राष्ट्रगान के अनादर का मामला : मुंबई की अदालत ने ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत खारिज की
Mamata Banerjee : महानगर की अदालत ने 2021 में CM ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत खारिज कर दी. जानें पूरा मामला.
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Mamata Banerjee (PTI News) : महानगर की एक अदालत ने 2021 में एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान का कथित तौर पर अपमान (National anthem disrespect) करने के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि 'कोई मामला नहीं बनता'। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुंबई इकाई के पदाधिकारी विवेकानंद गुप्ता ने शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दिसंबर 2021 में बनर्जी अपनी मुंबई यात्रा के दौरान कार्यक्रम में राष्ट्रगान बजाए जाने पर खड़ी नहीं हुईं।
गुप्ता ने बनर्जी पर राष्ट्रगान का निरादर करने का आरोप लगाया था और आग्रह किया था कि उनके खिलाफ राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए। शिकायत को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (मज़गांव अदालत) एस बी काले ने खारिज कर दिया। सोमवार को सुनवाई में शामिल हुए एक वकील के अनुसार, अदालत ने शिकायत खारिज करते हुए कहा कि बनर्जी के खिलाफ 'कोई मामला नहीं बनता।' गुप्ता की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रेट अदालत ने फरवरी 2022 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को समन जारी किया था।
मजिस्ट्रेट अदालत ने उस समय कहा था कि शिकायत, गुप्ता के सत्यापन बयान और यूट्यूब पर वीडियो क्लिप से यह स्पष्ट है कि बनर्जी ने राष्ट्रगान गाया था और अचानक रुक गईं तथा मंच छोड़कर चली गईं। इसने कहा था कि प्रथम दृष्टया साबित हुआ कि आरोपी ने राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत दंडनीय अपराध किया है। मजिस्ट्रेट अदालत ने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रही थीं।
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हालाँकि, बनर्जी ने मजिस्ट्रेट की कार्यवाही के खिलाफ एक विशेष अदालत के समक्ष एक समीक्षा याचिका दायर की। अभियोजन और बचाव पक्षों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने पिछले साल दिसंबर में बनर्जी के खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया था और मामले को वापस मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया था। न्यायाधीश ने कहा था कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा बनर्जी को समन जारी किया जाना 'उचित नहीं था'। विशेष अदालत ने कहा था कि उचित कदम यह होगा कि मामले को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत अनिवार्य प्रक्रिया का पालन करने के निर्देश के साथ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को वापस भेज दिया जाए।
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