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Superme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) के एक मामले में फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई लड़की किसी व्यक्ति के साथ अपनी इच्छा से रह रही है और इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध (Physical Realtionship) बनते हैं. लेकिन जब संबंध टूट जाता है तो फिर युवक के खिलाफ रेप (Rape) का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है.
जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और जस्टिस विक्रम नाथ (Justice Vikram Nath) की बेंच ने भारतीय रेलवे में एक सहायक लोको पायलट की ओर से दायर याचिका पर उसे जमानत दे दी. सहायक लोको पायलट के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (2) (एन), 377 और 506 के तहत मामला दर्ज था और राजस्थान हाई कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. इस मामले में अपीलकर्ता की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता करने वाली युवती चार साल तक युवक के साथ रिलेशनशिप में थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी थे. चूंकि अब दोनों के बीच रिलेशनशिप नहीं है तो ऐसे में आईपीसी की धारा 376 (2) (एन) के तहत एफआईआर का आधार नहीं हो सकता है. राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत की मांग करने वाले अपीलकर्ता को बेल दी जाएगी और वह लंबित जांच में सहयोग भी करेगा.
अपीलकर्ता युवक ने कोर्ट के सामने रखे तर्क
अपील करने वाले युवक की ओर से कोर्ट के सामने यह तर्क दिया गया कि उसके और शिकायतकर्ता युवती के बीच 2015 से सहमति से संबंध थे. रिलेशनशिप खत्म होने के बाद युवती की ओर से धारा 376 (2), 377 और 506 के तहत मामला दर्ज कराया गया था.
युवक ने कोर्ट को बताया कि 2015 में जब वह करीब 18 साल का था. इस दौरान उसने करीब 20 साल की युवती के साथ सहमति से संबंध बनाए थे. युवती ने किसी और से शादी कर ली थी. इस बारे में युवक को कोई जानकारी नहीं था.
जमानत की मांग करने वाले युवक के वकील अर्जुन सिंह भाटी ने बताया कि 2021 उनके मुवक्कील की सरकारी नौकरी लगी. इसके बाद दोनों अलग हो गए. 2019 के बीच दोनों के बीच कोई संबंध नहीं था. इसके बावजूद युवती की ओर से युवक को परेशान करने के लिए झूठे मामले दर्ज कराए गए. युवती ने पैसे उगाही के लिए दर्ज कराए गए मामले में युवती की ओर से युवक के पिता और भाई को भी आरोपी बनाया गया था.