
’
Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई युवती दोस्ती के लिए सहमति दे रही है, इसका मतलब यह कतई नहीं है, महिला उस पुरुष को शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दे रही है.
हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की ओर से दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा हर महिला रिश्ते में 'सम्मान' की उम्मीद करती है, चाहे वह आपसी स्नेह पर आधारित दोस्ती ही क्यों न हो. लेकिन इस केस में आरोपी ने पहले दोस्ती की, फिर शादी का झांसा देकर कई बार यौन संबंध बनाए, जब शिकायतकर्ता गर्भवती हो गई तो आरोपी ने उस पर गंभीर आरोप लगाए.
इस मामले में शिकायतकर्ता 22 साल की युवती है, जो आरोपी से परिचित थी. साल 2019 में जब वह अपनी सहेली के साथ किसी दोस्त के घर गई तो आरोपी ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया. इतना ही नहीं, जब युवती ने इसका विरोध किया तो आरोपी ने कहा कि वह उसे पसंद करता है और उससे शादी करेगा. इसके बाद कई बार आरोपी ने युवती से शारीरिक संबंध स्थापित किए.
पीड़िता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि आरोपी ने उसे इस बात का आश्वासन दिया था कि वह उससे शादी करेगा. इसके बाद आरोपी ने कई बार शारीरिक संबंध बनाए. लेकिन जब पीड़िता 6 सप्ताह की प्रेग्नेंट हो गई तो उसने आरोपी से संपर्क किया. लेकिन आरोपी ने बच्चे की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, आरोपी ने युवती के कैरेक्टर को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए. आरोप लगाया कि वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ रिलेशनशिप में है. युवती ने शिकायत में बताया कि वह बार-बार आरोपी से शादी की गुहार लगाती रही, लेकिन आऱोपी ने एक न सुनी.
न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि वर्तमान में जब पुरुष और महिला एक साथ काम कर रहे हैं, तो यह संभव है कि उनके बीच दोस्ती हो जाए, निकटता बढ़ जाए, या फिर दोनों के विचार मिलने लगें. लेकिन दोस्ती करने का मतलब यह कतई नहीं है कि महिला उस पुरुष को शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दे रही है.