दस साल की बेटी से दरिंदगी करने वाले को उम्रकैद
Most Heinous Crime: अपनी ही दस साल की बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले को दिल्ली की एक विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन अपने ऑर्डर में कोर्ट ने जो कुछ कहा वो बेहद हैरत अंगेज है।
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Delhi Court News: ये कितनी सनसनीखेज बात है कि एक बेरहम शख्स अपनी ही मासूम बच्ची को हवस का शिकार बनाता रहा। आखिरकार उसके पाप का घड़ा भरा और अदालत ने उस वहशी को आजीवन कठोर कारावास (sentenced to life) की सजा सुनाई है।
27 अप्रैल को सुनाया गया फैसला
दिल्ली में विशेष न्यायाधीश अनु अग्रवाल ने उसे सजा सुनाई, जिसे पहले यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण यानी POCSO की धारा 6 के तहत दोषी पाया गया था। इस धारा में गंभीर यौन उत्पीड़न के मामलों को देखा जाता है। 27 अप्रैल को दिए गए एक आदेश में, अदालत ने कहा कि आजीवन कारावास का मतलब है कि "दोषी अब पूरी उम्र सलाखों के पीछे बिताएगा"। इस मुकदमे की कार्यवाही के दौरान, सरकारी वकील अरुण केवी ने दोषी को ज्यादा से ज्यादा सजा देने की मांग की थी।
सबसे जघन्य अपराध
न्यायाधीश ने कहा कि 10 साल की पीड़िता की मां की मृत्यु के फौरन बाद दोषी ने अपनी बेटी को यौन उत्पीड़न के "सबसे जघन्य अपराध" का शिकार बनाया। उन्होंने कहा कि अक्सर सुना जाने वाला वाक्यांश है 'पापा की लाडली'। और एक पिता और बेटी के बीच रिश्ते को सबसे ज़्यादा पवित्र और स्नेहपूर्ण रिश्ते के तौर पर देखा जाता है। मगर जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो एक मासूम और असहाय बच्चा क्या कर सकता है?"। अदालत ने कहा कि एक बच्चे को माता-पिता पर बिना शर्त भरोसा होता है, और उम्मीद की जाती है कि उसके मां-बाप उसकी सभी जरूरतों को जिम्मेदारी से पूरी करेंगे।
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विश्वासघात और सामाजिक मूल्यों की हानि
विशेष न्यायाधीश अनु अग्रवाल ने अपने ऑर्डर में कहा है कि जब एक घर को यौन उत्पीड़न की जगह में बदल दिया जाता है, तो बच्चे के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं बचती। अदालत ने कहा कि यदि "शिकारी" बच्चे का जैविक पिता था, तो यह भरोसे के साथ विश्वासघात और सामाजिक मूल्यों की हानि की श्रेणी में आता है।
यौन अपराध बरबाद कर डालते हैं बच्चों की जिंदगी
इसका सबसे बुरा असर ये होता है कि इस तरह के अपराध बच्चे पर लंबे समय तक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक असर छोड़ जाते हैं। ये छुपे हुए घाव आमतौर पर परिवार, दोस्तों और खासतौर पर समाज से भरोसा हमेशा के लिये उठा देते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे यौन अपराध बच्चों की जिंदगी हमेशा के लिये बरबाद कर देते हैं।
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