फिल्मी दुनिया का वो क्राइम जो एक बार ही हुआ और न फिर कभी होगा

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जब-जब छोटा राजन का नाम आता है तब-तब उसके साथ दो लोगों का नाम जरुर लिया जाता है । पहला नाम रोहित वर्मा का है । रोहित ने छोटा राजन के गैंग को मुंबई से निकालकर विदेशों तक पहुंचा दिया और दाउद के जितने आदमी रोहित वर्मा ने मरवाए होंगे शायद ही किसी ने उस प्लानिंग के साथ उनको निबटाया हो । दूसरा नाम आता है रोहित वर्मा के खास और छोट राजन गैंग के शार्पशूटर पीपी ।

जमाना उसको इसी नाम से जानता था। पीपी की उतराखंड में जबरदस्त पकड़ थी और उतराखंड के तमाम गैरकानूनी धंधों में उसका दखल था। हालांकि उसका ज्यादा वक़्त मुंंबई में छोटा राजन गैंग के साम्राज्य को आगे बढ़ाने में ही गुजरता था। छोटा राजन का इशारा होता था और पीपी की गोली। दाउद गैंग के लिए पीपी का नाम भर ही उनमें खौफ भरने के लिए काफी था।

पीपी का दिमाग बेहद ही तेज चलता था। बात 1999 की है जब मुंबई के एक अखबार में विज्ञापन निकाला गया कि एक फिल्म प्रॉडक्शन कंपनी एक नई फिल्म की शुरुआत करने जा रही है और इस फिल्म में वो केवल और केवल नए उम्र के लड़के और लड़कियों को चांस देना चाहते हैं । पहले ईमेल आई डी का चलन नहीं था ।

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लिहाजा इश्तिहार के नीचे एक पोस्ट बॉक्स नंबर दिया जाता था जहां पर तमाम एप्लीकेशन आया करती थीं। ये इश्तिहार तमाम मशहूर अखबारों में दिया गया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ये विज्ञापन पहुंच सके।

कुछ ही दिन में फिल्म में काम देने के लिए एक हजार से ज्यादा लोगों ने अपने बॉयोडाटा भेजा । विज्ञापन में खासतौर पर ये कहा गया था कि जो भी लड़का या लड़की फिल्म में रोल के लिए एप्लाई कर रहा है वो अपने पिता का व्यवसाय उसमें जरुर लिखे ।

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कुछ जानकारियां और मांगी गई थीं जो एप्लाई करने वाले के घर की आर्थिक स्थिति से जुड़ी हुई थीं। गैंग ने एक हजार बॉयोडाटा में से ऐसे लड़कों को छांटना शुरु किया जिनका वास्ता अच्छे और रईस खानदानों से हो।

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छांटते-छांटते आखिरकार पीपी और उसके गैंग ने सौ ऐसे लड़कों को छांटा जिनका बैकग्राउंड उन्हें मजबूत लगता था यानि वो मोटा पैसा दे सकते हैं । इसके बाद इंटरव्यू के लिए उन्हें मुंबई के ताज होटल में बुलाया गया । यहां पर भी गैंग के कुछ स्मार्ट लड़के जिन्हें फिल्मों का शौक था। बोलचाल में भी अच्छे थे और दिखने में भी अच्छे थे ।

उन्हें इंटरव्यू बोर्ड में बैठाया गया। यहां बैठे पीपी गैंग के बदमाशों ने भी लड़कों का इंटरव्यू लेना शुरु किया और उनका जोर केवल इसी बात पर था कि वो ज्यादा से ज्यादा लड़के के आर्थिक बैकग्राउंड के बारे में जानकारी हासिल कर सके।

ऐसे भी बहुत सारे लड़के इंटरव्यू में पहुंचे जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद अच्छी थी लेकिन उनके पिता किसी सरकारी नौकरी में थे या फिर उनका कोई रिश्तेदार सरकार में ऊंचे ओहदे पर काम किया करता था।

पीपी ये नहीं चाहता था कि कोई भी सरकारी नौकर का लड़का इस जाल में फंसे क्योंकि फिर पुलिस पर वो लोग ज्यादा दबाव बनाएंगे और उनका प्लान फेल हो जाएगा। लिहाजा केवल और केवल ऐसे लड़कों को चुना गया जिनके पिता का मोटा बिजनेस हो लेकिन ऐसे संपर्क न हो कि वो पुलिस या सरकार पर दबाव बना सकें।

