बलेनो कार 12 KM के दायरे में लड़की की लाश को सड़कों पर घसीटती रही, और पुलिस ग़ायब

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Delhi Crime: ग्रे रंग की एक बलेनो कार ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के साथ साथ राजधानी (Capital) में रहने वाले दो करोड़ से ज़्यादा लोगों की रातें काली कर दी हैं। असल में उस सलेटी रंग की कार (Car) ने न सिर्फ एक लड़की को रौंद डाला बल्कि दिल्ली पुलिस की इज्जत तक कुचल कर रख दिया।

जिस वक्त देश नए साल के जश्न में डूबा हुआ था ... हर तरफ बधाइयों की बहार थी...और जब लोग नए साल की खुशियों की हसरतों के साथ अपने गर्म बिस्तरों में जा चुके थे...ऐन उसी वक़्त सर्द रात में राजधानी दिल्ली की सड़क पर एक बेटी बेसुध पड़ी थी.... बिना कपड़ों के... बेजान शरीर।

- पुलिस का कहना है कि गाड़ी से घसीटे जाने की कॉल कंझावला पुलिस थाने में रात करीब 3 बजकर 24 मिनट पर मिली थी....
- कॉल में कहा गया था कि एक ग्रे कलर की बलेनो गाड़ी कुतुबगढ़ की तरफ जा रही है, और उसमें एक डेड बॉडी बंधी हुई है।

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-पुलिस का कहना यही है कि कॉल करने वाले से पुलिसवाले लगातार उसके मोबाइल पर संपर्क में बने हुए थे।

-कॉल करने वाले ने गाड़ी का नंबर DL8CA Y XXXX बताई गई थी।

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-पुलिस का दावा है कि इस कॉल के बाद रास्ते में आने वाले तमाम पुलिस पिकेट पर मौजूद पुलिसवालों को अलर्ट भेजा जा रहा था।

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-SHO सुल्तानपुरी को एक्सीडेंट की कॉल रात 3 बजकर 53 मिनट पर मिली.

-जबकि सुबह 4 बजकर 11 मिनट पर लाश के सड़क पर पड़े होने की कॉल मिली थी....

ये सब तो पुलिस की तहरीर की गवाही है...और उसी में कई सवाल छुपे हैं जो आने वाले वक़्त में पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।

Delhi Girl Dragged Case: बताया जा रहा है कि एक्सीडेंट रोहिणी ज़िले में सुल्तानपुरी पुलिस थाना इलाके में हुआ। और 3 बजकर 53 मिनट पर ही सुल्तानपुरी के SHO को पेट्रोलिंग के वक़्त लड़की की टूटी हुई स्कूटी मिली थी। और पुलिस अभी इस बात का पता लगाने की कोशिश ही कर रही थी तभी 4.11 बजे उसे एक कॉल मिली जिसमें लड़की की डेडबॉडी कंझावला थाना इलाके के जोन्ति गांव के पास पड़ी होने की खबर थी।

यानी कंझावला पुलिस थाना के जोन्ति गांव से लेकर सुल्तानपुरी के इलाके में हादसे की जगह के बीच की दूरी करीब 8 से 10 किलोमीटर की हो सकती है। यानी एक बात तो साफ है कि इतनी दूरी के दौरान पुलिस की कई चौंकियां तो आती ही हैं। लेकिन साथ ही साथ कई जगहों पर पुलिस पिकेट होती है...और कदम कदम पर पुलिस की पीसीआर के होने के दावे भी हैं।

बावजूद इसके रात में करीब एक घंटे तक ग्रे रंग की बलेनो कार बेधड़क होकर रास्ते के साथ साथ कार के निचले हिस्से में फंसी लड़की को रौंदती रही। यानी करीब सैकड़ों और हजारों नजरों के सामने से वो कार गुज़रती चली गई लेकिन एक भी पुलिसवाले की नज़र उस लाश पर नहीं पड़ी...आखिर क्यों...

Kanjhawala Girl Accident: ये बात काबिले गौर है कि दिल्ली पुलिस के पास करीब 84 हजार पुलिसवालों की फोर्स के बीच करीब 1000 पीसीआर वैन हैं...अगर ज़िले के स्तर पर पीसीआर वैन का बंटवारा किया जाता है तो एक ज़िले में क़रीब 80 वैन होती हैं। और ये पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है कि जिस इलाके में क्राइम का ग्राफ ऊपर होता है, वहां पीसीआर वैन की नियुक्ति ज़्यादा की जाती है।

ऐसे में एक सवाल तो उठना लाजमी है कि क्या जिस इलाके से वो लाश को लटकाती हुई कार गुजर रही थी वहां किसी भी पुलिसवाले की तैनाती नहीं था। या उस रास्ते में कोई भी पीसीआर वैन तैनात नहीं थी? क्या ये मुमकिन है जबकि जिस रात का ये वाक्या है वो कोई मामूली रात नहीं थी, बल्कि साल 2022 की वो आखिरी रात थी। यानी जिस रात दिल्ली और उसके आस पास के तमाम लोग जश्न मनाते हैं ऐसे में हुड़दंगियों पर लगाम कसने के लिए दिल्ली पुलिस खासतौर पर इंतजाम करती है ताकि कोई रंग में भंग डालने की हिमाकत न कर सके।

ऐसे में आधी रात के बाद रात करीब 2 बजे से 3 बजे के बीच क्या दिल्ली पुलिस की तमाम पीसीआर वैन की छुट्टी हो चुकी थी। तो फिर उस रात को इस हादसे को किसी पुलिसवाले ने कैसे नहीं देखा...या हादसे के बाद कार को यूं ही बेरोकटोक क्यों रास्तों पर भटकने दिया गया।

चश्मदीद यानी दूध का कारोबार करने वाला दीपक ने जब पुलिसवालों को फोन किया तो फिर उसे नज़रअंदाज क्यों नहीं किया गया।

जिस पीसीआर से चश्मदीद ने कार के पीछे जाने को कहा तो पीसीआर में मौजूद पुलिसवालों ने किसी भी तरह से काम करने से क्यों इनकार कर दिया।

क्या इस मामले में पुलिस की लापरवाही साफ साफ झलकती दिखाई नहीं पड़ती।

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