उसे ऐसे क़त्ल करना था कि इंसान मर जाए और हत्या की वजह भी ना मिले, छाते से हुए 3 मर्डर की अजीब कहानी

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Murder Mystery : दुनिया में ऐसे क़त्ल भी हुए जिनमें कोई सुराग नहीं मिला. सच में कहें तो पहले उसे क़त्ल माना ही नहीं गया. इसे सामान्य मौत समझकर पुलिस ने भी फाइल बंद कर दी. क्योंकि जहां ये मौत हुई वहां ऐसा कुछ नहीं था जिसे देखकर कोई कह सके ये मर्डर है. ऐसा ही कुछ हुआ था अपने देश के चेन्नई शहर में.

इस शहर के अलग-अलग इलाकों में 3 ऐसी मौतें हुईं थी जिनका रहस्य ना पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से सुलझ पाया था. और ना ही स्मार्ट और एक से बढ़कर एक धुरंधर इन्वेस्टिगेशन करने वाले पुलिस अधिकारी ही सॉल्व कर पाए थे. फिर अचानक चोरी की एक घटना ने इन मौतों पर से ऐसा पर्दा उठाया कि उसे जानकर पूरा तमिलनाडु ही उस वक्त चौंक गया था. आज क्राइम की कहानी (Crime Stories in Hindi) उसी मर्डर मिस्ट्री से जुड़ी जिसे KGB के जासूस की तर्ज पर अंजाम दिया गया था.

Crime ki Kahani : क्राइम की ये अनोखी वारदात है तमिलनाडु के चेन्नई शहर की. तारीख 19 अप्रैल. साल 2015. चेन्नई में एक जगह है. उसका नाम है थाउजेंड्स लाइट्स रोड (Thousands light Roads).चेन्नई में ये जगह कपड़ों की शॉपिंग के लिए बेहद फेमस हैं. यहां देश के बेहतर फैब्रिक वाले कपड़ों के शोरूम हैं. इसी जगह पर गर्मियों के उन दिनों में एक युवक की लाश मिलती है. सड़क के किनारे.

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वो युवक सड़क से गुजर रहा था. उसी दौरान अचानक चलते हुए बेहोश हो गया था. इसके बाद जब लोग वहां पहुंचे तो कुछ मिनट बाद ही उसकी सांसें बंद हो गईं थीं. अस्पताल में ले जाया गया. वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था.

उस युवक की पहचान जॉन फिलोमेनन (John Philomenon) के रूप में हुई थी. पुलिस ने इस केस में कई दिनों तक जांच की. फिर इस घटना को हार्ट अटैक बताकर केस बंद कर दिया था. वैसे भी हार्ट अटैक को सामान्य मौत माना जाता है. पुलिस ने भी इस केस को आगे नहीं बढ़ाया.

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Murder Mystery ki Kahani : अभी एक महीने भी नहीं बीते थे कि एक और ऐसे ही बेहद ही संदिग्ध हालात में एक शख्स की मौत हो जाती है. तारीख 17 मई 2015. चेन्नई से करीब 90 किलोमीटर दूर एक जगह है उत्तिरामेरूर (Uthiramerur). इस इलाके में एक युवक की लाश मिलती है. उसका नाम था श्रीधर.

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इस शख्स की लाश भी सड़क किनारे मिलती है. ठीक वैसे ही मौत होती है जैसे जॉन फिलोमेनन की हुई थी. सड़क पर चलते हुए अचानक बेहोश होता है. फिर मौत हो जाती है. मौत की वजह का कुछ पता नहीं चलता है. एक बार फिर पुलिस कुछ दिनों तक जांच करती है. और फिर केस को बंद कर देती है. चूंकि चेन्नई के थाउजेंड्स लाइट्स रोड से इस जगह की दूरी करीब 95 किमी की होती है. ऐसे में दोनों केस में पुलिस को उस समय कोई लिंक नहीं मिलता है. और ना ही कोई वजह मिलती है.

अब कुछ महीने का वक्त बीतता है. दूसरी मौत से करीब-करीब 5 महीने का फासला. अब 10 अक्टूबर 2015 को एक और मौत होती है. ये मौत हेनरी नामक युवक की होती है. उसकी लाश मदिपक्कम (Madipakkam) इलाके में होती है. इसकी भी मौत ठीक वैसी ही होती है जैसे पहले दो मौतें हुईं होती हैं. लेकिन तीनों मौतों में कोई लिंक नहीं मिलता है. और आखिरकार सभी केस में पुलिस संदिग्ध हालात में मौत का केस बताकर फाइल बंद कर देती है.

