तालिबान में पत्रकार दानिश सिद्दीकी हत्या मामले में परिजनों ने इंटरनेशनल कोर्ट में कराई शिकायत

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अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों की गोलीबारी के शिकार हुए भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी मामले में उनके परिवार ने इंटरनेशनल क्राइम कोर्ट में शिकायत की है. परिवार की शिकायत पर हत्या की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत यानी ICC में शिकायत भी दर्ज हो गई है।

बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी 16 जुलाई 2021 को ताबिनियों ने हत्या कर दी थी. अब दानिश के परिवार के वकील अवि सिंह ने 22 मार्च को कहा कि पत्रकार की हत्या के लिए जिम्मेदार तालिबान के उच्च स्तरीय कमांडरों पर कानूनी कार्रवाई के मकसद से शिकायत दर्ज कराई गई है.

वकील ने बताया कि पिछले साल 16 जुलाई को दानिश सिद्दीकी (38) अफगानिस्तान के कंधार शहर के स्पिन बोल्दक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच जंग को कवर रहे थे जब उनकी हत्या कर दी गई।

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वकील अवि सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिनके विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई है उनमें तालिबान के सर्वोच्च कमांडर मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा, तालिबान नेतृत्व परिषद के प्रमुख मुल्ला हसन अखुंद, तालिबान के रक्षा मंत्री मौलवी मुहम्मद याकूब मुजाहिद, कंधार प्रांत के गवर्नर गुल आगा शेरजई, तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद और कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बारादर शामिल हैं।

स्थानीय कमांडरों और हत्या को अंजाम देने के वालों के विरुद्ध भी शिकायत दर्ज कराई गई है। सिंह ने कहा कि वे इस मामले में भारत सरकार से भी मदद की गुहार लगाएंगे।

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उन्होंने कहा, “हमने पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पिछले साल16 जुलाई को हुई हत्या और मानवीयता के विरुद्ध युद्ध तथा युद्ध अपराध के सिलसिले में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) में एक शिकायत दर्ज कराई है।”

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वकील ने कहा कि सिद्दीकी के माता पिता- अख्तर सिद्दीकी और शाहिदा अख्तर की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है। सिंह ने कहा कि पत्रकार पर तालिबान की ‘रेड यूनिट’ ने हमला किया था। उन्होंने कहा कि उनके शव को क्षत-विक्षत किया गया और सार्वजनिक तौर पर उस पर एक भारी वाहन चलाया गया।

वकील ने कहा कि शव पर बर्बरतापूर्ण प्रताड़ना के निशान थे और उन्हें 12 गोलियां मारी गई थीं। उन्होंने कहा, “तालिबान ने सिद्दीकी को लक्षित कर उन्हें इसलिए मारा क्योंकि वह एक पत्रकार और एक भारतीय थे। यह एक अंतरराष्ट्रीय अपराध है। अफगानिस्तान में कानून के शासन के अभाव के चलते आईसीसी को यह अधिकार है कि सिद्दीकी की हत्या की जांच करे और ऐसा करने वालों पर मुकदमा चलाए। तालिबान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने शासन की वैधता चाहता है तो उसे अतीत में किये गए अपने कृत्य के लिए जवाबदेह होना पड़ेगा।”

सिंह ने कहा कि 16 जुलाई को सिद्दीकी, रायटर्स की ओर से एसाइनमेंट पर थे और एक हमले में घायल होने के बाद उनके साथ क्या हुआ इसके पर्याप्त स्वतंत्र गवाह हैं।

सिंह ने कहा, “उन्हें इलाज के लिए एक मस्जिद में ले जाया गया और वह मस्जिद ऐतिहासिक रूप से शरण देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती है। इसके बावजूद तालिबान ने उस पर हमला किया। सिद्दीकी की स्पष्ट पहचान थी कि वह प्रेस के थे। उनके पास उनका पासपोर्ट था और वह सैनिक नहीं थे।”

उन्होंने कहा, “इसके बाद उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और तमाम स्वतंत्र गवाहों के अनुसार, उन्हें प्रताड़ित किया गया। वास्तव में जब उनके परिवार को उनका शव मिला तब उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहना हुआ था।” सिद्दीकी के भाई उमर सिद्दीकी ने कहा कि दानिश के हत्यारों को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए।

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