शॉपलिफ्टिंग क्या होता है? What is shoplifting?

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शॉपलिफ्टिंग क्या होता है?  What is shoplifting?
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शॉपलिफ्टिंग क्या होता है?  What is shoplifting?

शॉपलिफ्टिंग का अर्थ है शॉप से कोई सामान लिफ्ट करना या चोरी करना। चोरी की कई वारदातें होती है, लेकिन जो वारदातें दुकानों के अंदर होती है उसे शॉपलिफ्टिंग कहा जाता है।  इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 380 में पारिभाषित किया गया है।

 

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भारत में शॉपलिफ्टिंग की सजा और कानून जानें? Know the punishment and law of shoplifting in India?

शॉपलिफ्टिंग अर्थात कोई दुकान से सामान चोरी करने की सजा वही होती है, जो सजा घर के अंदर चोरी जैसे अपराध में होती है। चोरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 379 में पारिभाषित किया गया है। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति को सजा और दंड दोनों का प्रावधान है, लेकिन अगर घर या दुकान के अंदर चोरी होगी तो उसे आईपीसी की धारा 380 में पारिभाषित किया गया है।

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क्या सजा हो सकती है शॉपलिफ्टिंग (चोरी) जैसे अपराध में?  What can be the punishment for a crime like shoplifting (theft)?

जैसा हमने पहले बताया कि चोरी को आईपीसी की धारा 379 में पारिभाषित किया गया है। IPC की धारा 379 के मुताबिक,  जो भी व्यक्ति चोरी करता है उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। चोरी गैर-जमानती अपराध है। साथ साथ ये संज्ञेय अपराध भी है। यानी पुलिस सीधे इसमें अरेस्ट कर सकती है। इसके लिए किसी कोर्ट की परमिशन की जरूरत नहीं होती है। इसमें ये भी देखा जाता है कि चोरी कितने रुपए की की है?   लेकिन अगर चोरी दुकान के अंदर होगी तो धारा 380 के तहत मुकदमा दर्ज होगा।

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क्या शॉपलिफ्टिंग अपराध की श्रेणी में आता है ? Does shoplifting come under the category of crime?

इसका जवाब है हां। शॉपलिफ्टिंग बिल्कुल अपराध की कैटेगरी में आता है, क्योंकि किसी का सामान चोरी करना अपराध है। चाहे वो दुकान के अंदर से चोरी हो या फिर दुकान के बाहर। लेकिन अगर घर के अंदर चोरी होगी तो उस स्थिति में आईपीसी की धारा 380 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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चोरी की परिभाषा क्या है ? What is the definition of theft?

जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे से, उसकी सहमति के बिना, कोई सामान ले जाता है, तो उसे चोरी की श्रेणी में रखा जाता है। आईपीसी की धारा 379 में चोरी को पारिभाषित किया गया है। इसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। 

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