33000 फुट ऊंचाई पर हुए प्लेन क्रैश में दुनिया की एकमात्र जिंदा बची वेस्ना वुलोविक की पूरी कहानी

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Vesna Vulovic Story : हवा में कोई प्लेन क्रैश हो जाए? ये प्लैन क्रेश भी कुछ कम ऊंचाई पर नहीं बल्कि 33 हजार फुट की ऊंचाई पर हो. तब क्या होगा. किसी का बचना संभव है. शायद ये पढ़ते वक्त लोग ये भी सोचें कि ये सवाल पूछना ही गलत है. भला 33 हजार फुट की ऊंचाई पर कोई प्लेन क्रैश हो जाए. उसके कई टुकड़े हो जाएं. फिर भी किसी इंसान की जान बच जाए. ये सोचना ही गलत है.

पर आज क्राइम की कहानी (Crime Stories in Hindi) में उस प्लेन क्रैश की कहानी जिसमें एक लड़की जिंदा बच गई. वो बिना पैराशूट के नीचे गिरी पर उसकी सांसें चलती रहीं. जिसे लोग कहते थे कि वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत लड़की है वो खुद को दुनिया की सबसे बदकिस्मत क्यों बताने लगीं. जानिए पूरी कहानी.

Vesna Vulovic Story in Hindi : ये हादसा चेकोस्लॉविया देश में हुआ था. सेंट्रल यूरोप का एक देश. जो 1918 में ऑस्ट्रिया-हंगरी से आजाद देश बना था. उस दिन तारीख थी 26 जनवरी. साल 1972. एक एयरोप्लेन ने स्वीडन के स्टाकहोम से सर्बिया के बेलग्रेड के बीच उड़ान भरी थी. इस फ्लाइट का नाम था JAT FLIGHT-367. उड़ान भरने के करीब 46 मिनट बीत चुके थे.

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फ्लाइट में कुल 28 यात्री सवार थे. उस समय तक सबकुछ ठीक चल रहा था. फ्लाइट उस समय करीब 33 हजार फुट की ऊंचाई पर थी. एक एयरहोस्टेस खाने के सामान की ट्रॉली लेकर पैसेंजर्स को देने आ रही थी. तभी फ्लाइट के लगेज कंपार्टमेंट में एक जोरदार धमाका हुआ. धमाका इतना तेज था कि हवा में ही प्लेन के तीन टुकड़े हो गए.

प्लेन में आग लग गई और तेजी से फ्लाइट पूरे मलबे में तब्दील हो गई. इस धमाके के साथ प्लेन के टुकड़े नीचे गिरे. जहां ये टुकड़े गिरे वो जगह थी चेकोस्लॉविया के एक गांव के पास. वहां बर्फ की मोटी चादर फैली हुई थी. उन्हीं बर्फ के ढेर में प्लेन का मलबा गिरा.

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Vesna Vulovic Story : जब ये हादसा हुआ तो वहां से कुछ दूरी पर रहने वाले एक गांव वाले उसे देख रहे थे. उस शख्स का नाम था ब्रूनो होंक (Bruno Honke). जब वहां प्लेन का मलबा गिरा तब वो जल ही रहा था. उसी समय ब्रूनो वहां पर पहुंचे. उसी समय अचानक उनकी नजर एक जगह जाकर ठिठक गई. यकीन नहीं हुआ. क्योंकि एक जगह कुछ हलचल हो रही थी. दर्द से कराहने की कुछ आवाज आई. उस दर्द भरी आवाज का पीछा करते हुए ब्रूनो वहां पहुंचे. देखा एक लड़की फंसी हुई है.

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चूंकि ब्रूनो दूसरे विश्व युद्ध में मेडिकल टीम का हिस्सा रहे थे. इसलिए उन्होंने तुरंत उस लड़की को बेहद ही संभालकर बाहर निकाला और फर्स्ट ऐड दिया. उस लड़की के दिमाग में गहरी चोट लगी थी. पैर की हड्डियां टूट गईं थीं. मांसपेशियां फट गईं थीं. अब जैसे ही उस लड़की को फर्स्ट-ऐड मिला उसके बाद ही वो लड़की कोमा में चली गई. करीब 2 हफ्ते बाद उन्हें फिर होश आया था. वो 23 साल की लड़की थी वेस्ना वुलोविक (Vesna Vulovic).

सर्बिया के बेलग्रेड की रहने वाली. इस फ्लाइट के क्रैश होने में एक मात्र जिंदा बची लड़की. जो 33 हजार फुट की ऊंचाई से बिना पैराशूट के नीचे गिरी और जिंदा बच गई थी. ये खबर पूरी दुनिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थी.

