मुंबई शक्ति मिल गैंगरेप में फांसी के दोषियों को उम्रकैद की सज़ा मिलने की पूरी कहानी जान लीजिए
Mumabi Shakti Mills Case: शक्ति मिल गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश Read more crime news on crime tak website
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Shakti Mills Case : मुंबई में महिला पत्रकार के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से तीन आरोपियों को राहत मिली है. तीन दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन इसे अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया.
जस्टिस साधना जाधव और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया. तीनों जजों की खंडपीठ ने दोषियों विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख और मोहम्मद अंसारी को बड़ी राहत दी और मौत की सजा देने से इंकार कर दिया.
साल 2013 में हुई घटना को समझ लीजिए
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ये घटना साल 2013 की है. वारदात दक्षिणी मुंबई के महालक्ष्मी एरिया में सालों से बंद पड़ी शक्ति मिल में हुई थी. तारीखथ थी 22 अगस्त और शाम के करीब 6 बजे ये घटना हुई थी. उस समय एक महिला फोटो पत्रकार और उनका एक साथी वहां पहुंचे थे.
ये वहां पर फोटो खींच रहे थे. उसी दौरान कुछ लोगों ने खुद को पुलिस बताते हुए उन्हें फोटो लेने से रोक दिया. इसके बाद उन लोगों ने ये कहा कि पहले आप हमारे सीनियर अफसरों से बात कर अनुमित लेंगे तभी फोटो खींच सकेंगे.
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इसके बाद महिला पत्रकार और उनके साथी को अंदर ले गए और मौका मिलते ही दोनों को बंधक बना दिया था. पत्रकार की सहकर्मी को रस्सी से बांधकर आरोपियों ने दूर कर दिया और फिर लड़की के साथ गैंगरेप किया था.
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इस घटना के बारे में ये बताया गया कि शक्ति मिल कई साल से सूनी रहती थी. इसलिए वहां पर नशा करने वाले आते-जाते रहते थे. एक तरह से उन्होंने उस जगह को अपने अय्याशी का अड्डा बना लिया था.
शराब की बोतलों से भी किया था हमला
उस दौरान ये सामने आया था कि जिस जगह महिला पत्रकार और उनके सहकर्मी को मारा-पीटा गया वहां पर शराब की बोतलें भी थीं. बोतलों से भी उन पर हमला किया गया था. दोस्त को बांधने के बाद पांच लोगों ने लड़की से गैंगरेप किया था. घटना के बाद किसी तरह दोनों बचकर वहां से निकले और हॉस्पिटल पहुंचे. यहां से फिर डॉक्टरों ने पुलिस को सूचना दी थी.
सूचना के बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी. 24 घंटे के भीतर ही पुलिस ने एक आरोपी को दबोच लिया था. इसके बाद 72 घंटे के भीतर ही बाकी के 4 आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में आ गए.
पुलिस की पूछताछ में ये सामने आया कि 31 जुलाई 2013 को यानी इस घटना से ठीक 22 दिन पहले भी इनमें से कुछ आरोपियों ने शक्ति मिल में ही एक 18 साल की टेलीफोन ऑपरेटर से गैंगरेप किया था. इन आरोपियों के अलावा एक नाबालिग भी इस पूरी वारदात में शामिल था.
अप्रैल 2014 में सेशन कोर्ट ने दिया था फैसला
इस तरह घटना को लेकर शक्ति मिल नाम से गैंगरेप के दो केस कोर्ट में चलना शुरू हुए. दोनों गैंगरेप केस में अप्रैल 2014 में मुंबई की सेशन कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. गैंगरेप के आरोपी विजय जाधव (19 साल), मोहम्मद क़ासिम शेख (21 साल) और मोहम्मद अंसारी (28 साल) को दोनों घटनाओं में दोषी क़रार दिया था.
इन तीनों को दोबारा रेप का दोषी होने के कारण फांसी की सज़ा दी गई थी. इस केस के एक अन्य दोषी सिराज रहमान खान को टेलीफ़ोन ऑपरेटर के मामले में शामिल नहीं होने की वजह से उम्रक़ैद की सज़ा दी गई थी. उस वक्त सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाते समय ये कहा था कि जिन्हें फांसी सुनाई गई वे ‘आदतन अपराधी’ थे.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि 'मृत्युदंड अभियुक्त की पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देता है. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए. वे जीवन भर पश्चाताप के पात्र हैं. उनके मामले में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है और वे समाज में दोबारा शामिल होने के लायक नहीं हैं.'
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