15 August : देश का वो अमर वीर सिपाही, जो अपनी मौत के 54 साल बाद भी सरहदों की हिफाजत में तैनात है

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India's Real Hero: ऐसे खुशकिस्मत चंद लोग ही होते हैं जो शायद सपनों से भी आगे दौड़ने का हुनर रखते हैं। ऐसे लोग बिरले ही मिलेंगे जिनकी जिंदगी की लकीर हाथों की लकीरों से भी आगे निकल जाती है। जाहिर है कि ऐसे लोग किसी भी सूरत में साधारण नहीं होते, तभी तो वो दूसरों के लिए एक मिसाल हो जाते हैं।

वैसे देखा जाए तो हमारे देश में देवी और देवताओं के मंदिरों की संख्या लाखों में होगी। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इसी मुल्क में किसी सैनिक का मंदिर बना हो और उस सैनिक की बाकायदा पूजा होती हो।

जी हां हिन्दुस्तान में एक ऐसा वीर सैनिक है जिसका नाम न सिर्फ अमर सैनिकों की फेहरिस्त में लिखा हुआ है, बल्कि उनकी वीरता की गाथाओं से देश का हरेक घर गूंजता रहता है। उस जिंदादिल शहीद सैनिक का नाम है कैप्टन बाबा हरभजन सिंह। जिसकी दास्तान सुनाने के लिए अल्फाज भी बौने साबित होते हैं।

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लेकिन कैप्टन बाबा हरभजन सिंह को एक और वजह से सारा हिन्दुस्तान न सिर्फ जानता है बल्कि उन्हें नमन भी करता रहता है। असल में बाबा हरभजन सिंह हिन्दुस्तान की फौज के लिए एक किवदंती बन चुके हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके भीतर देश की रक्षा करने का इतना जज्बा था कि मरने के बाद भी उन्होंने अपना फर्ज नहीं छोड़ा।

उनकी आंखें बेशक सालों पहले बंद हो गईं लेकिन उन्होंने सरहदों की रखवाली करने से आज भी मुंह नहीं मोड़ा। और इस शहीद सैनिक के इसी जज्बे का हिन्दुस्तान की सेना भी पूरा पूरा ख्याल रखती है तभी तो वो शायद इकलौते ऐसे सैनिक हैं जिन्हें मरने के बाद भी ज़िंदा सैनिकों जैसा मान सम्नान सब कुछ मिलता है आज भी।

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India's Real Hero: बाबा हरभजन सिंह पंजाब के कपूरथला के रहने वाले हैं। उनका जन्म 3 अगस्त 1941 को कपूरथला के एक गांव ब्रोंदल में हुआ था। जबकि शुरुआती शिक्षा दीक्षा उन्होंने डीएवी हाईस्कूल से की थी। 1956 में यानी महज 15 बरस की उम्र में बाबा हरभजन सिंह ने वर्दी पहन ली थी। वो अमृतसर में सेना की सिग्नल कोर में भर्ती हो गए थे।

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नौ साल तक सेना को शिद्दत से अपनी सेवा देने के बदले सेना ने बाबा हरभजन सिंह को कमीशन देकर तरक्की दे दी और उन्हें 14 राजपूत रेजिमेंट में तैनाती दे दी गई। 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जब युद्ध हुआ तो उसमें बाबा हरभजन सिंह ने अपनी ऐसा काम किया कि सेना के अफसर भी उनकी तारीफ करते करते थके नहीं। तब उन्हें एक और तरक्की दी गई और उन्हें 18 राजपूत रेजिमेंट में भेज में ट्रांसफर कर दिया गया।

अब बाबा हरभजन सिंह कैप्टन सेना में कैप्टन हो गए थे। 1968 में कैप्टन हरभजन सिंह 23वीं पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में तैनात थे। ये घटना 4 अक्टूबर 1968 की है जब खच्चरों के एक काफिले के साथ बाबा हरभजन सिंह पूर्वी सिक्किम के तुकुला से डोंगचई जा रहे थे...तभी रास्ते में उनका पैर फिसल गया और चट्टानों में गिरने से उनकी मौत हो गई। उस वक्त उस बरसाती नाले में इतना तेज बहाव था कि उनका मृत शरीर क़रीब दो किलोमीटर दूर बहकर चला गया। करीब तीन दिन की तलाश के बाद उनका शरीर उनके साथियों को बरामद हुआ।

India's Real Hero: ऐसा सुना गया है कि बाबा हरभजन सिंह ने अपने ही एक साथी सिपाही प्रीतम सिंह को सपने में आकर अपनी मौत की और अपने मृत शरीर के बारे में जानकारी दी थी। ऐसा भी बताया जाता है कि उन्होंने प्रीतम सिंह से ये भी कहा था कि उनकी ख्वाहिश यही है कि उनकी समाधि ठीक उसी जगह बनाई जाए जहां उनका शव मिला।

सपने में बाबा हरभजन सिंह ने सिपाही प्रीतम सिंह को जैसा जैसा बताया था सब कुछ वैसा ही हुआ था। लिहाजा सिपाही प्रीतम सिंह की कही बात को सेना के बड़े अधिकारियों ने अनसुना करने के बजाए उस पर अमल भी किया और छोक्या छो नाम की उस जगह पर सेना के अफसरों ने उनकी समाधि बनावाई। ये सच है कि लोगों की आस्था का ख्याल रखते हुए सेना के अधिकारियों ने बाबा हरभजन सिंह की समाधि को नौ किलोमीटर नीचे बनाई। ये समाधि 1982 में बनकर तैयार हुई।