क्योंकि इस पर किसी को भरोसा कर पाना ही मुश्किल था. पर ये सच था. खुद वेस्ना वुलोविक को भी ये यकीन नहीं था कि आखिर वो जिंदा बची तो कैसे. पर उस समय उसके कमर से निचला वाला हिस्सा काम ही नहीं कर रहा था. वो पैरालाइज्ड हो चुकी थी. वो चल नहीं सकती थी. पर ये चमत्कार कैसे हुआ. वो कैसे बच गई. इस पर रिसर्च होने लगी.

Vesna Vulovic kahani : असल में इसके पीछे कई वजहों का पता चला. जिसके चलते प्लेन में एकमात्र वो लड़की बच सकी थी. दरअसल, इसके पीछे बड़ी वजह थी वेस्ना वुलोविक का लो-ब्लड प्रेशर का होना. दूसरी वजह थी जब ये हादसा हुआ तब वह खाने की ट्रॉली लेकर आ रही थी. उसी समय प्लेन क्रैश हुआ और तीन टुकड़े हुए तो ट्रॉली प्लेन के एक हिस्से में टकराकर फंस गई थी.

इसी प्लेन और ट्रॉली के बीच के स्पेस में वेस्ना ऐसे फंसी कि वो दोनों तरफ से कवर हो गई. तीसरी वजह थी प्लेन क्रैश होने के बाद बर्फ की मोटी चादर पर गिरना. क्योंकि जब वो 33 हजार फुट की ऊंचाई से नीचे गिरी तो बर्फ से टकराने की वजह से काफी हद तक क्रिया-प्रतिक्रिया जैसा रिएक्शन नहीं हुआ था.

अब यहां पर सवाल उठता है कि आखिर वेस्ना को लो-ब्लड प्रेशर की वजह से कैसे जान बची. असल, में जब किसी का लो ब्लड प्रेशर होता है तो उसे किसी फ्लाइट में नौकरी ही नहीं मिल सकती थी. लेकिन वेस्ना को एयरोप्लेन में ही काम करने की इच्छा थी. इसके पीछे की कहानी ये है कि वेस्ना एक बार फ्लाइट से लंदन घूमने गई थी.

उसी दौरान उसे लगा कि वो फ्लाइट अटेंडेंट बन सकती है. इसलिए 22 साल की उम्र में वो अपने इस सपने को पूरा करने के लिए एक दोस्त से मिली. साल 1971 में उसे सर्बिया की नंबर-1 एयरलाइंस में उसे नौकरी मिल गई. लेकिन नौकरी मिलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

Vesna Vulovic Plan Crash Story : असल में मेडिकली वेस्ना वुलोविक को एयरलाइंस में नौकरी नहीं मिलनी चाहिए थी. क्योंकि उसका ब्लड प्रेशर लो रहता था. लेकिन लिखित परीक्षा पास करने के बाद उसकी मेडिकल जांच होने वाली थी तब उसने काफी मात्रा में कॉफी (Coffee) पी ली थी. कॉफी पीने से उसका ब्लड प्रेशर बढ़ गया. यानी लो-ब्लड प्रेशर अब नॉर्मल हो गया था और मेडिकल जांच में वो पास हो गई. इस तरह उसे एयरलाइंस में नौकरी मिल गई थी.

इस हादसे से पहले सिर्फ 8 महीने तक उसने नौकरी की थी. जब उसके 8 महीने की नौकरी हुई थी तब उसे JAT Flight 367 का क्रू मेंबर बनाया गया. जिस 26 जनवरी 1972 को ये हादसा हुआ था उस दिन भी इत्तेफाक से उस फ्लाइट में वेस्ना को नहीं होना था. असल में उस फ्लाइट में वेस्ना नाम की दूसरी लड़की की ड्यूटी थी. लेकिन नाम समान होने की वजह से स्टॉकहोम से बेलग्रेड जाने वाली फ्लाइट में वेस्ना वुलोविक की ड्यूटी हो गई थी.

इस हादसे के बाद में 28 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में एक मात्र जिंदा बचने के बाद वेस्ना वुलोविक को पैराग्वे के हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. उसमें इलाज के करीब 10 महीने बाद ही वेस्ना फिर से चलने-फिरने लगी थी. लेकिन उसकी शारीरिक हालत ऐसी हो गई थी कि वो कभी मां नहीं बन सकती थी.

