Ahmedabad Serial Blast : आज नहीं हो सका सजा पर फैसला, अब 11 फरवरी से होगी सुनवाई
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में कोर्ट में इस वजह से टली सुनवाई, अब 11 फरवरी से होगी सुनवाई Gujrat Ahmedabad 2008 Serial Blast Court news today update
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Gujrat Ahmedabad Serial Blast Court News : अहमदाबाद में साल 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के दोषियों को सजा देने पर 9 फरवरी को फैसला नहीं आया. बचाव पक्ष के वकील ने मामले में कुछ दस्तावेज देने के लिए समय मांगा था. जिसके बाद 9 फरवरी को सुनवाई स्थगित करनी पड़ी.
अब अहमदाबाद की विशेष अदालत ने कहा कि वह 2008 को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों संबंधी मामले के दोषियों की सजा की मात्रा पर फैसला करने के लिए 11 फरवरी को दलीलें सुनना शुरू करेगी।
बचाव पक्ष के एक वकील ने मामले में आगे की सुनवाई से पहले दस्तावेज एकत्र करने के लिए अदालत से कुछ समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद बुधवार को सुनवाई स्थगित कर दी गई।
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अदालत ने इस मामले में यहां मंगलवार को 49 लोगों को दोषी करार दिया। इन धमाकों में कुल 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक अन्य लोग घायल हुए थे।
न्यायाधीश ए आर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए कम से कम 20 सिलसिलेवार धमाकों में आरोपी 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। यह फैसला घातक विस्फोटों के 13 साल बाद सुनाया गया है।
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विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने बताया कि बचाव पक्ष के वकील ने बुधवार को अदालत में एक अर्जी दाखिल की और सजा की मात्रा पर सुनवाई से पहले दोषियों से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।
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बचाव पक्ष स्वास्थ्य संबंधी एवं चिकित्सकीय दस्तावेज और शैक्षणिक योग्यता जैसे विभिन्न दस्तावेजों का इस्तेमाल करेगा, ताकि वह दोषियों को कम से कम सजा दिलाने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रख सके।
पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अदालत ने उन्हें कल तक का समय दिया और मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने का फैसला किया। इस दौरान अदालत दोषियों और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनेगा और इसके बाद सजा की मात्रा पर फैसला करेगा।’’
दोषियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की अधिकतम सजा मिल सकती है और अभियोजन पक्ष दोषियों को अधिकतम सजा दिलाने की कोशिश करेगा।
एक अन्य विशेष लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के वकील को बुधवार शाम तक उन कारागारों से आवश्यक दस्तावेज एकत्र करने का निर्देश दिया है, जहां इन कैदियेां को रखा गया है।
उन्होंने बताया कि अदालत ने जेल प्राधिकारियों को उनकी मदद करने का भी निर्देश दिया है।
ब्रह्मभट्ट ने कहा, ‘‘बचाव पक्ष के वकील ने यह तर्क देते हुए समय मांगा कि वह कोविड-19 के कारण अपने मुवक्किलों से संपर्क नहीं कर पा रहा। अदालत ने कहा कि वकीलों ने मामले में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर दी हैं और उनके पास प्रासंगिक दस्तावेजों की जानकारी है, लेकिन उसने उन्हें न्याय के हित में एक दिन का समय दे दिया।’’
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में 20 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि 246 अन्य घायल हुए थे।
पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी।
अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद पुलिस को सूरत के विभिन्न इलाकों में बम मिले थे जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने के बाद मामले की सुनवाई हुई।
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