Morbi Bridge Collapse : मोरबी पुल हादसे की जांच रिपोर्ट में देरी, गुजरात सरकार ने समय मांगा, कोर्ट ने कहा, 2 हफ्ते लो फिर नहीं देंगे समय

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Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस हादसे में 135 लोगों की मौत के बाद हाईकोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेकर गुजरात सरकार से एसआईटी गठित कर जांच रिपोर्ट मांगी गई थी. लेकिन एसआईटी ने कोर्ट में कहा कि उसे और समय दिया जाए. इस पर हाईकोर्ट ने 2 हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया लेकिन साथ में ही टिप्पणी भी की. हाईकोर्ट ने कहा कि आगे और समय नहीं दिया जाएगा और हर जरूरी काम को भी आखिरी समय में करने की आदत आखिर कब जाएगी.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात सरकार ने राज्य के मोरबी शहर में एक पुल ढह जाने की घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) की अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए सोमवार को उच्च न्यायालय से समय मांगा। पिछले साल अक्टूबर में हुए इस पुल हादसे में 135 लोग मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने यह कहते हुए सरकार को दो हफ्ते का समय दिया कि हादसे के बाद स्वत: संज्ञान पर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई को लेकर कोई और स्थगन आदेश नहीं दिया जाएगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिक्कत इसलिए आती है, क्योंकि हर चीज आखिरी वक्त पर तैयार की जाती है।

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Morbi Bridge Collapse Latest News : गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का झूला पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था। इस हादसे में महिलाओं और बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे। राज्य सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय एसआईटी गठित की थी, जिसने पिछले साल दिसंबर में एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। अंतरिम रिपोर्ट में ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) द्वारा निर्मित पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां मिली थीं। ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल इस मामले में मुख्य आरोपी हैं और वह फिलहाल जेल में हैं।

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महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने 31 अगस्त को पिछली सुनवाई के दौरान, अदालत को सूचित किया था कि मामले की जांच कर रही एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट तीन सप्ताह में आ जाएगी और पीठ के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। त्रिवेदी ने अदालत को यह भी बताया था कि सरकार ने उन सात बच्चों के परिजनों को 50 लाख रुपये का भुगतान किया है, जिन्होंने पुल हादसे में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था। उन्होंने बताया था कि सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत इन बच्चों की स्कूल शिक्षा और भोजन का ख्याल रख रही है।

वहीं, प्रत्येक मृतक के परिजनों को 20 लाख रुपये दिए गए थे, जिसमें से 10 लाख रुपये सरकार की ओर से, जबकि इतनी ही राशि ओरेवा समूह की तरफ से थी। यह कंपनी 100 साल से अधिक पुराने इस झूला पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थी। पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से जांच और हादसे के अन्य पहलुओं की समय-समय पर निगरानी करने को कहा था, जिसमें पीड़ितों या उनके परिवारों का पुनर्वास तथा उन्हें मुआवजा देना भी शामिल है। इस मामले में कुल 10 लोगों को आरोपी के रूप में नामजद किया गया है।

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