Marital Rape : क्या शादी कर लेने से पति को ये अधिकार मिल जाता है कि वो बीवी से जबरन रेप करे?

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Marital Rape News : आजकल सोशल मीडिया (Social Media) पर मैरिटल रेप को लेकर जंग छिड़ी हुई है. जहां लोग 2 खेमे में बटते नजर आ रहें हैं, साथ ही मैरिटल रेप को लेकर अपने-अपने तर्क भी देते दिख रहें हैं. क्राइम तक ( Crime tak) पर आइए जानते हैं आखिर मैरिटल रेप को लेकर क्यों हो रहा है बवाल?

भारत में घरेलू हिंसा हमेशा से एक गंभीर समस्या रही है और हाल ही के वर्षों में इसमें तेजी भी देखी गई है. वहीं, वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) भी घरेलू हिंसा का ही एक रूप है.

जहां मैरिटल रेप का मतलब है की अपने पार्टनर के साथ जबरन सेक्स (Sex) करना वो भी बिना उसकी सहमती लिए. वैसे तो भारतीय पंरपंरा में पुरूषों को अधिक महत्व दिया गया है लेकिन आज के आधुनिक दौर में भेदभाव की ये खाई भरती नजर आती है. फिर भी हमारे यहां पुरूषों के मुकाबले आज भी महिलाओं को कहीं-कहीं नीचा दिखाया जाता हैं और सताया जाता है.जिससे महिलाएं हिंसा (Violance) का शिकार हो जाती है.

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क्या शादी अपने साथ कोई कंम्पलशन ले आता है? जिसे निभाने के लिए हम बाध्य हो जाते है?क्या मैरेज के बाद हम अपने पार्टनर से उम्मीदें रखने लगते है जो मजबूरन हां में हां मिलाने के लिए बाध्य कर देता है?

जिससे आपसी संबंधों में दरार आने लगती है,इतना ही नहीं कभी - कभी इन रिश्तों में बू आने लगती है. वहीं कुछ सर्वे रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में एक बड़े तबके की शादी-शुदा महिलाएं इस वैवाहिक रेप (Marital Rape) की शिकार होती है और आज भी ये स्थिति बेहद डरावनी हैं. रिपोर्ट बताती है कि देश में 29 फीसदी महिलाएं किसी ना किसी रूप में अपने पति की यौन हिंसा की शिकार होती है.

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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार 20 जनवरी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैंच की सुनवाई कर रही थी,जिसमें पति द्वारा उसकी पत्नी के साथ जबरन सेक्स को जायज ठहराता है.

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लेकिन याचिकाकर्ता यानी पत्नी ने आईपीसी की धारा 375(2) के तहत् इसे मैरिटल रेप का कसूरवार ठहराते हुए कोर्ट में चैंलेज किया है कि ये अपराध है जिसकी सजा मिलनी चाहिए.वहीं धारा 375(2) में एक शादी-शुदा कपल के बीच सेक्स(Sex) को ही तवज्जों दी गई है.

वहीं इस मामले में पेश वकिल रेबेका जॉन ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ से कहा कि आईपीसी(IPC) की धारा 375(2) को हटाया जाए.इसके साथ ही मैरिटल रेप के लिए कानूनी सजा का प्रावधान किया जाए जिससे अनगिनत लोगों को सहायता प्राप्त हो सके.

स्वतंत्र विचार बनाम भारत संघ (2017) का फैसला जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के साथ सेक्स के लिए "15 साल" को "18 साल" के रूप में पढ़ा था.जिसमें 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ संबंध बनाने को रेप ही माना था.

"इसलिए एक मैरिड कपल की NO का सम्मान किया जाना चाहिए.ये मामला बहुत संवेदनशील है इसलिए इसपर चर्चा करना आज के समय की मांग बनी हुई है.वहीं बलात्कार तो अपने आप में एक गंभीर अपराध जिसके बाद सर्वाइवल को उभरने में सालों -साल लग जाते हैं.फिर मैरिटल रेप जैसी घिनौनी हरकत को तो क्रिमीनलाइज करना जायज है.

आज के समय में दुनिया के लगभग 100 से ज्यादा देशों में मैरिटल रेप को क्रिमीनलाइज किया गया है,लेकिन दुर्भाग्य से भारत विश्व के उन 36 देशों में से एक है जहाँ मैरिटल रेप(Marital Rape) को आज भी अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है.

NOTE- ये स्टोरी क्राइम तक के साथ इंटर्नशिप कर रही अश्विनी सिंह ने लिखी हैं.

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