Russia Ukraine War: यूक्रेन पर रूस के हमले को अब क़रीब क़रीब नौ हफ़्ते बीत रहे हैं। इन बीते 64 दिनों के दौरान दुनिया के तमाम देशों ने इस जंग के बारे में अपनी राय रखी और क़रीब क़रीब सभी ने इस जंग का विरोध ही किया। अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों ने रूस के ख़िलाफ़ मोर्चा भी खोला। हालांकि ये मोर्चा अभी तक सिर्फ और सिर्फ बातों की ही हद तक सीमित रहा।
इसी बीच दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत कही जाने वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र ने भी रूस के यूक्रेन पर हमले का जमकर विरोध किया और उसके खिलाफ़ अपनी हैसियत के मुताबिक कार्रवाई तक कर डाली। लेकिन युद्ध तब भी जारी था और युद्ध अब भी चल रहा है। इस बीच रूस ने यूक्रेन में जबरदस्त तबाही मचाई। उसके कई शहरों को मटियामेट कर डाला। बूचा हो या मारियूपोल, इन दो शहरों से साने आई तबाही की तस्वीरों ने समूची दुनिया को दहलाकर रख दिया।
Russia Ukraine War: अब जबकि जंग का दायरा बढ़ता जा रहा है और दिन अब हफ़्तों के साथ साथ महीनों में बदलने लगे तब संयुक्त राष्ट्र को यूक्रेन की सबसे ज़्यादा याद आई। यूक्रेन के सबसे बड़े अधिकारी महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने आखिरकार 9 हफ़्तों के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहरी इलाक़ों को खुद अपनी आंखों से देखा। गुतरेस ने यूक्रेन के उस हाल को देखा है जहां की अभी पूरी तस्वीरें भी दुनिया के सामने नहीं आ सकी हैं। राजधानी कीव के बाहरी इलाक़ों बोरोदयांका, बूचा और इरपिन जाकर रूसी सेना के हाथों हुई तबाही और बर्बादी के खुद चश्मदीद बने गुतरेस।
यूक्रेन के इन शहरों का हाल असल में क्या होगा, इसका अंदाज़ा गुतरेस की इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने शहरों का दौरा करने के बाद कहा, ‘ये भयानक जगहों को देखने के बाद ऐसा महसूस हो रहा है कि अब इस मामले की पूरी पड़ताल हो ही जानी चाहिए और तय होना चाहिए कि इस तबाही और बर्बादी का असली गुनहगार कौन है?
Russia Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने एक ही शब्द में सब बयां कर दिया जब उन्होंने कहा ये युद्ध बड़ी ही बेतुकी चीज है। उन्होंने कहा कि यहां यूक्रेन के बर्बाद हो चुके शहरों को देखने के बाद कह सकता हूं कि मैंने यहां इस बर्बादी में अपने परिवार को फंसा हुआ महसूस किया है। जिनका जीवन एक गहरे अंधेरी कोठरी में कैद सा हो गया है।
जिनके पास फिलहाल कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं यहां अपनी पोतियों को घबराहट में भागते हुए देख पा रहा हूं। शायद वो उस परिवार का हिस्सा हैं जो जंग में मारा गया। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अपने यूक्रेन दौरे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतरेस बेहद भावुक हो गए थे। और वहां का सारा मंज़र उन्हें भीतर तक झकझोर चुका था।
इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति बोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने भी संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियों गुतरेस के यूक्रेन दौरे पर ये उम्मीद तो जाहिर ही कर दी कि शायद अब कुछ बात बन जाए। शायद अब रूस की तरफ से आते हुए गोलों की रफ़्तार थम जाए। शायद अब रूस मौत बरसाना बंद कर दे। या फिर संयुक्त राष्ट्र की देख रेख में दुनिया के देश यूक्रेन के पाले में आकर खड़े हो जाएं और रूस और उसके ग़ुस्से को शांत करने की कोशिश करें।
Russia Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अभी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होनी है। ऐसे में ज़ेलेन्स्की को पूरा यकीन है कि यूक्रेन की ज़मीन के ज़ख़्मों को देखने के बाद गुतरेस व्लादिमीर पुतिन के सामने यहां का दर्दनाक वाकया बयां करेंगे और ये जंग की घड़ी को शायद टिक टिक करने से रोक दें।
हालांकि रूस पिछले कुछ दिनों से लगातार पश्चिमी देशों को देख लेने की धमकी दे रहा है। रूस का कहना है कि अमेरिका और उसके पिछलग्गू दोस्त मिलकर जंग की इस आग को और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। बेहतर होगा कि पश्चिमी देश और नाटो देश जंग की इस तपिश से दूर ही रहें नहीं तो उन्हें संभलने का भी मौका नहीं मिलेगा और उनका सब कुछ तबाह और बर्बाद हो जाएगा।
इस बीच रूस ने संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव को अपनी रजामंदी दे दी। असल में मारियूपोल में अभी भी कई यूक्रेनी नागरिक फंसे हुए हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने रूस से सहयोग करने की अपील की है। कहा गया है कि मारियूपोल से रेडक्रॉस और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां वहां फंसे हुए नागरिकों को निकालने की कोशिश करेंगी उन्हें रुसी सेना एक सेफ पैसेज मुहैया करवाए। रूस ने इस पर सैद्धांतिक सहमति जता भी दी है।
रूस के इस क़दम से संयुक्त राष्ट्र को अब ये भी उम्मीद बंधने लगी है कि हो न हो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दिल शायद कुछ मुलाक़ात से बदल जाए और वो जंग का ये रक्त पात रोक दें।