IPL में स्पॉट फ़िक्सिंग का नौ साल पहले खुला था राज़, इशारों के लिए क्रिकेटर करते थे ऐसी हरकत

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जब पहली बार क्रिकेट के माथे पर लिखा था चोर

IPL FEVER: 16 मई 2013। इस तारीख़ को न तो कभी हिन्दुस्तान भूल सकता है, और न ही हिन्दुस्तान में क्रिकेट को कंट्रोल करने वाली संस्था BCCI यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया। जिसे हम सब इंडियन क्रिकेट बोर्ड के नाम से आम बोलचाल में बुलाते हैं।

सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ था इस तारीख को जो याद रखी जाए। असल में यही वो तारीख थी जब इंडियन क्रिकेट बोर्ड के माथे पर चोर लिख दिया गया था। चौंक गए न। लेकिन ये सच है।

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घड़ी की सुइयों को ज़रा पीछे घुमाइये और याद कीजिए दिल्ली पुलिस के उस वक़्त के कमिश्नर नीरज कुमार की प्रेस कांफ्रेंस। जब उन्होंने पहली बार चांदी से चमकते और मदमस्त ग्लैमर के समंदर में गोते लगाने वाले इंडियन प्रिमियर लीग के चांद जैसे चेहरे पर मैच और स्पॉट फिक्सिंग का काला दाग़ ढूंढ़ निकाला था।

दिल्ली पुलिस ने किया था सबसे बड़ा पर्दाफ़ाश

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FIXING IN IPL: ये वो पहला पड़ाव था, जब दिल्ली पुलिस ने सामने आकर पहली बार क्रिकेट में छुपी गंदगी को पहली बार आइना दिखाया था, और लोगों की आंखों पर चढ़े क्रिकेट के सुरूर को एक ही झटके में उतार दिया था। लेकिन ये तारीख़ तो बस उस पड़ताल को बताने वाली तारीख़ थी जब पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने ज़माने के सामने आकर कहा था कि जिस क्रिकेट को हम सब अपनी मौज मस्ती और मनोरंजन के लिए देख रहे हैं, जिस क्रिकेट मैच के हरेक उतार चढ़ाव के साथ हमारी सांसे चढ़ती और उतरती हैं वो क्रिकेट असल में मैदान से दूर कहीं किसी कमरे में बैठकर खेला जाता है।

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मैदान पर क्रिकेट के खिलाड़ी तो रंगमंच की कठपुतलियों जैसे हैं जिसकी डोर किसी ऊपर वाले के हाथ में बंधी है। कब कौन कहां और कैसे उठेगा, बैठेगा, चलेगा, दौड़ेगा क्रिकेट का खेल देखने वाले कभी नहीं समझ पाएंगे।

कहीं पर निगाहें पर लगा कहीं पर निशाना

FIXING IN IPL: लेकिन...पुलिस कमिश्नर ने उसी प्रेस कांफ्रेंस में एक बात और कही थी। जिस पर उस वक़्त शायद कम गौर किया गया था। आज इतने सालों के बाद अब लगता है कि शायद पुलिस कमिश्नर की कही वही बात सबसे ज़्यादा ग़ौर करने वाली थी।

असल में पुलिस कमिश्नर ने IPL मैचों में स्पॉट फिक्सिंग के बारे में खुलासा करते वक़्त कहा था कि पिछले एक महीने यानी अप्रैल के महीने से दिल्ली पुलिस के कुछ जुनूनी और क़ाबिल अफसर लगातार कुछ फोन को टैप करके उसमें की जा रही बातों पर कान लगाने की कोशिश में लगे हुए थे।

गरज ये थी कि उन्हें उन फोन कॉल्स में अंडरवर्ल्ड का अक्स नज़र आ रहा था। लिहाजा शक के आधार पर वो कॉल इंटरसेप्ट करके सुनी जा रही थीं और उनकी रिकॉर्डिंग को बार बार ध्यान से सुनकर बातचीत में इस्तेमाल किए जा रहे कोड को डी कोड करने की कोशिश की जा रही थी।

