Delhi : हनीट्रैप, दामिनी मैकनॉट का जाल, पाकिस्तान के लिए जासूसी, अब वायुसेना के पूर्व अफसर को जमानत

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Delhi :  हनीट्रैप, दामिनी मैकनॉट का जाल, पाकिस्तान के लिए जासूसी, अब वायुसेना के पूर्व अफसर को जमान...
Crime : सांकेतिक फोटो
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Delhi (PTI News) : दिल्ली की एक अदालत ने 2015 में हनीट्रैप (Honeytrap) में फंसने के बाद पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी ‘इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस’ (ISI) की एजेंट को गोपनीय जानकारी देने के आरोपी भारतीय वायुसेना के पूर्व अधिकारी को जमानत दे दी है। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी पहले ही कथित अपराध के लिए अधिकतम निर्धारित कारावास का आधे से ज्यादा समय जेल बीता चुका है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अपर्णा स्वामी ने बठिंडा में वायुसेना में ‘लीडिंग एयरक्राफ्टमैन’ के पद पर रहे रंजीत के.के. को राहत प्रदान की। ‘लीडिंग एयरक्राफ्टमैन’, कॉरपोरल से नीचे जूनियर रैंक का अधिकारी होता है। 

इस आधार पर मिली आरोपी को जमानत

Crime News : न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ताओं आकाश वाजपेयी और जावेद अली ने कहा कि मामले की फाइल की बारीकी से जांच करने पर कहा जा सकता है कि मुकदमे में किसी भी देरी के लिए आरोपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। न्यायाधीश ने 30 नवंबर को पारित आदेश में कहा, “रिकॉर्ड के अनुसार, सभी महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है। फिलहाल 12 गवाहों से पूछताछ बाकी है। ये गवाह पुलिस अधिकारी हैं जो किसी भी तरह आरोपी से प्रभावित नहीं हो सकते। आरोपी पहले ही सात साल और लगभग 10 महीने की सजा काट चुका है।''

सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत लगा था आरोप

रंजीत पर सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगा था, जिसके लिए अधिकतम 14 साल जेल की सजा का प्रावधान है। न्यायाधीश ने कहा कि जेल में, याचिकाकर्ता का आचरण 'संतोषजनक' रहा है। न्यायाधीश ने कहा, “आवेदक/अभियुक्त का कोई पिछला आपराधिक रिकार्ड या संलिप्तता नहीं है। इसके अलावा, चूंकि अब भी 12 गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है, इसलिए मुकदमे के समापन में निश्चित रूप से समय लगेगा। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह, चूंकि अभियुक्त सजा की अवधि का सात साल और करीब 10 महीने जेल में बीता चुका है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इस अदालत की राय है कि अभियुक्त राहत का हकदार है।”

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2010 में वायुसेना में शामिल हुए थे रंजीत

केरल के मलप्पुरम जिले के मूल निवासी रंजीत 2010 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे। उनके खिलाफ सरकारी गोपनीयता अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत राशि पर जमानत प्रदान की। न्यायाधीश ने उन्हें सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने कहा, “आवेदक को हर महीने की 15 तारीख को केरल के मलप्पुरम जिले के संबंधित थाने में हाजिरी देनी होगी। आवेदक अदालत की अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जा सकता।”

अभियोजन पक्ष के अनुसार, रंजीत सोशल मीडिया पर दामिनी मैकनॉट नामक एक यूजर के संपर्क में आए थे, जिसने खुद को ब्रिटेन में स्थित मीडिया कंपनी की अधिकारी बताकर समाचार पत्रिका में एक आलेख के लिए पैसे के बदले वायुसेना से संबंधित कुछ जानकारी मांगी थी। पुलिस ने कहा था कि रंजीत ने कथित तौर पर पैसे के एवज में उसे गोपनीय जानकारी साझा की थी, जो ज्यादातर भारतीय वायुसेना के अभ्यास, विमानों की आवाजाही और विभिन्न इकाइयों की तैनाती से संबंधित थी। रंजीत को अपने मोबाइल फोन पर कुछ वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल-आधारित कॉल भी प्राप्त हुईं, जिसमें ब्रिटिश लहजे वाली एक महिला ने खुद को दामिनी मैकनॉट बताया और यहां तक कि एक बार उनका साक्षात्कार भी लिया। पुलिस ने कहा कि बाद में महिला ने उन्हें और अधिक जानकारी जुटाने के लिए कहा था।

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