साइबर क्राइम : वाइस चांसलर की फर्जी ईमेल बना प्रोफेसरों से मांगे ऑनलाइन गिफ्ट कॉर्ड, ऐसे खुली पोल

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साइबर क्राइम : वाइस चांसलर की फर्जी ईमेल बना प्रोफेसरों से मांगे ऑनलाइन गिफ्ट कॉर्ड, ऐसे खुली पोल
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साइबर क्रिमिनल ठगी के अब नए-नए तरीके निकाल रहे हैं. अब ये फर्जी ईमेल के जरिए सहयोगियों से पैसों की डिमांड कर रहे हैं. बिहार के भागलपुर से भी ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) की वाइस चांसलर प्रो. नीलिमा गुप्ता की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर दूसरे प्रोफेसर से मदद मांगी गई.

दरअसल, साइबर ठगों ने वाइस चांसलर के नाम से सहयोगी प्रोफेसरों को ईमेल भेजे. इस ईमेल में सहयोगियों से ऑनलाइन गिफ्ट कार्ड खरीदकर देने की अपील की गई थी. हालांकि, एक प्रोफेसर ने जब इस बारे में वाइस चांसलर से चर्चा की तब फर्जीवाड़े की कहानी सामने आ गई.

इसके बाद यूनिवर्सिटी के ऑफिसियल ईमेल से सभी को इस तरह के फर्जीवाड़े से बचने के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया. इस बारे में यूनिवर्सिटी के पीआरओ डॉ. दीपक कुमार दिनकर ने बताया कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा रही है.

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क्या लिखा था ईमेल में

साइबर ठगों ने ऑफिशियल ईमेल से मिलती हुई पहले आईडी बनाई थी. इसमें अंग्रेजी में एक मैसेज लिखकर दूसरों को भेज दिया था. इस ईमेल में लिखा था कि मैं एक जरूरी मीटिंग में व्यस्त हूं. उन्हें अमेजन गिफ्ट कार्ड किन्हीं को भेजना है. उन्हें एक घंटे में कार्ड की जरूरत है. इसलिए यदि गिफ्ट कार्ड खरीदकर भेज दे तो अच्छा रहेगा. जितने रुपये लगेंगे शाम को वो उसे लौटा देंगी।

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ये ईमेल बॉटनी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. सी.बी. सिंह, फिलॉस्फी विभाग के विभागाध्यक्ष और पीजी पालिटिकल साइंस की एक शिक्षिका को भेजा गया था. हालांकि, इनमें से किसी एक को गिफ्ट कार्ड की जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने वॉट्सऐप पर मैसेज कर पूछ लिया. जिससे फर्जी ईमेल की पोल खुल गई.

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वेबसाइट से ईमेल डिटेल लेकर हो रहा है फर्जीवाड़ा

ऐसे फर्जीवाड़े के बारे में साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि जिनके मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी किसी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, उन्हें साइबर अपराधी निशाना बना रहे हैं. जैसे इसी मामले में यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर वाइस चांसलर से लेकर अन्य प्रोफेसर का भी प्रोफाइल होगा. इस प्रोफाइल में ईमेल आईडी और कॉन्टैक्ट नंबर भी होगा. ऐसे में साइबर क्रिमिनल यहां से डिटेल लेकर पहले मिलती-जुलती ईमेल आईडी बनाते हैं. इसके बाद उसी ईमेल से दूसरे लोगों को मैसेज भेजकर ठगी करते हैं.

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