाजों की वेबसाइट असली वेबसाइट से भी ऊपर आती है।

लोग गलतफहमी में इन नकली वेबसाइट पर क्लिक कर पेमेंट भी कर डालते हैं। बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। केवल गूगल पर ही नहीं बलकि सोशल मीडिया के कई एप पर भी कई कंपनियों के लिंक डाले जाते हैं जो फर्जी निकलते हैं।

इस वजह से किसी भी लिंक को क्लिक करने से पहले उसकी ठीक तरह से जांच कर लें कि वो असली लिंक है या फिर नकली लिंक। इन दोनों वाहनों पर लगने वाली HIGH DEFINTION NUMBER PLATE के नाम पर जालसाज इंटरनेट पर ठगी का धंधा चला रहे हैं। ऐसे में अगर आपको भी अपने वाहन पर नंबर प्लेट लगानी है तो पेमेंट करने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच कर लें।

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