अगर मोबाइल नंबर बंद कर रहे हैं तो उसे करने से पहले ये काम करना ना भूलें

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अगर मोबाइल नंबर बंद कर रहे हैं तोउसे करने से पहले ये काम करना ना भूलें
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गाजियाबाद से संवाददाता मयंक गौड़ की रिपोर्ट

गाजियाबाद पुलिस को मधुवन बापूधाम के रहने वाले शख्स गौरव गुप्ता ने शिकायत की थी कि किसी ने उसके खाते से 15 लाख 56 हजार रुपये की रकम निकाल ली है। इस बात की खबर गौरव गुप्ता को बिल्कुल नहीं हुई। ना तो उनके पास बैंक से कोई मेल आया और ना ही कोई मैसेज आया।

पुलिस ने जब गौरव से पूछताछ की तो उसने बताया कि बैंक में खाता खुलवाते वक्त उन्होंने बैंक में कोई ईमेल आईडी नहीं दी थी। उन्होंने केवल मोबाइल नंबर दिया था जिस पर खाते में जमा रकम और निकलने वाली रकम से जुड़े मैसेज आया करते थे। हालांकि उन्होंने जब काफी वक्त से उस फोन का इस्तेमाल नहीं किया तो मोबाइल कंपनी ने तीन महीने पहले उनका फोन बंद कर दिया।

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गौरव का मोबाइल बंद करने के बाद किसी और को ये नंबर दे दिया गया। शातिर ठगों ने इसी मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर ठगी की इस पूरी वारदात को अंजाम दिया । बंद हुआ मोबाइल नंबर एक आरोपी विपिन राठौर को एलॉट कर दिया गया था। मोबाइल नंबर मिलने के बाद विपिन के साथी दीपक ने वेबसाइट से गौरव गुप्ता का आधार डाउनलोड कर लिया।

डाउनलोड किए गए आधार कार्ड पर विपिन की फोटो लगाई गई । गौरव गुप्ता का बैंक ऑफ बड़ौदा में एकाउंट था । वहां एप्लीकेशन दी गई कि वो दोबारा से गौरव गुप्ता की इंटरनैट बैंकिग शुरु कर दें। बैंकिंग शुरु होते ही इन्होंने गौरव गुप्ता के खाते से पैसे निकालना शुरु कर दिया।

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बाद में जब गौरव ने अपना खाता चैक किया तो उनके होश उड़ गए । शिकायत पुलिस से की गई जिसके बाद पुलिस ने पता लगाया कि बंद हुआ नंबर किस के नाम पर एलॉट किया गया था। तब पुलिस को विपिन के बारे में पता चला। उससे पूछताछ की गई तो उसने अपराध कबूल कर लिया।

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गौरव गुप्ता के खाते से निकाले गए पैसों से इन्होंने एक सेकेंड हैंड कार और घर का सामान खरीद लिया। पुलिस इनसे वो सामान और पांच लाख रुपये बरामद करने में कामयाब हो पाई है। पुलिस के मुताबिक कुछ पैसा इन्होंने जनसेवा केन्द्र से भी निकाला है। इन केन्द्रों पर केवल आधार कार्ड दिखाकर पैसा निकाला जा सकता है। पकड़े गए शातिर बदमाश ऐसे ही जनसेवा केन्द्रों से पैसे निकाला करते थे।

दरअसल इनका असली काम तो बैंकों से फर्जी आधार के एवज में क्रेडिट कार्ड बनवाना था । क्रेडिट कार्ड बनने के बाद ये उससे ऑनलाइन शॉपिंग करते थे और फर्जी आधार की मदद से उस क्रेडिट कार्ड से कैश भी निकाल लिया करते थे। पुलिस की पकड़ में आए सभी बदमाश 12वीं तक पढ़े हैं लेकिन अपने शातिर दिमाग से ये पढ़े लिखे लोगों को चूना लगा रहे थे।

बेहद जरुरी है कि आप अपने आधार को अपने मोबाइल और ईमेल से जोड़ कर रखें ताकि आपको पता चल सके कि आपके आधार का इस्तेमाल कब और कहां हुआ है।

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