महिला ने सेमी न्यूड बॉडी पर बच्चों से कराया था पेंट, केरल HC बोला- इसे सेक्स से नहीं जोड़ना चाहिए
Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि एक महिला के नग्न शरीर के चित्रण को हमेशा सेक्सुअल या अश्लील नहीं माना जाना चाहिए.
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Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने सेमी-न्यूड बॉडी पेंट करवाने के केस में महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को बरी कर दिया है. केरल हाई कोर्ट ने एक मां को उसके सेमी-न्यूड शरीर पर पेंटिंग करने वाले अपने बच्चों का वीडियो बनाने से संबंधित एक आपराधिक मामले से मुक्त करते हुए टिपण्णी की न्यूडिटी को अश्लीलता या अनैतिकता में बांटना गलत है.
महिला के इस स्पष्टीकरण पर ध्यान देते हुए कि वीडियो महिला शरीर के बारे में पैट्रीआर्कल धारणाओं को चुनौती देने और उसके बच्चों को उचित यौन शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था, कोर्ट ने कहा कि वीडियो को अश्लील नहीं माना जा सकता है. महिला के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67B (d) और किशोर न्याय (देखभाल) की धारा 75 की धारा 13, 14 और 15 के तहत अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया गया था.
महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के खिलाफ POCSO के तहत मामला दर्ज किया गया था. महिला का आरोप है कि उसने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह अपने नाबालिग बच्चों से अपने अर्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाती नजर आ रही है. इस मामले में महिला के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
केरल हाई कोर्ट की जस्टिस कौसर एडापगथ ने महिला को पॉक्सो के तहत लगे आरोपों से बरी करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि बच्चे किसी यौन क्रिया के तहत यह काम कर रहे हों. कोर्ट ने कहा कि महिला ने बच्चों को कैनवास की तरह अपने शरीर को रंगने की इजाजत दी. अपने शरीर के बारे में स्वायत्त निर्णय लेना एक महिला का अधिकार है. यह समानता और निजता के उनके मौलिक अधिकार के तहत आता है. इसके साथ ही संविधान का अनुच्छेद 21 भी उसे ऐसा करने की अनुमति देता है.
हाई कोर्ट में अपनी अपील में महिला ने सवाल उठाया कि पुरुष शरीर को सिक्स पैक एब्स, बाइसेप्स आदि के रूप में प्रदर्शित किया जाता है अक्सर पुरुषों को बिना शर्ट पहने घूमते हुए पाते हैं. लेकिन इन
कृत्यों को कभी भी अश्लील या अशोभनीय नहीं माना जाता है. जब एक आदमी के आधे नग्न शरीर को सामान्य माना जाता है और ना की कामुक, एक महिला शरीर के साथ उसी तरह व्यवहार नहीं किया जाता है. कुछ लोग तो औरत के नंगे जिस्म को अज़ीब समझने के आदी हो गए हैं. कोर्ट ने महिला की दलील को सही मानते हुए बच्चों द्वारा मां के शरीर पर पेंटिंग करने को यौन क्रिया नहीं माना.
अदालत ने आगे कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो महिलाओं की नग्नता को ‘कलंक’ मानते हैं और उसे सिर्फ यौन तुष्टि से जोड़कर देखते हैं, और फातिमा द्वारा जारी वीडियो का उद्देश्य ‘‘समाज में मौजूद यह दोहरा मानदंड का पर्दाफाश करना था।’’ न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘नग्नता को सेक्स के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। महिला के ऊपरी निवस्त्र शरीर को देखने मात्र को यौन तुष्टि से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसलिए, महिलाओं के निवस्त्र शरीर के प्रदर्शन को अश्लील, असभ्य या यौन तुष्टि से नहीं जोड़ा जा सकता है।’’
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