पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI क्या है ? What is PFI ? क्यों सरकार ने किया बैन ?
PFI क्या है ? पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। संगठन का दावा है कि वह पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक की आवाज उठाता है। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी।
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PFI क्या है ? What is PFI Organisation ?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। संगठन का दावा है कि वह पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक की आवाज उठाता है। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है। संगठन दावा करता है कि उसकी देश के 23 से ज्यादा राज्यों में इकाइयां है।
PFI की स्थापना किसने की थी और क्यों ? Who founded PFI and why?
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पीएफआई केरल से संचालित होने वाला एक कट्टर इस्लामिक संगठन है। पीएफआई की स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से निकलकर हुई है। 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक संगठन बना था।
एनआईए के मुताबिक, 92 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद केरल कट्टर इस्लामिक संगठनों की स्थली बन गई। इसी दौर में वहां नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बनी थी। 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में विलय हो गया।
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कौन है पीएफआई का चेयरमैन ? Who is the chairman of PFI?
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ओमा सलाम PFI का चेयरमैन है। उसक पूरा नाम मोहम्मद अब्दुल सलाम ओवनगल है। पीएफआई में उसे ओएमए सलाम या ओमा सलाम के नाम से जाना जाता है। सलाम केरल में बिजली विभाग का कर्मचारी था। दिसंबर 2020 में केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) ने संदिग्ध गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया था।
PFI पर क्या क्या आरोप लगे ? What were the allegations against PFI?
2006 से लेकर 2022 तक का PFI का सफर कैसा रहा ?
ISIS के लिए काम कर चुका है PFI : पीएफआई के बारे में कहा जाता है कि उसका केरल मॉड्यूल ISIS के लिए काम कर रहा था। वहां से इसके सदस्यों ने सीरिया और इराक में ISIS को जॉइन किया।
केरल और कर्नाटक में ज्यादा सक्रिय : संगठन का दावा है कि वह मुस्लिम और दलित हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ता है। कर्नाटक के स्थानीय निकाय चुनाव में संगठन चुनाव भी लड़ चुका है।
लव जिहाद में शामिल : 2017 में केरल पुलिस ने लव जिहाद के मामले सौंपे थे, जिसमें पीएफआई की भूमिका सामने आई थी।
आरएसएस नेता की हत्या में आया नाम : 2016 में कर्नाटक में आरएसएस नेता रूद्रेश की हत्या में भी पीएफआई का नाम आया था।
सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान संदिग्ध भूमिका : सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान यूपी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संगठन को पूरी तरह बैन करने की मांग की थी। पिछले साल असम ने भारत सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था।
किसान आंदोलन में संदिग्ध भूमिका : एजेंसियों को किसान आंदोलन के दौरान पीएफआई की संदिग्ध भूमिका का पता चला था।
हिजाब विवाद में भी रही भूमिका : कर्नाटक के स्कूलों में हुए हिजाब विवाद में भी इस संगठन का नाम सामने आया था।
अब NIA ने देश के 10 से ज्यादा राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की है और 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें PFI के कई बड़े नेताओं को भी गिरफ्तार किया है।
क्या मकसद है PFI का ? What is the purpose of PFI?
2017 में 'इंडिया टुडे' के स्टिंग ऑपरेशन में PFI के संस्थापक सदस्यों में से एक अहमद शरीफ ने कबूल किया था कि उनका मकसद भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना है।
कहां से आता है PFI को पैसा? Where does the money for PFI come from?
इस स्टिंग ऑपरेशन में शरीफ ने ये भी कबूल किया था कि उसे मिडिल ईस्ट देशों से 5 साल में 10 लाख रुपये की फंडिंग हुई है। PFI और सत्य सारणी को 10 लाख रुपये से ज्यादा की फंडिंग मिडिल ईस्ट देशों से हुई थी और ये पैसा उसे हवाला के जरिए आया था।
ED की जांच में भी हुआ था खुलासा
जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच के बाद दावा किया था कि 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के बीच PFI से जुड़े 10 अकाउंट्स में 1.04 करोड़ रुपये आए हैं। वहीं इसी दौरान PFI ने अपने खातों से 1.34 करोड़ रुपये निकाले भी थे।
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