क्या साइबर ठगों का गढ़ बन गया नोएडा...

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क्या साइबर ठगों का गढ़ बन गया नोएडा...
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Noida Cyber Crime News: तेज़ी से विकसित हो रहा नोएडा कामगारों और रोजगार के लिए पहली पसंद बनता जा रहा है। गगनचुंबी इमारतें अपने आप में नोएडा के विकास की कहानी बता रहे हैं। मगर इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि जिस गति से नोएडा का विकास हुआ उसी गति से यहां अपराध भी बढ़े हैं। ख़ुद NCRB के आकंड़ें इसकी गवाही देते हैं।

कैसे और कब बना नोएडा ?

वो इमरजेंसी में पैदा हुआ, अब उसे हम विकास और विकार दोनों के नाम से ही जानते है,जी हां हम बात कर रहे है नोएडा की। 1972 में जब दिल्ली में जनसंख्या का दबाव बढ़ने लगा और केंद्र सरकार को इसे नियंत्रित करने की चिंता सताने लगी तब 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित किया गया। 1975 में इमरजेंसी के बाद यमुना नदी के पूर्व में बसे क्षेत्र को यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 के तहत न्यू ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के तहत नोएडा घोषित किया गया।

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साइबर क्राइम के आंकड़ों ने चौकाया

नोएडा वर्तमान समय में यूपी के सबसे हाईटेक और विकसित ज़िलों में सबसे ऊपर है। नोएडा में निर्माण कार्य जितनी तेज़ी के साथ हुआ उतनी ही तेज़ी के साथ यहां के क्राइम का ग्राफ़ भी ऊपर हुआ है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आकंड़ों के मुताबिक 2020 में साइबर क्राइम के मामलों में नोएडा सबसे ऊपर रहा और 1585 मामले दर्ज किए गए। वहीं राजधानी लखनऊ इस मामले में दूसरे नंबर पर रही। 2020 के शुरुआती दौर से ही कोरोना की वजह से लोगों ने ऑनलाइन लेन-देन शुरु कर दिया जिसके चलते अपारधियों ने भी अपराध का तरीका और रूपरेखा दोनों ही बदल दिया।

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किस तरह लोगों को बनाते हैं निशाना

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साइबर अपराध में भी कई अलग-अलग तरीकों से लोगों को चूना लगाने का काम किया जा रहा था। इन सबमें कंप्यूटर हैकिंग अपराधियों के लिए ट्रेंडिग रहा। 1585 में से 803 केस कंप्यूटर हैकिंग से संबंधित थे। 307 मामले आईटी एक्ट, 51 रेनसमवेयर वायरस अटैक, 25 बैकिंग फ्रॉड, 9 साइबर ब्लैकमेलिंग और 19 डेबिट-क्रेडिट से जुड़े मामले सामने आएं।

अब सवाल ये है कि अगर नोएडा की जनता और पुलिस को ये पता है कि समस्या कहां और क्या है तो आखिर इसका समाधान क्यों नहीं किया गया और आने वाले समय में जनता की सुरक्षा के लिए आखिर क्या प्लान है? तो इसका जवाब जनता को असंतुष्ट करने वाला है। अब तक साइबर क्राइम को कंट्रोल करने के लिए कोई खास प्लान नहीं बनाया गया। साइबर क्राइम के अधिकतर मामले समय से ट्रेस ना किए जाने और त्वरित एक्शन नहीं लिए जाने के कारण ही सुलझ नहीं पाते। दरअसल नोएडा साइबर सेल में 16 सबइंस्पेक्टर और बाकी कांस्टेबल लेवल के कर्मचारी हैं। इस बाबत पुलिस कमिश्नरेट ने मुख्यालय को पत्र भी लिखा और कर्मचारियों की कमी को बताते हुए संख्या बढ़ाने की मांग की है। कमिश्नरेट ने एक एसीपी रैंक के अधिकारी और 150 कर्मचारियों की मांग भी की।

हालांकि नए साल पर साइबर क्राइम पर शिकंजा कसने के लिए कमिश्नरी में पुलिस मुख्यालय के अलावा तीनों ज़ोन के डीसीपी के यहां पर एक-एक साइबर सेल का गठन किए जाने की योजना है। इसके तहत लोगों को आने वाली परेशानियों का समाधान किया जाएगा और साइबर अपराध से जुड़े मामले दर्ज किए जाएंगे।

साइबर फ़्रॉड से कैसे बचें!

पुलिस कब तक साइबर क्राइम पर अंकुश लगाती है ये तो देखने वाली बात है लेकिन आप साइबर फ्रॉड के शिकार ना बने इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

1.जब भी आप कोई ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करें या इंटरनेट बैंकिग का इस्तेमाल करें तो किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे साइबर कैफ़े, दफ़्तर, पार्क और किसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ना करें।
2.जब भी आप इंटरनेट बैंकिग का इस्तेमाल करें तो काम ख़त्म करते ही अपने अकाउंट को लॉगआउट ज़रूर करें।
3.अपने कंप्यूटर या लैपटॉप के पासवर्ड को मज़बूत रखें ताकि आसानी से कोई भी उसे ना ख़ोल सके।
4.किसी लालच में आकर या किसी गिफ़्ट के झांसे में आकर किसी को अपनी निजी जानकारी न दें और ना ही बैंक या बैंक से जुड़ी कोई जानकारी साझा करें।
5.स्पैम ई-मेल से बचकर रहें। किसी भी अटैचमेंट या लिंक को खोलने से भी बचें।

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