Tunnel Collapse Rescue: चट्टानी हिम्मत और बुलंद हौसलों के आगे हार गया पहाड़, ऐसा रहा 17 दिन का पूरा सिलसिला

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Tunnel Collapse Rescue: चट्टानी हिम्मत और बुलंद हौसलों के आगे हार गया पहाड़, ऐसा रहा 17 दिन का पूरा...
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग के भीतर से 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए चूहों ने
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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी में 12 नवंबर से सिलक्यारा सुरंग में फंस गए 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए यूं तो 6 प्लान पर काम हो रहा था। लेकिन मजदूरों तक आखिर में पहुँचने में कामयाबी मिली 'रैटमाइनर्स' को। 
रैट माइनर्स () की टीम ने 800 एमएम के पाइप में घुसकर ड्रिल की, बेहद संकरे पाइप में बैठकर रैटमाइनर्स टीम ने घंटों तक मलबा निकाला और आखिरकार इनकी मेहनत रंग लाई। एक नजर डाल लेते हैं इन 17 दिनों के पूरे घटनाक्रम पर आखिर कब कब क्या क्या हुआ। 

17 दिन तक सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए दुनिया भर के एक्सपर्ट 6 अलग अलग प्लान पर काम करते रहे


- 12 नवंबर- सुबह 4 बजे मलबा गिरा, और 41 मजदूर फंस गए
- 13 नवंबर- 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी
- 14 नवंबर- टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई
- 15 नवंबर- रेस्क्यू ऑपरेशन में पीएमओ ने हस्क्षेप किया
- 16 नवंबर- 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ
- 17 नवंबर- दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई
- 18 नवंबर- दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की
- 19 नवंबर- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे
- 20 नवंबर- इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया
- 21 नवंबर- एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई
- 22 नवंबर- मजदूरों को नाश्ता, लंच और डिनर भेजने में सफलता मिली
- 23 नवंबर- अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन तीन बार रोकनी पड़ी
- 24 नवंबर- सुरंग में ऑगर मशीन टूट गई
- 25 नवंबर- सुरंग से ऑगर मशीन का मलबा निकालने का काम शुरु हुआ
- 26 नवंबर- मजदूरों को बाहर निकालने के लिए, वर्टिकल ड्रिलिंग शुरु हुई

- 27 नवंबर - मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनिंग का काम शुरू हुआ। मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने की ये आखिरी कोशिश कामयाब रही

इतना ही नहीं मजदूरों को सुरंग की कोख से बाहर निकालने के लिए एक दो नहीं पूरे छह प्लान बनाए गए थे। 

पहाड का सीना चारो तरफ से चीरा गया तब जाकर आखिर में रैट माइंनिग के जरिए मिली कामयाबी


प्लान -A
- ड्रिल करके 900 MM का पाइप पहुँचाना
- सुरंग के भीतर एक छोटी सुरंग बनाना
- सुरंग की छत को मजबूत करना
प्लान -B
- पहाड़ में ऊपर से ड्रिल करके सुराख करना
- मलबा काटकर अंदर जाने का रास्ता बनाना
प्लान -C
- सुरंग के दाएं हिस्से में ड्रिल करके सुराख बनाना
- ऊपर से नीचे की ओर सुरंग में ड्रिलिंग
प्लान -D
- सुरंग की बाईं ओर से सीधी ड्रिलिंग
- मलबे को काटकर पीछे एक रास्ता बनाना
प्लान -E
- सुरंग के मुहाने को खोलने में तेजी लाना
- सुरंग के पूरे 450 मीटर स्ट्रेच पर नजर रखना
प्लान -F
- माइक्रो-ड्रोन कैमरों की मदद
- पहाड़ की चोटी से आपूर्ति लाइन डालना


लेकिन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियों को इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.., जो पांच अलग-अलग योजनाओं पर काम करेंगी-

सुरंग से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पांच अलग अलग कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी


- तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)
- सतलुज जल विद्युत निगम (SGVNL)
- रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL)
- राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHICDL)
- टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (THCL)

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