लॉरेंस विश्नोई की क्राइम कंपनी: हिंदुस्तान के सात राज्यों और पांच देशों में फैली 'क्राइम फ़्रेंचाइज़ी'

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Lawrence Bishnoi : सिद्धू मूसेवाला मर्डर (Sidhu Moosewala Murder) केस में पंजाब पुलिस के सवालों का सामना कर रहे गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के गुनाहों निशान अकेला पंजाब की हद तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि भारत के कई राज्यों में उसके नाम का बोलबाला है। या यूं भी कह सकते हैं कि भारत (India) के कई राज्यों में उसके नाम से जुर्म का धंधा हो रहा है। और ये यहीं नहीं रुका बल्कि भारत के बाहर पांच ऐसे देश हैं जहां लॉरेंस बिश्नोई के नाम से उसके गुर्गे गैंग चला रहे हैं। साफ तौर पर कहा जा सकता है कि लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी क्राइम की फ्रेंचाइज़ी चला रखी है।

गैंगस्टर लारेंस विश्नोई की क्राइम कंपनी: हिंदुस्तान के 7 राज्यों और 5 देशों में फैली है "क्राइम फ़्रेंचाइज़ी"

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ये वो ठिकाने हैं जहां लॉरेंस बिश्नोई का नाम का जलवा है। यानी इन जगहों पर या दो लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गे काम कर रहे हैं या फिर उसके नाम से दूसरे गैंगस्टर गैंग चला रहे हैं।

Lawrence Bishnoi Crime Company: आप ये जानकर हैरान रह जाएँगे क़ि लॉरेस की इस क्राइम कंपनी में सब कुछ डिजिटल है ये एक वर्चुअल संसार जैसा नज़र आता है। इस गैंग से जुड़े करीब 1000 लोग, जिसमे शार्प शूटर्स, बदमाश, केरीयर, सप्लायर, रैकी पर्सन, लॉजिस्टिक स्पोट बोय, शेल्टर मेन सोशल मीडिया विग के सदस्य शामिल हैं। इस गैंग के टारगेट वर्चुअल नंबरो से ऑडिओ कॉन्फ्रेंस के जरिये तय किए जाते हैं। लॉरेंस इस कम्पनी में मास्टर ब्रेन है तो गोल्डी बरार कंपनी की रीढ़ की हड्डी है। लॉरेंस का ममेरा भाई सचिन विश्नोई कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है जबकि गैंगस्टर ऑस्ट्रिया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते है।

हैरानी की बात ये बाई कि इस क्राइम कंपनी में हर टारगेट, से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जनता है इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बन्दे गैंग के जुड़े होते है उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे में कोई भी जानकारी नही होती है।

बकायदा एक फूलप्रूफ़ प्लानिंग के मुताबिक गैंग के सदस्यों के अलग-अलग काम सौंपा जाता है यानी रेकी कौन करेगा पनाह कौन देगा? गाड़ियां कौन सप्लाई करेगा? हथियार कौन मुहैया कराएगा? क़त्ल के बाद किस तरफ किधर भागना है कहां छुपना है काम तमाम करने के बाद हथियार कहां छुपाना है और सबसे बड़ा सवाल की फंडिंग कैसे होगी इसे भी क्राइम मास्टर ही तय करते हैं। किलिंग के वक्त मौजूद गैंग मेम्बर भी अक्सर एक दूसरे को नही जानते ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बाक़ी सदस्यों पर आँच ना आ सके।

Lawrence Bishnoi Crime Company: इस पूरी साज़िश का ताना बाना सिंग्नल एप्प के जरिये होता है जहा बिना सिम के वर्चुअल नंबरो इंटनरेट के नंबरो से कंपनी की सारी डील्स सारे प्लान, पूरा ऑपरेशन और टारगेट फिक्स होते है। क्राइम मीटिंग में केवल निर्देश अधिकतर गैंगस्टर सचिन देता है जिसे आगे गैंग मेंबर फॉलो करते है अपना हिस्सा लेते है औऱ फिर अगले काम मे जुट जाते है। लारेंस के गैंग में 1000 के करीब गैंगस्टर बदमाश औऱ सक्रिय सदस्य शॉर्प शूटर्स देश विदेश में मौजूद हैं।

देश की सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ में बैठकर कैसे लॉरेंस बिश्नोई चलाता है अपना गैंग तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग को कुछ इस तरह चलाता है जैसे शायद को कभी बाहर रह कर न चला पता। सूत्रों की माने तो इस गैंग में करीब 700 से ज़्यादा शूटर्स है जो लॉरेन्स के एक इशारे पर किसी को भी मारने निकल पड़ते है। ये शॉर्प शूटर्स दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैले है। इस गैंग का हवाला का पैसा ब्रिटेन और दुबई में भी लगा होने की जानकरियाँ मिली हैं।

फिरौती के लिए अपहरण, क़त्ल, जबरन उगाही इस गैंग का पैसे कमाने का मुख्य जरिया है। लेकिन कब कहा क्या करना है ये आज भी जेल में बैठकर लॉरेन्स ही तय कर करता है। लॉरेंस के गैंग पूरी दुनिया मे फैला है। 31 साल के लॉरेन्स पर 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। वो एक बार पुलिस हिरासत से फ़रार भी हो चुका है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक कैनाडा में लॉरेन्स गैंग का गोल्डी बरार और सतिंदर ने ठिकाना बना रखा है। जबकि ऑस्ट्रीया में लॉरेन्स का भाई अनमोल बैठा है। टारगेट जेल में बैठकर लॉरेन्स तय करता है। फिर वो पहला कमांड संपत नेहरा को देता है उसके बाद विदेश में बैठे इसके भाई और गैंगस्टर फ़ोन कर लोगो को धमकी देते है। सूत्रों के मुताबिक लॉरेंस किसी भी शूटर से खुद बात नही करता बल्कि कॉंट्रैक्ट को रूट करता है। बताया ये भी जाता है कि लॉरन्स गैंग के तार पिछले 5 साल से Mexico के ड्रग सिंडिकेट से भी जुड़े हुए है।

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