फूलन देवी, 14 फरवरी 1981 का बेहमई कांड, 14 नामजद समेत 36 आरोपी, 43 साल बाद फैसला, एक को आजीवन कारावास, दूसरा बरी, बाकी सबकी मौत
Kanpur Behmai Kand Verdict : 14 फरवरी 1981 को हुआ बेहमई कांड. उसी तारीख 14 फरवरी 2024 को आया फैसला. फूलन देवी समेत 38 डकैतों ने की थी 20 लोगों की हत्या.
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कानपुर से सूरज सिंह की रिपोर्ट
UP Kanpur News : बैंडिट क्वीन फूलन देवी ने आज से ठीक 43 साल पहले जिस बेहमई कांड (Behmai Kand Phoolan Devi) को अंजाम दिया था उस केस में आज फैसला आया है। बेहमई में 14 फरवरी 1981 को डकैत रही फूलन देवी और दर्जनों डकैतों ने मिलकर एक लाइन में खड़ा करके 20 लोगों को गोली मार दी थी। उस केस की सुनवाई चलते-चलते वक्त गुजरता गया। एफआईआर फूलन देवी, मुस्तकीम समेत 14 नामजद समेत 36 डकैतों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। इनमें से कोर्ट में केस चलते-चलते अब सिर्फ 2 ही जिंदा दोषी बचे थे। अब इनमें भी एक दोषी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। और एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। अब ये बड़ा फैसला भी ठीक 43 साल बाद 14 फरवरी 2024 को आया है। इस बेहमई कांड में वादी के साथ मुख्य आरोपी फूलन देवी सहित कई आरोपियों की मौत हो चुकी है। इस घटना में वादी ने 14 नामजद सहित 36 लोगों को आरोपी बनाया था।
क्या था बेहमई कांड
Behmai Kand Phoolan Devi : कानपुर देहात के राजपुर थाना थाना क्षेत्र के यमुना किनारे बसे बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को डकैत रही फूलन देवी ने लाइन से खड़ा करके 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरने वाले सभी ठाकुर थे। इस घटना के बाद देश व विदेश में इस घटना की चर्चा थी। कई विदेशी मीडिया ने भी जिले में डेरा डाला लिया था। इस घटना को लेकर शुरुआत में इतना खौफ था कि कोई एफआईआर कराने के लिए भी नहीं आने वाला था। आखिर में गांव के ही रहने वाले राजाराम मुकदमा लिखावाने के लिए आगे आए थे। उन्होंने फूलन देवी और मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन पूरे देश को दहला देने वाला बेहमई कांड लचर पैरवी और कानूनी दांवपेच में ऐसा उलझा कि 42 सालों में भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया था। वहीं बहुचर्चित मुकदमे में नामजद अधिकांश डैकतों के साथ ही 28 गवाहों की मौत हो चुकी थी। वादी राजाराम हर तारीख पर न्याय पाने की आस में हर तारीख पर कोर्ट आते थे। सुनवाई के लिए जिला न्यायालय पहुंचते थे। लेकिन न्याय की आस लिए वादी राजाराम की भी मौत हो चुकी है।
आज 43 साल बाद कोर्ट ने जेल में बंद दो आरोपियों में एक आरोपी श्याम बाबू को बेहमई कांड में दोषी मानते हुए एक आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है। मामले में डीजीसी वकील राजू पोरवाल ने बताया कि बेहमई कांड की सुनवाई माती कोर्ट की एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी। 14 फरवरी 2024 बुधवार को उसने माननीय न्यायलय ने फैसला सुनाया है। माती जेल में बंद एक आरोपी श्याम बाबू को कोर्ट ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। और एक आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है।
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क्यों और कैसे हुआ था बेहमई कांड
Phoolan Devi Biography : आज से ठीक 43 साल पहले 14 फरवरी 1981 को ही बेहमई कांड हुआ था। इस दिन बेहमई गांव में सन्नाटा पसरा था. तभी डाकुओं को लेकर वहां पहुंचती है फूलन देवी. उस जगह पर जहां 3 हफ्ते तक उसकी बेइज्जती हुई थी. यहां आते ही फूलन ने दो आरोपियों को पहचान लिया. उनसे सवाल पूछा. बोली- बेइज्जती करने वाले बाकी कहां हैं. दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया.
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उनकी खामोशी फूलन के गुस्से को बढ़ा रही थी. और फिर गुस्सा इतना बढ़ा कि वो 22 ठाकुरों को घर से बाहर निकाल ले आई। सभी को लाइन में खड़ा करा दिया। फिर घुटनों के बल बैठने को कहा और आखिर में सभी को गोलियों से भून डाला. महज कुछ मिनट में एक साथ 22 लोगों की हत्या. अपने आप में ये नरसंहार था. जिसने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिला डाला.
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बेहमई कांड से यूपी में CM वीपी सिंह की कुर्सी गई
Phoolan Devi Story : यही वो घटना थी जिसके बाद फूलन देवी को पूरी दुनिया जान गई. तो फिर उत्तर प्रदेश और अपना देश कैसे बचे रह जाते. उस वक्त केंद्र में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. उत्तर प्रदेश राज्य में वीपी सिंह की सरकार थी. लेकिन चर्चा में आई फूलन देवी. मीडिया ने फूलन को बैंडिट क्वीन नाम दिया. और सरकार ने इसके सिर पर इनाम रख दिया. लेकिन फूलन को पकड़ना तो दूर. कोई पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाई. फिर क्या था. इस मामले ने उस समय की राज्य सरकार को हिला डाला.
बेहमई कांड की वजह से यूपी के मुख्यमंत्री वीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन फूलन फिर भी काबू में नहीं आई. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस डाकुओं के ठिकानों पर छापेमारी करने लगी. कई छोटे-मोटे डाकुओं का एनकाउंटर भी हुआ लेकिन फूलन तक पुलिस का पहुंचना सपना ही रह गया. एक साल तक ये सिलसिला चलता रहा. आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार ने फूलन को आत्मसमर्पण कराने की रणनीति बनाई. जिम्मेदारी भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी को सौंपी गई.
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