Cyber Fraud: असली CBI अफसर को क्राइम ब्रांच के नकली पुलिसवाले ने लूटा, 2 लाख रुपये की चपत लगाई

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Mumbai: बड़े बुजुर्ग एक कहावत कहते हैं, बूढ़ा मरे चाहे जवान, मोये हत्या से काम। और ये कहावत आजकल के साइबर ठगों पर एकदम सटीक बैठती है। बस ये समझ लीजिए कि एक बार उनके चंगुल में जो भी आया, वो लुटे बिना नहीं रहा। ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI के एक असली अफसर को साइबर ठगों ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच का नकली अफसर बनकर दो लाख रुपये की चपत लगा दी। 

साइबर पुलिस से की शिकायत

मुंबई में तैनात केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI के एक अधिकारी ने बीती 4 मई को बांद्रा के कुर्ला कॉम्प्लैक्स में साइबर पुलिस के पास जाकर एक शिकायत दर्ज करवाई। इस शिकायत के मुताबिक उन्हें दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के अफसर के तौर पर अपनी पहचान बताने वाले ने पूरे दो लाख रुपये की चपत लगाई है। साइबर सेल में दर्ज हुई FIR के मुताबिक 26 अप्रैल को उनके पास एक कॉल आई। ये अनजान नंबर से आई वॉट्सऐप कॉल थी।

दिल्ली क्राइम ब्रांच का नकली अफसर

कॉल के दूसरी तरफ जो शख्स था उसने अपनी पहचान आशीष शर्मा के तौर पर जाहिर की। कॉल पर बोला, हैलो, मैं दिल्ली क्राइम ब्रांच से बोल रहा हूं। और फिर उसने बताया कि सीबीआई अफसर के नाम और आधार कार्ड नंबर के साथ दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक पार्सल जब्त हुआ है। और इस सिलसिले में कस्टम वालों ने क्राइम ब्रांच से संपर्क किया है। उसने आगे बताया कि कस्टम डिपार्टमेंट की तरफ से कहा गया है कि उस पार्सल में आठ पासपोर्ट, पांच बैंक क्रेडिट कार्ड और 170 ग्राम मेफेड्रेन नाम की ड्रग के साथ कुछ नगदी भी मिली है। 

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49 मिनट तक फेंका जाल

सीबीआई अफसर के मुताबिक उस पहली कॉल पर उसकी बात नकली पुलिसवाले से करीब 49 मिनट तक हुई। और इस दौरान वो नकली अफसर इस मुसीबत से बचने के उपाय और सरकारी प्रॉसेस का ज्ञान देता रहा। पार्सल की बात सुनकर खुद सीबीआई अफसर के पैरों तले जमीन सरक गई। लिहाजा इस मुसीबत से छुटकारा पाने का उपाय वो उसी नकली अफसर से पूछने लगे। शिकार फंसता देख उस नकली अफसर ने अपने पैंतरे चले और बड़े ही प्यार से सीबीआई अफसर को इस बात पर राजी कर लिया कि वो उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा दिलवा देगा। साथ ही साथ वो नकली सीबीआई अफसर का सीआर यानी उनकी नौकरी का कॉन्फिडेंशियल रिकॉर्ड खराब करने का हवाला देकर उन्हें गिरफ्तारी की धमकी देना भी नहीं भूला। 

दो दिन बाद आई दूसरी कॉल

इसके बाद दो रोज बाद यानी 28 अप्रैल को उसी सीबीआई अफसर के पास एक दूसरे नंबर से किसी और शख्स ने कॉल की और खुद को दिल्ली पुलिस का बताकर पहली वाली कॉल का हवाला दिया। इसके बाद सरकारी काम काज के तौर तरीकों का जिक्र करते हुए उस शख्स ने सीबीआई अफसर से कहा कि आपको अब RBI की तरफ से जारी की गई एक सत्यापन यानी वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। डरे सहमे और इस नई मुसीबत से घबराया सीबीआई अफसर फौरन इस प्रक्रिया के लिए राजी हो गया। तब उस नकली अफसर ने कहा कि इसके लिए उन्हें फीस के तौर पर 2 लाख रुपये जमा करने होंगे जो रिफंडेबल है। 

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बिना सोचे समझे पैसे किए ट्रांसफर

सीबीआई अफसर ने बिना कुछ सोचे समझे ये रकम उस नकली पुलिसवाले के खाते में ट्रांसफर कर दी। रकम खाते में ट्रांसफर होते ही उस अफसर ने कहा कि अब प्रॉसेस पूरा होते ही एक या दो दिन के भीतर उनकी रकम फीस काटकर रिफंड कर दी जाएगी। अगले तीन दिनों तक असली सीबीआई अफसर फोन का इंतजार करते रहे। लेकिन उसे कोई फोन नहीं आया। जब उसने अपनी कॉल हिस्ट्री से निकालकर उन नंबरों पर कॉल किया तो किसी ने फोन ही नहीं उठाया। तब जाकर उसने इस बारे में अपने सीबीआई के साथियों से बात की। तब जाकर उसे पता चला कि वो एक साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं। लिहाजा वो भागा-भागा साइबर सेल पहुँचा ताकि उन शातिरों का पता लगा सके जिन्होंने हाथ डालकर उसकी जेब से दो लाख रुपये निकाल लिए। 
 

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