पाकिस्तान के लिए जासूसी मामले में DRDO वैज्ञानिक की पॉलीग्राफ जांच का अनुरोध कोर्ट ने किया खारिज

ADVERTISEMENT

पाकिस्तान के लिए जासूसी मामले में DRDO वैज्ञानिक की पॉलीग्राफ जांच का अनुरोध कोर्ट ने किया खारिज
crime news
social share
google news

Pune DRDO Spy Case : DRDO के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर से जुड़े जासूसी मामले में एटीएस को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कोर्ट ने डीआरडीओ साइंटिस्ट का पॉलीग्राफ समेत अन्य कई टेस्ट को कराने वाली याचिका को खाारिज कर दिया है. आखिर क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं.

एटीएस ने कोर्ट से किया था अनुरोध

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे की एक विशेष अदालत ने जासूसी के एक मामले में आरोपी डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रदीप कुरूलकर का पॉलीग्राफ, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण कराने का महाराष्ट्र आतंकवाद-निरोधक दस्ते (एटीएस) का अनुरोध खारिज कर दिया है। विशेष न्यायाधीश वी आर काचरे ने शनिवार को एटीएस के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत से कुरूलकर का पॉलीग्राफ, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण कराने के लिए उनकी सहमति मांगने का अनुरोध किया गया था।

हनीट्रैप में फंस गए थे डीआरडीओ वैज्ञानिक

पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को सीक्रेट सूचना देने का आरोप

पुणे में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़ी एक प्रयोगशाला के तत्कालीन निदेशक कुरूलकर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को कथित रूप से गोपनीय सूचना देने को लेकर तीन मई को शासकीय गुप्त बात अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। बचाव पक्ष के वकील ऋषिकेश गानु ने कहा कि आरोपी को उक्त परीक्षणों के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दलील दी कि पूरा मामला टेलीफोन पर की गयी बातचीत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर आधारित है तथा ये उपकरण एटीएस के पास हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ मेरा मत है कि आरोपी को उसकी सहमति के बगैर पॉलीग्राफ या वॉयस लेयर या मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।’’

ADVERTISEMENT

व्यक्तिगत आजादी से समझौता नहीं कर सकते : कोर्ट

उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट और सुस्थापित कानून है कि किसी को भी उक्त प्रविधियों से गुजरने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, भले ही आपराधिक मामलों या किसी अन्य विषय की जांच के सिलसिले में ही इसकी जरूरत क्यों न हो। अदालत ने कहा कि ऐसा करना व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी में गैर जरूरी अतिक्रमण होगा। अदालती आदेश में कहा गया है, ‘‘पूरी चर्चा पर गौर करने तथा सेल्वी एवं अन्य बनाम कर्नाटक राज्य मामले में ऐतिहासिक फैसले के आधार पर मेरा मत है कि दोनों आवेदन खारिज किये जाने लायक हैं।’’ इससे पहले, एटीएस ने इस मामले में अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि कुरूलकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के प्रति आकर्षित हुआ तथा उसने भारतीय मिसाइल प्रणाली तथा अन्य गोपनीय रक्षा परियोजनाओं के बारे में उसके साथ बातचीत की।

 

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