उसके बाद तो बाबा हरभजन सिंह के किस्सों की तो जैसे बहार सी आ गई। बताते हैं कि बाबा हरभजन सिंह आज भी नाथु ला के आस पास चीनी सेना पर नज़र रखे हुए हैं। और चीन की तरफ से जो कुछ भी हरकत होती है उसकी जानकारी सपने के जरिए बाबा हरभजन उस पोस्ट पर तैनात किसी न किसी सिपाही को ज़रूर बताते हैं। ये हजारों बार देखा जा चुका है कि उनकी दी गई हरेक जानकारी हू ब हू सच साबित होती है।

India's Real Hero: सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि मृत्यू के 54 साल बीतने के बाद भी बाबा हरभजन सिंह ने अपने फर्ज से रिटायरमेंट नहीं लिया बल्कि आज भी भारतीय सेना को अपनी सेवाएं बिना नागा दे रहे हैं। यानी भारतीय सेना में कैप्टन बाबा हरभजन सिंह की सेवा आज भी जारी है। सिर्फ इतना ही नहीं खुद चीनी सिपाहियों ने रात के वक्त बाबा हरभजन सिंह को घोड़े पर सवार होकर गश्त लगाते देखा है और इसकी बाकायदा गवाही दी है।

सेना ने भी बाबा हरभजन सिंह और उनकी आस्था का पूरा पूरा ख्याल रखा। कहते हैं कि जब भी भारत चीन के बीच कोई सैन्य बातचीत के लिए बैठक नाथुला में की जाती है तो कैप्टन बाबा हरभजन सिंह के सत्कार के लिए एक कुर्सी खाली रखी जाती है। ये मान लिया जाता है कि कैप्टन साहब इस मीटिंग का हिस्सा हैं।

ये सबसे दिलचस्प है कि हर साल 15 सितंबर से लेकर 15 नवबंर तक बाबा हरभजन सिंह छुट्टी पर घर जाते हैं। चौंकिये नहीं ये सच है। सेना हर साल बाबा हरभजन सिंह की छुट्टी मंजूर करती है। ये बाबा हरभजन सिंह पर लोगों की आस्था का ही असर है कि स्थानीय लोग और सैनिक बाकायदा एक जुलूस की शक्ल में उनकी वर्दी, टोपी जूते साल भर का वेतन दो सैनिकों के साथ सैनिक गाड़ी से नाथुला से न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन तक लेकर जाते हैं।ब

India's Real Hero: न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन पर बाबा हरभजन सिंह का सारा सामान डिब्रूगढ़ से अमृतसर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन के रिजर्व कंपार्टमेंट में चढ़ाया जाता है और जब तक बाबा का सामान पूरी निष्ठा और तौर तरीके से रख नहीं दिया जाता तब तक वहां से गाड़ी रवाना नहीं होती।

और जब ट्रेन पंजाब के जालंधर पहुँचती है तो वहां भी उन्हें पूरे सैनिक सम्मान के साथ सेना की गाड़ी से ही उनका सामान उनके गांव ले जाया जाता है और वो सामान पूरे विधि विधान से उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है।

और जब बाबा हरभजन सिंह की छुट्टी खत्म होती है तो यही प्रक्रिया फिर से उन्हें ड्यूटी पर लौटने के लिए दोहराई जाती है। और इसमें किसी भी स्तर पर कोई कोताही नहीं बरती जाती। छुट्टी पूरी होने के बाद बाबा का सामान वापस उनकी समाधि स्थल पर नाथुला लाया जाता है।

अब तो ये परंपरा बन चुकी है कि जिस समय बाबा हरभजन सिंह छुट्टी पर जाते थे तो उनके सम्मान में बाकायदा समारोह और उत्सव मनाए जाते थे। और कहते हैं कि बाबा को अपने सम्मान में लोगों का उत्सव मनाना शायद पसंद नहीं है...इसीलिए अब बाबा हरभजन छुट्टियों पर घर नहीं जाते और पूरे साल देश की सरहद की हिफाजत में तैनात रहते हैं।

इस बात को कोई भी अपनी खुली आंख से देख सकता है कि बाबा हरभजन सिंह के मंदिर के कमरे में रोजाना सफाई होती है और उनका बाकायदा बिस्तर भी लगाया जाता है। यहां तक कि सेना की वर्दी को पूरी तरह से तैयार करके और जूते पॉलिश करके रखे जाते हैं।

इस बात के सैकड़ों गवाह है कि जो जूते रात के वक़्त पॉलिश करके रखे जाते हैं उन पर सुबह कीचड़ लगा दिखता है जबकि बिस्तर पर सिलवटें भी नज़र आती है। तो ये है बाबा हरभजन सिंह का वो क़िस्सा जिसे सुनकर हर कोई न सिर्फ रोमांचित होता है बल्कि देश भक्ति का जज्बा भी जोश मारने लगता है...।

बाबा हरभजन सिंह की अमरता का ये क़िस्सा इतना लाजवाब और रोचक है कि बॉलीवुड ने उनकी जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनाई है प्लस माइनस। इस जज्बे को देखने और सुनने के बाद हरेक के मुंह से बस एक ही बात निकलती है कि सरहदों की रखवाली करने का जज्बा होतो बाबा हरभजन सिंह जैसा।

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