'खुद शादीशुदा होकर नहीं लगा सकती बॉयफ्रेंड पर चीट करने का आरोप', कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपी के हक में सुनाया फैसला
Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार (21 जून) को एक शख्स को राहत देते हुए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया.
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Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार (21 जून) को एक शख्स को राहत देते हुए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया. कोर्ट ने फैसले में कहा, किसी पुरुष पर शादीशुदा महिला को धोखा देने का आरोप नहीं लगाया जा सकता.
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने व्यक्ति के खिलाफ दायर याचिका को रद्द करने का आदेश देते हुए कहा, धोखाधड़ी का आरोप इस आधार पर लगाया गया है कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता से शादी का वादा तोड़ दिया है, शिकायतकर्ता ने अदालत में स्वीकार किया है कि वह पहले से शादीशुदा है और उसकी एक बेटी भी है, ऐसे में अगर वह पहले से शादीशुदा है तो शादी का वादा तोड़कर धोखा देने का सवाल ही नहीं उठता, ऐसे में इस एफआईआर का कोई मतलब नहीं है.
दरअसल, एक महिला जो पहले से शादीशुदा थी और उस शादी से उसकी एक बेटी भी थी, कुछ कारणों से उसके पति ने कथित तौर पर उससे रिश्ता खराब कर लिया और दोनों अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद ऑफिस में काम करने वाली महिला कार्यस्थल पर याचिकाकर्ता से मिली और दोनों के बीच आपसी संबंध बन गए, लेकिन बाद में महिला ने आरोप लगाया कि उसने उसका फोन उठाना बंद कर दिया.
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शिकायतकर्ता महिला का कहना है कि उस आदमी ने उससे शादी करने का वादा किया था लेकिन बाद में इनकार कर दिया, जिसके कारण उसे उस आदमी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या कहा?
याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें कहा गया कि उसने पीड़िता से शादी करने का अपना वादा पूरा नहीं किया, लेकिन अदालत में स्पष्ट किया कि उसने कभी भी पीड़िता से शादी करने का वादा नहीं किया था।
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शख्स ने कहा, यह सच है कि उसने मुश्किल वक्त में लगातार दो साल तक पैसे भेजकर पीड़िता की मदद की थी लेकिन उसने उससे शादी करने का वादा नहीं किया था क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थी और उसका एक बच्चा भी है. रिकॉर्ड की जांच करने पर कोर्ट ने पाया कि वह शख्स लगातार दो साल तक मलेशिया में था, जहां से उसने लगातार दो साल तक पीड़िता को पैसे भेजे ताकि पीड़िता अपना भरण-पोषण कर सके।
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कोर्ट किस नतीजे पर पहुंचा?
अदालत ने कहा, पीड़िता पूरी कार्यवाही के दौरान यह बताने में विफल रही है कि वह व्यक्ति किसी भी समय उसके पति की भूमिका में था, इसलिए उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को सच नहीं माना जा सकता है, भले ही पीड़िता पहले से ही शादीशुदा हो। , उस शादी से उनका एक बच्चा भी है और जहां तक अपने पति से अलग रहने की बात है तो अभी तक उनका अपने कानूनी पति से तलाक भी नहीं हुआ है। इसलिए अदालत याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश देती है।
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