तिहाड़ जेल में आराम से मिलती है मसाज़, मिनरल वॉटर और मोबाइल...बस इनकी कृपा चाहिए!
Tihar Jail in Question: कहने को तो तिहाड़ जेल में सजायाफ्ता कैदियों को रखा जाता है लेकिन असल में यहां मोबाइल, मिनरल वॉटर से लेकर मसाज तक सब कुछ मुहैया होता है, बस कैदियों को इतना ही कुछ करना होता है।
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मंगलवार की सुबह सवेरे देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश को एक झकझोरते हुए सवाल ने बुरी तरह झकझोरते हुए जगाया। मंगलवार की सुबह ही तिहाड़ जेल से गैंगवॉर और एक गैंग्स्टर के कत्ल की खबर सामने आई। कत्ल हुआ था सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया और कत्ल का इल्जाम लगा था उसके पुराने दोस्त और नए जानी दुश्मन जितेंद्र गोगी गैंग पर। टिल्लू और गोगी की दुश्मनी जितनी खतरनाक थी, उनके कत्ल और कत्ल की जगह भी उतनी ही अजीब... एक तरफ जितेंद्र गोगी का कत्ल जहां भरी अदालत के अंदर हुआ, वहीं टिल्लू का कत्ल जेल के अंदर... अदालत और जेल का एक दूसरे से करीबी रिश्ता है... किसी भी जुर्म में गुनहगारों को सज़ा सुनाए जाने के लिए पहले अदालत में ही लाया जाता है और फिर सज़ा के बाद जेल ही उनका ठिकाना होता है... यानी अदालत गुनहगारों को जेल की सलाखों के पीछे भेज कर उनके जुर्म का हिसाब-किताब करती है... लेकिन यहां पहला जुर्म अदालत के अंदर हुआ, दूसरा तिहाड़ जेल के अंदर, जहां जुर्म को अंजाम देनेवालों का हिसाब किताब होता है...
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस तिहाड़ जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल के तौर पर होती है, आखिर उसी जेल में गैंगस्टर कर एक दूसरे पर हमला कैसे कर डालते हैं? कैसे पलक झपकते वो एक दूसरे की जान ले लेते हैं? आखिर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह जाती है? क्यों साल दर साल तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला चलता ही रहता है? तो इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको तिहाड़ जेल को करीब से देखने और समझने की जरूरत है... तिहाड़ को बेशक हाई सिक्योरिटी जेलों में गिना जाता हो, लेकिन इसके अंदर होनेवाली गैंगवार की वारदात यहां के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलती है...
पिछले 9 सालों में तिहाड़ जेल में गैंगवार की कुल 12 बड़ी वारदात हो चुकी हैं, जिनमें 9 कैदियों की मौत हुई है... जबकि इन गैंगवार में कुछ जेल कर्मियों समेत कुल 47 लोग घायल हुए हैं...
अब सवाल ये है कि हाई सिक्योरिटी जेल होने के बावजूद आखिर गैंगवार का ये सिलसिला बंद क्यों नहीं होता है? तो जवाब है जेल में क्षमता से दो गुने से भी ज्यादा कैदियों का बंद होना और जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार...
20 फरवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त तिहाड़ में कुल 13 हजार कैदी बंद हैं... जबकि तिहाड़ में कैदियों की क्षमता कुल 5 हजार 200 कैदियों की हैं... यानी जेल में क्षमता से करीब 8 हज़ार ज्यादा कैदी ठूंसे पडे हैं... ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग जाना कोई हैरानी की बात नहीं है... रही-सही कमी जेलकर्मियों की रिश्वतखोरी पूरी कर देती है... तिहाड़ पहले से ही घूस महल के नाम से बदनाम है... जहां पैसे और पहुंच के बल पर कोई भी कैदी अपने लिए हर वो सुविधा हासिल कर सकता है, जो किसी इंसान को बाहर मिलते हैं... फिर चाहे वो मोबाइल फोन हो, नशे का सामान, फाइव स्टार होटल का खाना, शराब, हथियार या फिर कुछ... सुकेश चंद्रशेखर से लेकर वक्त-वक्त पर तमाम तरह की चीज़ों के साथ पकडे जाते कैदी इस बात का सबूत हैं... सुरक्षा के लिहाज से ही तिहाड़ जेल के तमाम हाई सिक्योरिटी वार्ड समेत अलग-अलग इलाकों में 7500 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जबकि 1248 कैमरे और लगाए जाने की तैयारी है... लेकिन सच्चाई यही है कि गुनहगार कई बार इन कैमरों को भी गच्चा देने में कामयाब हो जाते हैं और कभी मिलीभगत से कैमरे खराब कर दिए जाते हैं...
अब जिस जेल में ऊपर से लेकर नीचे तक मुलाजिम गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हों, कानून तोड़ने की सजा के लिए बनाई गई जगह पर खुद हर तरह से कानून तोडे जाते हों, वहां गैंगवार-खून खराबा और कत्ल का होना कोई हैरानी की बात नहीं है... तिहाड़ जेल में पिछले 19 दिनों में हुआ ये दूसरा गैंगवार और गैंगवार में एक-एक कर दो गैंगस्टरों की मौत इस बात का सबूत है...
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