अब इस केस के कई महीने गुजर जाते हैं. तीनों की मौत को लेकर ना कोई ज्यादा आवाज उठाता है. और ना ही कोई जांच होती है. पुलिस भी इसे सामान्य मौत समझकर भूल जाती है. तभी अचानक इस केस में नया मोड़ आता है. वो भी एक चोरी के केस से.

दरअसल, चेन्नई के इंजमबक्कम ( Injambakkam ) एरिया की हनुमान कॉलोनी में रहने वाले एक बड़े कारोबारी पास के थाने में आते हैं. वो तारीख थी 4 अप्रैल साल 2016. उम्र करीब 41 साल. नाम स्टीफन. रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी. करोड़ों की संपत्ति. थाने में शिकायत देते हैं कि उनके घर से लाखों की ज्वैलरी और कई कीमती सामान चोरी हुए हैं.

अब उनकी एफआईआर लिखकर पुलिस जांच शुरू करती है. पुलिस उनके घर और आसपास के एरिया में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच करती है. अब सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को बड़ा सुराग मिलता है. जिसके आधार पर पुलिस ने चोरी का खुलासा भी कर दिया.

अब चेन्नई पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ लिया. तीनों आरोपी चोरी की शिकायत करने वाले करोड़पति स्टीफन के जानने वाले ही निकले. तीनों आरोपी थे 32 साल का बालाजी, 27 साल का मुरुगआनंदम और 26 साल का सतीश. इनमें से बालाजी और मुरुगआनंदम तो स्टीफन के पुराने ड्राइवर ही थे. जबकि सतीश इंजीनियर था. वो स्टीफन का पहचान वाला ही था.

अब पुलिस ने जब इनकी तलाशी ली तो लाखों रुपये के सोने-चांदी तो मिले ही. साथ में कुछ चोरी हुईं कुछ ऐसी चीजें बरामद हुईं जिसे देखकर पुलिस दंग रह गई. असल में कुछ इनके पास से 9mm की दो पिस्टल और 1 किलो पोटेशियम साइनाइड मिला.

अब सोने-चांदी की चोरी के सामान का बरामद होने तो पुलिस को समझ में आ गया लेकिन पिस्टल और पोटेशियम साइनाइड ने होश उड़ा दिए. 9mm की पिस्टल तो आम लोगों के लिए इंडिया में प्रतिबंधित है. इसका इस्तेमाल सिर्फ पुलिस और सुरक्षा में लगे सरकारी अधिकारी ही कर सकते हैं. और पोटेशियम साइनाइड तो जानलेवा है ही.

अब पुलिस इस बात की जांच करने लगे कि आखिर ये पिस्टल और ये जानलेवा रसायन आखिर करोड़पति स्टीफन के घर में किस लिए थी. अब पुलिस इसकी जांच में जुटी तो वह पुलिस को चकमा देने लगा.

इसके बाद पुलिस ने स्टीफन का बैकग्राउंड चेक किया. तब पता चला कि स्टीफन की पत्नी का नाम मैरी रोजलीन था. दोनों पति-पत्नी में विवाद होता रहता था. कई बार स्टीफन ने अपनी पत्नी को धमकाया भी था. इसके बाद मैरी रोजलीन के भाई जॉन फिलोमेनन ने उत्तिरामेरूर पुलिस थाने में स्टीफन के खिलाफ शिकायत भी दी थी.

जिसके बाद स्टीफन और जॉन फिलोमेनन में काफी बहस और कहासुनी भी हुई थी. अब पुलिस जॉन फिलोमेनन के बारे में पता लगाई तब सामने आया कि उसी की 19 अप्रैल 2015 को मौत हुई थी. उसकी लाश चेन्नई के थाउजैंड्स लाइट्स रोड पर मिली थी. जिसकी मौत की वजह का पता नहीं चल पाया था.

अब पुलिस फिर से उस केस को री-ओपन करती है. जांच करती है. शव को कब्र से निकालकर फिर फॉरेंसिक जांच कराने का फैसला लिया जाता है. इसी तरह पुलिस उन तीनों संदिग्ध हालात में हुई मौतों की जांच शुरू करती है तो पता चलता है कि तीनों से स्टीफन का कोई ना कोई लेना देना था.

फिर पुलिस को पता चलता है कि 17 मई 2015 को जिस श्रीधर की लाश उत्तिरामेरूर में मिली थी उसकी पत्नी से स्टीफन का अफेयर था. लेकिन श्रीधर को इसकी जानकारी हो गई तो वो स्टीफन को बार-बार धमकी देता था.

