Chhawla Rape : छावला रेप केस के दोषी जांच में हुई इस लापरवाही से हो गए बरी, जानें कोर्ट ने क्या कहा?
Chhawla Rape Supreme Court Verdict : छावला रेप केस में दोषियों को जांच में हुई इस लापरवाही का मिला फायदा. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की जांच से लेकर कोर्ट के ट्रायल तक को सवालों के घेरे में लिया.
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Chhawla Rape Case : छावला में निर्भया जैसी हैवानियत वाली घटना में सुप्रीम कोर्ट ने 3 दोषियों को बरी कर दिया. इसे लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी सामने आई है. उससे पता चलता है कि आखिर ऐसी क्या वजहें थीं जिनके चलते सुप्रीम कोर्ट ने 3 गुनहगारों को बरी कर दिया. आइए उसे समझते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों को अपनी बात कहने का पूरा मौका नहीं मिला. बचाव पक्ष की दलील थी कि गवाहों ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की.
कुल 49 गवाहों में 10 का क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं कराया गया. आरोपियों की पहचान के लिए कोई परेड नहीं कराई गई.
निचली अदालत ने भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया. निचली अदालत अपने विवेक से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 के तहत सच्चाई की तह तक पहुंचने के लिए आवश्यक कार्यवाही कर सकता था। ऐसा क्यों नहीं किया गया? ये सवालों के घेरे में है.

डीएनए सैंपल कई दिनों तक खुले में पड़े रहे
Chhawla Rape Case Court Order :सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर से पता चलता है कि जांच के दौरान कई खामियां बरतीं गईं थीं. 11 साल पहले फरवरी 2012 में छावला में 18 साल की युवती से निर्भया जैसी दरिंदगी हुई थी. चलती कार में वो वहशी दरिंदे घंटों तक लड़की से रेप करते रहे थे. इस दरिंदगी के आरोपी पकड़ में आए और 14 और 16 फरवरी को उनके सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए लिए गए.
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दिल्ली पुलिस की कारस्तानी देखिए. अगले 11 दिनों तक वो सैंपल पुलिस थाने के मालखाने में पड़े रहे. बिना किसी सुरक्षा के. यानी 27 फरवरी को वो सैंपल सीएफएसएल भेजे गए. इसी घोर लापरवाही को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले का आधार बनाया. कोर्ट ने इंसाफ के दुश्मन बने इन लापरवाह पुलिस वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई का फरमान जारी करने के बजाय अपने फैसले में ये कहा कि अदालतें सबूतों पर चलकर फैसले लेती है ना कि भावनाओं में बहकर.
इस तरह की लापरवाही से दोषियों को मिली राहत
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Chhawla Rape Case : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल के दौरान भी कई खामियां रहीं. अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों से क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं किया. इसी तरह से कई खास गवाहों से बचाव पक्ष ने भी कोई जिरह नहीं की. जांच अधिकारियों ने दोषियों की शिनाख्त परेड को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई. इस तरह गिरफ्तार आरोपी वहीं हैं जिन्होंने घटना को अंजाम दिया था, इस बात को पूरी तरह से पुष्टि कराने कि लिए शिनाख्त नहीं कराई गई.
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मरने वाली के शरीर से जांच के बालों और कुछ फॉरेंसिक सैंपल भी लिए गए थे. जिसे खुले में 3 दिन और 3 रात तक वैसे ही रखा गया था. ऐसी घोर लापरवाही बरती गई है. इसके अलावा सबसे खास डीएनए प्रोफाइल को लेकर भी पूरी तरह से लापरवाही बरती गई. ऐसे में मौके से डीएनए के लिए गए सैंपल भी सवालों के घेरे में आ जाते हैं. साथ ही ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी डीएनए रिपोर्ट और उसके तथ्यों को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई. ऐसे में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाती है कि आरोपियों और मौके से लिए गए डीएनए में कितनी सच्चाई है.
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