कोर्ट का समय बर्बाद करने वालों को जज ने दी सजा, "जाओ, 6 महीने तक समुद्र की सफाई करो"
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाई वर्सोवा बीच को साफ करने की सज़ा, आठ लोगों को सज़ा, 12 साल पुराने मामले में कोर्ट का फैसला, Bombay HC directs 8 people of warring parties to clean-up Versova beach
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Latest Court News: महाराष्ट्र की एक अदालत ने एक बड़ा ही दिलचस्प फैसला दिया, जिसका चर्चा इन दिनों हर जगह हो रही है। सिर्फ फैसले की ही नहीं, बल्कि लोग चटकारे लेकर ये तक कह रहे हैं कि अदालतें ऐसी ही सज़ा दें जो न सिर्फ बेमिसाल हो बल्कि लोगों को इससे अच्छा खासा सबक भी मिल सके।
असल में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 साल पुराने एक मामले की सुनवाई की। लेकिन जब मुकदमें की सुनवाई के दौरान अदालत को ये महसूस हुआ कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने इस पूरे मामले में जबरदस्ती कोर्ट का वक़्त बर्बाद किया तो कोर्ट ने एक नज़ीर देते हुए सभी आठ लोगों को छह महीने तक हर दूसरे और चौथे रविवार को वर्सोवा बीच (Versova Beach) की सफाई करने का आदेश दिया।
Bombay High Court News: अदालत के फैसले के मुताबिक ऐसा नहीं कि ये लोग अकेले जाकर वहां साफ सफाई का काम करें और कोई नोटिस भी न करे। बल्कि अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि उन लोगों को ये काम पर्यावरणविद और वकील अफ़रोज़ शाह के साथ मिलकर समंदर के किनारों की सफ़ाई का काम पूरा करना है और इसकी रिपोर्ट अदालत में पेश करनी है।
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इंडिया टुडे की मुंबई रिपोर्टर विद्या के मुताबिक़ साल 2010 में दो अलग अलग मामले दर्ज कराए गए थे। लेकिन कुछ अरसा बाद दोनों पक्षों ने आपसी सुलहनामा कर लिया और अपने झगड़े को ख़त्म कर दिया। मगर आपसी सहमति की ये बात अदालत तक नहीं पहुँचाई। अदालत को इस राजीनामा की ख़बर न होने का नतीजा ये हुआ कि बीते 12 सालों से ये मामला कोर्ट की कार्रवाई में लंबित पड़ा रहा।
Court News In Hindi: बॉम्बे हाईकोर्ट में इसी मामले की सुनवाई जस्टिस पी बी वराले और जस्टिस एस एम मोदक की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की और 5 मई को फैसला दिया कि दोनों पक्षों के राजीनामा के बाद अब इस FIR का कोई मतलब ही नहीं रह गया। लिहाजा निचली अदालत ने कार्रवाई को रद्द कर दिया। मगर इतना वक़्त बीत जाने के बाद भी अदालत को इस राजीनामा के बारे में इत्तेला न देने के कारण अदालत ने इस मामले से जुड़े 8 लोगों को ये सज़ा सुनाई है।
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हालांकि अदालत की दहलीज तक पहुँचा ये मामला ब्लैकमेलिंग से भी ज़ुड़ा हुआ था। असल में 27 अप्रैल 2010 को अंबोली पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी। उस FIR के मुताबिक़ एक लड़की को उसके कुछ दोस्तों ने कोल्ड ड्रिंक में नशीली चीज़ मिलाकर पिला दी और फिर उसकी अश्लील तस्वीरें भी खींच ली।
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और फिर उन्हीं तस्वीरों के दम पर उस लड़की को ब्लैकमेल करने लगे। लड़की की शिकायत के मुताबिक उन फोटो के दम पर ब्लैकमेल करने वालों ने उससे तीन लाख रुपये की मांग की थी। लेकिन 24 अप्रैल को लड़की से नकद और सोने की शक्ल में ये मांग पूरी करने को कहा गया। इन धमकियों से परेशान लड़की ने आखिरकार पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज करवाई। जिसकी तफ़्तीश के बाद पुलिस ने बाकायदा चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी।
Mumbai Crime News : इसी तरह का एक और मामला पुलिस के पास पहुँचा था। यहां भी मामला पैसा ऐंठने को लेकर ही था। 1 मई 2010 को पुलिस के पास एक लड़के ने कई धाराओं में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस के पास दर्ज शिकायत के मुताबिक 23 अप्रैल 2010 को उसे एक महिला ने अपने घर बुलाया।
घर पहुँचने पर उस महिला ने 50 हज़ार कैश और उसकी बाइक अपने पास रखवा ली। जब लड़के ने अपने पैसे और बाइक मांगी तो महिला ने उसे जान से मारने की धमकी देकर वहां से भगा दिया। लेकिन जब लड़का अपनी बात पर अड़ा रहा और वहां जाने से इनकार कर दिया तो महिला ने जबरन उससे एक सादे काग़ज़ में लिखवा लिया कि महिला ने लड़के को दो लाख रुपये उधार दिए थे।
इन दोनों ही मामलों में वादी और प्रतिवादी ने आउट ऑफ कोर्ट सैटेलमेंट कर लिया था। पुलिस और अदालत के बाहर हुए राजीनामा की जानकारी दोनों ही मामलों में अदालत को नहीं दी गई। जबकि अदालत की नज़र में दोनों ही मामले बेहद संगीन थे। लिहाजा अदालत ने दोनों ही मामले से जुड़े आठ लोगों को बीच साफ करने की सज़ा देकर एक नई मिसाल क़ायम की।
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