इस वजह से उनकी शादी तो हुई पर जल्द ही तलाक भी हो गया था. वेस्ना वुलोविक ने एयरलाइंस से फिर से ड्यूटी ज्वाइन करने की भी बात कही. पर उसे मना कर दिया गया. क्योंकि अगर उसे कोई फ्लाइट में देखता पैसेंजर्स को उस हादसे की याद आती और डर जाते.

Vesna Vulovic Story : लेकिन यहां ये जानना जरूरी है कि आखिर 33 हजार फुट की ऊंचाई पर वो हादसा हुआ कैसे था. तो बताया जाता है कि ये हादसा नहीं बल्कि आतंकी हमला था. बम को किसी सुटकेस के जरिए फ्लाइट के लगेज कंपार्टमेंट में रखा गया था. उस जमाने में एयरपोर्ट पर आज के जैसी चेकिंग भी नहीं होती थी.

लेकिन इस घटना से जुड़े संदिग्ध आतंकियों के बारे में आज तक कोई सुराग नहीं मिल सका है. लेकिन इस हादसे के कई साल बाद साल 2002 में एक इंटरव्यू के दौरान वेस्ना ने बताया था कि ‘मेरे सहयोगियों को लग ही रहा था कि कुछ ना कुछ गलत होने ही वाला है क्योंकि पायलट ने इस उड़ान से पहले करीब 24 घंटे तक खुद को होटल के कमरे में बंद करके रखा था। वो अपने कमरे से बाहर भी नहीं आना चाहते थे.’

इसके अलावा, जब वेस्ना का हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था तब वहां आसपास इतनी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी ताकि कोई एकमात्र जिंदा बची लड़की पर फिर कोई अटैक ना हो सके. लेकिन वेस्ना का इस हादसे में बचना और उसके लो-ब्लड प्रेशर का इससे क्या लेनादेना है.

इस बारे में एक्सपर्ट डॉक्टर बताते हैं कि...

जब भी आप हजारों फुट की ऊंचाई पर होते हैं और अचानक ऐसा हादसा होता है तो ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता है और फिर ऑक्सीजन की कमी से दिल फट जाता है. उस फ्लाइट में दूसरे यात्रियों के साथ ऐसा ही हुआ होगा. लेकिन वेस्ना वुलोविक का ब्लड प्रेशर लो था. ऐसे में उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा भी तो सामान्य लोगों की तुलना में काफी कम रहा होगा. इसलिए वो सर्वाइव कर गई. इसके अलावा वो खाने की ट्रॉली और फ्लाइट के एक हिस्से के बीच में बने स्पेस में फंस गई थी तो आग की लपटों से बच गई और नीचे बर्फ की चादर से टकराने के बाद भी उसे उतना झटका नहीं लगा जितना सामान्यतौर पर लगता है. इन्हीं वजहों से उसकी जान बच गई.

Vesna Vulovic Story : 33 हजार फुट की ऊंचाई से बिना पैराशूट जमीन पर जिंदा आने की वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में साल 1985 में नाम दर्ज हुआ. आज भी ये रिकॉर्ड नहीं टूट पाया. और शायद ही ये रिकॉर्ड कभी टूट भी सके. पूरी दुनिया इस हादसे में बची वेस्ना वुलोविक को बड़ी किस्मत वाले मानते हैं.

लेकिन खुद वेस्ना वुलोविक अपनेआप को दुनिया की सबसे बदकिस्मती मानती थी. क्योंकि इस हादसे में भले ही वो बच गईं लेकिन उनकी हंसती-खेलती जिंदगी उसी दिन से बर्बाद हो गई. क्योंकि वो जिंदा तो थी लेकिन सामान्य इंसान की तरह नहीं. क्योंकि मेरी सेवा और इलाज कराते-कराते माता-पिता की मौत हो गई. वो खुद एक कमरे में रहने को मजबूर हो गई थीं.

कभी देश के लिए हीरो बन चुकी वेस्ना 66 साल की उम्र में साल 2016 में जब एक बंद कमरे में आखिरी सांसें ली तब उन्हें देशभक्त नहीं बल्कि देशविरोधी कहा गया था. असल में यूगोस्लाविया के टूटने के दौरान सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शनों में उन्होंने भाग लिया था. जिस वजह से 1990 के दशक की शुरुआत में उन्हें जेट एयरलाइंस की नौकरी से निकाल दिया गया था. इससे पहले, तक उन्हें सैलरी भी मिलती रही थी. अक्टूबर 2000 तक वो राजनीति में भी काफी सक्रिय रहीं थीं. पर मौत से कई दिन पहले से ही वो पूरी दुनिया से अलग थलग थीं. कहा जाता है कि उनकी मौत के कुछ दिन बाद ही दुनिया को इसकी खबर मिल सकी थी.

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