What is Human Trafficking: क्या है मानव तस्करी? इसमें कितनी है सज़ा?

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What is Human Trafficking: क्या है मानव तस्करी? इसमें कितनी है सज़ा?
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मानव तस्करी (Human Trafficking) है बड़ा अपराध

Human Trafficking: हैरानी की बात ये है कि ड्रग्स और हथियारों के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग (Human Trafficking) दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध (Crime) है। ताज्जुब की बात ये है कि 82% मानव तस्करी महिलाओं की जिस्मफ़रोशी (Flesh Trade) के लिए की जाती हैं। जबकि बच्चों की तस्करी उनसे भीख मंगवाने, होटलों, ढाबों और दुकानों में बाल मज़दूरी कराने के लिए की जाती है।

बच्चों की तस्करी (Child Trafficking)

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मानव तस्करी में शामिल ज्यादातर बच्चे बेहद ग़रीब और पिछड़े इलाकों के होते हैं जिन्हें पैसों का लालच देकर खरीद फरोख्त की जाती है। मानव तस्करी में सबसे ज़्यादा बच्चियां भारत के पूर्वी इलाकों के दूर दराज़ गांवों से आती हैं। इन बच्चियों की तस्करी में इलाके के लोकल एजेंट्स बड़ी भूमिका निभाते हैं जो कस्बों और गांवों के बेहद ग़रीब परिवारों की कम उम्र की बच्चियों पर नज़र रखकर उनके परिवार को शहर में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देते हैं और बच्चों की तस्करी को अंजाम देते हैं।

क्यों होती है बच्चियों की तस्करी (Girl Trafficking)

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ज्यादातर मामलों में ऐसे एजेंट बड़े शहरों में बच्चियों को घरेलू नौकर उपलब्ध करानेवाली संस्थाओं को बेच देते हैं जिसका बड़े शहरों में बाकायदा एक कारोबार चल रहा है। ग़रीब परिवार व गांव-कस्बों की लड़कियों को बहला-फुसलाकर, बड़े सपने दिखाकर विदेशों तक में बेचन के मामले सामने आए हैं। कई मामलों मे अच्छी नौकरी का झांसा देकर उन्हे देह व्यापार में झोंक दिया जाता है।

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क्या कहते हैं आंकड़े?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मानव तस्करी देश का दूसरा सबसे बड़ा अपराध है जो पिछले 10 सालों में 25 गुना बढ़ा गया है और वर्ष 2020 में 60% तक बढ़ोत्तरी हुई है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग का जाल देश के हर राज्य में फैला हुआ है।

इसमें कर्नाटक, आंध्र पर्देश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, पश्‍चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ज्यादा मामले सामने आते हैं। यूनाइटेड नेशंस (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ तमिलनाडु से युवा लड़कियों की तस्करी मुंबई व दिल्ली के रेड लाइट इलाक़ों में बड़े पैमाने पर होती है। वर्ष 2009 से लेकर 2014 के बीच ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में 92% बढ़ोत्तरी सामने आ चुकी है।

क्या है मानव तस्करी अधिनियम (Human Trafficking Laws in India)

भारत में मानव तस्करी मुख्यतया भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत एक अपराध है। संहिता कहती है कि तस्करी का अर्थ है, बलपूर्वक तरीकों से, शोषण के लिए (i) किसी व्यक्ति की भर्ती, (ii) उसका परिवहन, (iii) उसे रखना, (iv) उसे ट्रांसफर करना, या (v) उसकी प्राप्ति। इसके अतिरिक्त ऐसे कानून भी हैं जो विशिष्ट कारणों से की गई तस्करी को रेगुलेट करते हैं।

उदाहरण के लिए यौन उत्पीड़न के लिए मानव तस्करी के संबंध में अनैतिक तस्करी (निवारण) एक्ट, 1986 है। इसी प्रकार बंधुआ मजदूरी रेगुलेशन एक्ट, 1986 और बाल श्रम रेगुलेशन एक्ट, 1986 बंधुआ मजदूरी के लिए शोषण से संबंधित हैं।

इनमें से प्रत्येक कानून स्वतंत्र तरीके से काम करता है, उनकी अपनी प्रवर्तन प्रणाली है और ये कानून मानव तस्करी से संबंधित अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करते हैं। इम्मॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन एक्ट (आईटीपीए) के अनुसार अगर व्यापार के इरादे से ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है, तो 7 साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है. इसी तरह से बंधुआ मंज़दूरी से लेकर चाइल्ड लेबर तक के लिए विभिन्न क़ानून व सज़ा का प्रावधान है।

किसको कितनी सज़ा (Punishment)

एक व्यक्ति की तस्करी में 7-10 वर्ष का कारावास और जुर्माना, एक से अधिक व्यक्तियों की तस्करी में 10 वर्ष के कारावास से लेकर आजीवन कारावास, और जुर्माना, नाबालिग की तस्करी के लिए 10 वर्ष के कारावास से लेकर आजीवन कारावास, और जुर्माना, एक से अधिक नाबालिग व्यक्ति की तस्करी में आजीवन कारावास, और जुर्माना और तस्करी में शामिल लोकसेवक या सरकारी अधिकारी को आजीवन कारावास, और जुर्माना का प्रावधान भी है।

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