एक कॉल से खुल गया था पूरा राज़

FIXING IN IPL: यानी दिल्ली पुलिस को IPL की चमक दमक में छुपी बुराइयां बहुत पहले ही नज़र आ गई थीं। उस वक़्त इस मैच फिक्सिंग से जुड़े तारों का सिरा ढूंढ़ने वाली टीमों से जुड़े सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो दिल्ली पुलिस के एक नौजवान और इंटरनेट के कीड़े कहे जाने वाले पुलिस अफसर बद्रीश का बेहद अहम रोल था। पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि IPL का ये सारा गोरखधंधा इंस्पेक्टर बद्रीश ने ही एक कॉल से खोलकर रख दिया था। और उसके बाद पूरी टीम ने मिलकर इस पूरे चक्रम का पोस्टमार्टम ही कर डाला था।

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने स्पॉट फिक्सिंग के मामले में जो उजागर किया वो यक़ीनी तौर पर बेहद चौंकाने वाला था, खासतौर पर उन लोगों के लिए ये खुलासा नींद से झकझोरकर जगाने वाला भी साबित हुआ जो अपना सब कुछ छोड़कर IPL के मैचों पर अपना दिल लगाते थे। क्रिकेट को अपनी आस्था और खिलाड़ियों को अपना भगवान मानने वालों के लिए ये खुलासा बिलकुल ऐसा था कि किसी ने नींद की खुमारी में किसी ने झन्नाटेदार तमाचा रसीद कर दिया हो।

इशारों इशारों में होता था पूरा खेल

FIXING IN IPL: पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने बताया था कि कैसे ये पूरा खेल इशारों ही इशारों में खेला जाता है और जमाने को लगता है कि ये सब तो उसी क्रिकेट का हिस्सा भर है जिसे वो दिल लगाकर देख रहे हैं। शायद दुनिया ने पहली बार पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के मुंह से ही स्पॉट फिक्सिंग वाली बात भी सुनी थी।

क्रिकेट के खेल में छुपे इस फरेब की परत दर परत उधेड़ते हुए दिल्ली पुलिस ने बताया कि कैसे मैच फिक्सिंग की जा रही थी। क्रिकेट के मैदान से दूर कहीं किसी अंधेरे कमरे में बैठे फिक्स करने वाले बुकीज़ ने कैसे कैसे कोड बना रखे थे जिन्हें मैदान में देखकर उसी के मुताबिक सट्टे के बाज़ार में दांव खेले जा रहे थे और करोड़ों के वारे न्यारे भी हो रहे थे।

इन इशारों में छुपा हुआ था राज़

FIXING IN IPL: लॉकेट घुमाना, घड़ी दिखाना, फील्डिंग बदलना, टीशर्ट उठाना, लोवर में आगे की तरफ तौलिया या रूमाल लगाना, पीछे के हिस्से में तौलिया लटकाना, ग्लब्ज़ बदलना, बैट बदलना, मैदान में बैठ जाना, और भी कई इशारे हैं, और ये सब कुछ फिक्सिंग का हिस्सा था। हरेक इशारे के बाद क्रिकेट के मैदान से दूर दौलत की बरसात हो रही थी।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने क्रिकेट की दुनिया में भूचाल लाने वाले स्पॉट फिक्सिंग का पन्ना क्या खोला, इस काले धंधे के तार दूर दूर तक अलग अलग देशों तक फैले दिखाई पड़ने लगे। सबसे पहला शक अंडरवर्ल्ड पर ही गया। जिसका इशारा खुद नीरज कुमार दे ही चुके थे। मैच फिक्सिंग से लेकर स्पॉट फिक्सिंग तक सट्टेबाज़ी के ज़रिए अरबो खरबों कमा रहे अंडरवर्ल्ड का नेटवर्क पूरी दुनिया में फैला नज़र आया।

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