इंटरव्यू में पहुंचे सौ लोगों से काफी बातचीत के बाद उनमें से केवल बीस लोगों को छांटा गया और बाकी लोगों को वापस भेज दिया गया। इंटरव्यू में पास हुए लड़कों को बताया गया कि वो जल्द ही वो ऑडीशन और स्क्रीन टेस्ट के लिए उनसे संपर्क करेंगे ।

कुछ ही दिन बाद पीपी गैंग ने अपनी प्लानिंग पूरी कर ली। जगह का भी इंतजाम कर लिया । इसके बाद पीपी गैंग के लोगों ने सभी लड़कों को मुंबई के ही एक पांच सितारा होटल में बुलाया । सभी के लिए अलग-अलग कमरे बुक किए गए।

बताई तारीख पर सभी लड़के बताए गए होटल पर अपने परिवार के साथ पहुंच गए। फिल्मी प्रोडक्शन कंपनी के अधिकारी बने पीपी गैंग के गुर्गों ने लड़कों के परिवार को बताया कि वो इन बच्चों को ऑडिशन के लिए पुणे लेकर जा रहे हैं और अगले दिन वो इसी वक्त पर आकर अपने बच्चों को यहां से ले जा सकते हैं। किसी भी परिवार को कोई शक नहीं हुआ। स्लेक्ट हुए लड़कों को पुणे ले जाने के लिए बकायदा लग्जरी बस मंगाई गई थी ।

सभी लड़कों को बस में बैठाया गया । बस मुंबई से छह घंटे का सफर तय करने के बाद एक अहाते नुमा जगह पर पहुंची जहां पर एक बड़ा हाल था साथ ही चार-पांच कमरे भी थे। जब लड़के वहां पर उतरे तो उन्हें ये सबकुछ देखकर शक हुआ लेकिन एक बार को उनको ये भी लगा कि हो सकता है कि फिल्म की कहानी ही कुछ ऐसी हो जिसकी वजह से वो उन्हें ऐसी लोकेशन पर लेकर आए हैं।

एक बार फिर गैंग के लोगों ने वो बॉयोडाटा निकाला और उनमें लिखे टेलीफोन नंबरों को फिर से लड़कों से क्रॉसचैक कराया कि वो उनके ही घर के हैं। जब नंबरों का वेरीफिकेशन हो गया इसके बाद पांच-पांच लड़कों को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया गया। हर कमरे में दो बदमाश भी पिस्टल के साथ बैठ गए। अब पीपी ने किडनैप किए बीस लड़कों के परिवार को फिरौती के लिए फोन करना शुरु किया।

कई परिवार तो रकम देने के लिए राजी हो गए लेकिन कई ऐसे भी थे जो पुलिस के पास पुहंचे। मुंबई के अलग-अलग थानों से एक ही मॉडस ऑपरेंडी से किडनैपिंग की शिकायतें सुनकर मुंबई पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए। उनको समझ में आ गया कि एक साथ बीस लड़कों को अगवा करने के काम मुंबई में दो ही गैंग के लोग कर सकते हैं । उनका शक दाउद और छोटा राजन गैंग पर था। पता किया गया तो मालूम चला कि ये काम छोटा राजन गैंग के शार्प शूटर पीपी ने किया है।

पुलिस ने अब कई टीमें बनाकर मामले की छानबीन करनी शुरु की। इस छानबीन में पुलिस को तीन दिन का वक्त लग गया । तीन दिन बाद पुलिस को उस लोकेशन का पता चला जहां पर किडनैप किए गए लड़कों को रखा गया था।

इस बीच अगवा किए बीस लड़कों में से आठ लड़कों के परिवार ने करोड़ों रुपये की फिरौती छोटा राजन गैंग को पहुंचा दी थी। हालांकि फिरौती मिलने के बाद भी पीपी ने किसी को भी नहीं छोड़ा था।

वो चाहता था कि एक बार सभी लड़कों के परिवारों से फिरौती की रकम मिल जाए उसके बाद एक साथ ही सबको छोड़ेगा लेकिन जब पीपी को भनक लगी की मुंबई पुलिस को ठिकाने का पता चल गया है और वो छापेमारी करनी जा रही है तो पीपी किडनैप किए गए सभी लड़कों को वहीं छोड़कर अपने गैंग के गुर्गों के साथ फरार हो गया।

ऑडीशन के नाम पर किडनैपिंग की कई वारदात हुई हैं लेकिन एक साथ बीस लड़कों की किडनैपिंग का ये मामला फिल्म से जुड़े अपराध में अनूठा ही है।

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