इसी तरह, 10 अक्टूबर 2015 को हेनरी की मौत से भी स्टीफन का लिंक मिल गया. असल में इसकी पत्नी से भी स्टीफन रिलेशनशिप में था. इसलिए हेनरी को भी रास्ते से हटाने के लिए मार दिया था. लेकिन इन तीनों को स्टीफन ने कैसे मारा था. इस बात की पूछताछ हुई तब स्टीफन ने क्राइम की पूरी कहानी सुनाई.

स्टीफन ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी पत्नी के भाई की सबसे पहले हत्या की थी. उसे वो ऐसे मारना चाहता था कि उसकी मौत भी हो जाए और मौत की वजह का पता भी नहीं चल सके. इसलिए वो कई दिनों तक इंटरनेट पर ऐसी मौत का पता लगाता रहा जिसमें कातिल पकड़ा नहीं गया हो. इसी सर्च के दौरान उसे आखिरकार मर्डर की एक कहानी मिल भी गई. ये कहानी थी एक जर्मन डॉक्युमेंट्री की. जिसका नाम था- साइलेंस्ड: जॉर्जी मार्कोव एंड अम्ब्रेला मर्डर (Silenced : Georgi Markov and The Umbrella Murder).

असल में ये डॉक्युमेंट्री एक सच्ची घटना पर बनी थी. ये घटना थी 1978 की. जब बुल्गारिया के एक राइटर जॉर्जी मर्कोव का अनोखे तरीके से मर्डर हुआ था. जॉर्जी मार्कोव बीबीसी में पत्रकार थे. इनका लंदन में मर्डर हुआ था. इसे अंब्रेला मर्डर कहा गया था. असल में मर्कोव जब एक बार बस में जा रहे थे तभी एक हट्टे-कट्टे आदमी ने उनके पास आया और अचानक लड़खड़ा गया. उसी दौरान उसके हाथ से छाता छूट गया और वो जॉर्जी मार्कोव के ऊपर गिर गया. इस हादसे के बाद उस शख्स ने मर्कोव से माफी मांग ली और आगे निकल गया.

थोड़ी देर बाद ही मर्कोव को अहसास हुआ कि उनकी जांघ में कुछ चुभा है. इसके बाद वो घर चले गए. फिर तीन दिन के अंदर उन्हें बहुत ज्यादा बुखार हुआ और फिर मौत हो गई. असल में इसकी जांच में पता चला कि छाते के पिन पर रिसिन नामक एक जहर लगाया गया था. इसे रूस की खुफिया एजेंसी KGB ने तैयार किया था. इस केस में कोई पकड़ में नहीं आया. इसमें संदेह के आधार पर लोग पकड़े गए लेकिन कातिल के खिलाफ सबूत नहीं मिल पाया.

अब इसी फिल्म को देखकर स्टीफन ने भी वही तरीका अपनाया. जिनसे स्टीफन नाराज था उन्हें मारने के लिए सबसे पहले तो 16 लाख रुपये की पिस्टल खरीदी थी. लेकिन इनके बारे में स्टीफन ने बताया कि उसे वो अपनी सुरक्षा के लिए खरीदा थी. इसके बाद उसने डेढ़ लाख रुपये में किसी तरह से पोटेशियम साइनाइड खरीदा था.

अब इसे उसी KGB वाले जासूस के तरीके से हत्या करने के लिए एक छाता खरीदा. छाते के आगे पिन यानी नुकीले वाले हिस्से को काटकर उसमें एक सीरिंज फिट की थी. अब उसी सीरिंज में उसने पोटेशियम साइनाइड डालकर तीन मर्डर किए थे. उसी डॉर्जी मार्कोव की हत्या की तरह ही स्टीफन ने भी तीनों की जांघों पर छाता गिराकर सीरिंज चुभा दी थी.

पुलिस की जांच में पाया गया था कि उस केमिकल की वजह से महज 10 मिनट में किसी की मौत हो सकती है. फॉरेंसिक जांच में ये भी पाया गया कि साइनाइड वाले सीरिंज से हुई मौत में ऐसा लगता था कि जैसे हार्ट अटैक से मौत हुई है. अब पुलिस ने जब इस केस में चार्जशीट तैयार की तो बताया कि स्टीफन कहने के लिए रियल एस्टेट का कारोबारी थी, हकीकत में वो सट्टे से जुड़ा था.

उसी से वो करोड़ों रुपये कमा चुका था. पुलिस ने ये भी बताया कि चेन्नई में उस समय हुए 3 मर्डर का आज भी खुलासा नहीं हो पाता अगर स्टीफन के घर में चोरी नहीं होती. अगर वो चोरी की शिकायत नहीं करता तो भी इन तीन हत्याओं का खुलासा शायद ही हो पाता.

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