मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
Delhi Court News: उमर अंसारी को 13 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
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Delhi Court News: जेल में बंद मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उमर अंसारी को अग्रिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। उमर अंसारी को 13 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस मामले की एफआईआर अगस्त 2020 को राजस्व अधिकारी सुरजन लाल ने लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। इन एफआईआर को खारिज करने की मांग लिए वे हाई कोर्ट पहुंचे थे।
फर्जी तरीके से संपत्ति अपने नाम कराने का आरोप
एफआईआर में उमर अंसारी कथित फर्जी तरीके से संपत्ति अपने नाम कराने का आरोप है। उमर पर आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उमर की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया। उच्च न्यायालय ने उमर की अग्रिम जमानत अर्जी 13 अप्रैल को खारिज कर दी थी। अदालत ने, गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार के दूसरे बेटे अब्बास अंसारी की, इसी मामले में दायर आरोप पत्र को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका भी खारिज कर दी थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत नही दी थी
उच्च न्यायालय ने दोनों भाइयों द्वारा स्वतंत्र रूप से दाखिल याचिकाओं पर उक्त आदेश पारित किए थे। अंसारी बंधुओं की तरफ से दलील दी गई थी कि संपत्ति का म्यूटेशन (नामांतरण) उनके जन्म से पहले उनके पूर्वजों के नाम पर था और इसलिए उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। वहीं, सरकार की ओर से पेश वकील ने इन याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया था कि दोनों पर अपनी दादी के फर्जी दस्तखत करने का भी आरोप है, इसलिए उनके खिलाफ स्पष्ट अपराध बनता है। राजस्व अधिकारी सुरजन लाल ने 27 अगस्त 2020 को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि मुख्तार और उनके बेटों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर निष्क्रांत संपत्ति हड़प ली। निष्क्रांत संपत्ति शब्द का इस्तेमाल उन संपत्तियों के संदर्भ में किया जाता है, जो बंटवारे के दौरान भारत से पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई थीं। ये संपत्तियां आमतौर पर उन लोगों को आवंटित की जाती हैं, जो उस समय पाकिस्तान से भारत में आ बसे थे।
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