आतंक की "काली गुफाओं" की ‘काली कहानी’ जान कर हैरान हो जाएंगे
आतंक की "काली गुफाओं" पर अब होगा प्रहार। नहीं बचेंगे एक भी आतंकी। ISI और आतंकियों की चाल होगी नाकाम!
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जितेंद्र बहादुर के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Jammu and Kashmir Terror Update : पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI और आर्मी जम्मू कश्मीर को दहलाने के लिए नित नई चाल चलते रहते हैं। इनकी चाल को हमेशा सुरक्षा एजेंसियां नाकाम करती हैं। सूत्रों ने हमारे सहयोगी चैनल आज़ तक को जानकारी दी है कि आतंकी संगठन पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसीय ISI की शह पर जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाकों के जंगलों की प्राकृतिक गुफाओं को अपने छिपने के लिए नए स्थान बना रहे हैं। आतंकी यहीं पर ड्रोन और ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद के जरिये स्मगल किये गए हथियारों को छिपाते हैं।
JAMMU AND KASHMIR CAVES : पीर पंजाल रेंज, जो जम्मू रीजन को घाटी से जोड़ता है, यहाँ पर ऐसी कई पुरानी और खतरनाक प्राकृतिक गुफाएं हैं, जिनका इस्तेमाल इस वक्त आतंकी छिपने के लिए कर रहे है। इन आतंकियों को चुपचाप ओवर ग्राउंड वर्कर, जो जंगली इलाकों के जानकार है, वो इनको खाना-पीना और दूसरी मदद पहुंचाते हैं। सुरक्षा बलों ने हाल ही में अनंतनाग के पहाड़ियों में आतंकियों के हाईड आउट और उनके छिपे होने की सूचना पर बड़ा ऑपरेशन किया। अब सुरक्षा बल इन प्राकृतिक गुफाओं में छिपे आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन करेगी, जहाँ से चुन-चुन कर आतंकियों को ढेर किया जाएगा। आपको बता दें कि पीर पंजाल पर्वतमाला की भौगोलिक स्थिति अफगानिस्तान के पहाड़ों की तरह ही है और इसलिए ही ये आतंकवादियों के छिपने के लिए उनकी सबसे पसंदीदा जगह है। इसके अलावा पीर पंजाल के जंगलों का इलाका भी आपस में जुड़ा हुआ है। इससे आतंकवादियों को बड़ी मदद मिलती है, वो एक जगह पर आतंकी हमले को अंजाम देते हैं और दूसरी जगह जाकर छिप जाते हैं।
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राजौरी के केसरी हिल्स में भी गुफाएं हैं
पाकिस्तान राजौरी और पूँछ के इलाके से सबसे ज्यादा आतंकी घुसपैठ और आतंकी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। इसके पीछे वजह ये है यहां के खतरनाक जंगल है। राजौरी के कोटरंका का केसरी हिल इलाका काफी खतरनाक है। भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो इस इलाके में कटीली झाड़ियां और बड़े-बड़े पत्थरों के बोल्डर मिल जाते हैं, जो आतंकियों के लिए बड़े ढाल का काम करते हैं। इसके साथ ही इस इलाके में 12 से अधिक प्राकृतिक गुफाएं भी हैं, जिनमें आतंकी बड़ी घटना को अंजाम देकर या फिर घुसपैठ करके छिप जाते हैं।
सुरक्षाबलों के सूत्रों की मानें तो केसरी हिल के इलाके में पिछले कुछ महीनों में आतंकियों की तरफ से 3-4 बड़ी वारदातें की जा चुकी हैं। इस साल की शुरुआत में आपको बता दें कि राजौरी के डोंगरी में हमला करने के बाद आतंकवादियों ने टारगेटेड किलिंग कर आम नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसी केसरी हिल के इलाके में पुंछ में सैन्य वाहन पर हमला कर और उसमें स्टिकी बम का इस्तेमाल कर आग लगा दिया था, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे। हाल ही में सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन त्रिनेत्र लांच किया था। इसी केसरी हिल के इलाके का फायदा उठा करके आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर आईईडी ब्लास्ट किया और उसके बाद सुरक्षाबलों को काफी नुकसान पहुंचा।
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10 रास्ते का इस्तेमाल करते हैं आतंकी घुसपैठ के लिए
1. दुधनियाल लॉंच पैड (POK) रुट से कैथनवाली फारेस्ट से होते हुए मगाम फारेस्ट से होते हुए कुपवाड़ा आतंकी भेजने का प्लान
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2.केल लॉन्च पैड रूट से होते हुए लोलाब घाटी से Kshama Krlapora से होते हुए कुपवाड़ा आतंकी पहुंचाने का प्लान।
3.नल्ली (POK) रुट से होते हुए मंजियोट के रास्ते दंडसेर फारेस्ट के जरिए कालाकोट से घुसपैठ का प्लान।
4.कोटकोतेरा(POK) रुट से होते हुए आतंकी बगला और कालाकोट पहुंचने की फ़िराक़ में।
5.निकैल (POK) रूट से राजौरी और पूँछ में घुसपैठ का प्लान घुसपैठ का रूट निकैल से बुधल मंजीकोट का रास्ता अपना सकते है आतंकी।
6.बताल गाँव (POK) के आतंकी रूट से आतंकी कस नाला होते हुये राजौरी में घुसपैठ की फिराक में है।
7. बोई (POK) के आतंकी रूट से आतंकी, सोन गली.. गुरसैंन, सुर्रन कोट होते हुए जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कर सकते हैं।
8.खुईरेरट्टा (POK) रूट से होते हुये आतंकी मोहरा गैप का इस्तेमाल करने की फ़िराक़ में हैं। यहाँ से आतंकी नौशेरा और सुंदरबनी में घुसपैठ की कोशिश में हैं।
9. आतंकी कश्मीर के शोपियां में घुसपैठ करने के लिए "हिल काका" के एरिया से pok से आने की कोशिश में है।
10. सूत्रों के मुताबिक आतंकी गुरेज़, माछिल, केरन सेक्टर और गुलमर्ग की तरफ आने के लिए "उस्ताद पोस्ट" के रूट का इस्तेमाल करने की कोशिश में है।
इस साल 40 आतंकी हुये हैं ढेर, जिसमें 30 पाकिस्तानी
ख़ुफ़िया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि इस साल जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में लगभग 40 आतंकी सुरक्षा बलों की गोली का निशाना बने हैं। इनमें से 30 विदेशी यानी पाकिस्तान से आये आतंकी हैं और बाकी स्थानीय आतंकी थे। इनमें से ज्यादातर आतंकियों को राजौरी और पुंछ इलाके के जंगलों में ढेर किया गया है, जहाँ भारी संख्या में प्राकृतिक गुफाएं हैं। यहाँ से भारी मात्रा के हथियार और गोला बारूद भी बरामद किए जा चुके हैं।
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