Operation 'लंगड़ा भेड़िया', 35 किमी के इलाके में 35 टीमें ढूंढ़ रहीं आदमखोरों का झुंड, इस वजह से फैला है इलाके में भेड़ियों का आतंक

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Operation 'लंगड़ा भेड़िया', 35 किमी के इलाके में 35 टीमें ढूंढ़ रहीं आदमखोरों का झुंड, इस वजह से फैला है इलाके में भेड़ियों का आतंक
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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35 किमी के दायरे में 35 गांवों में 35 टीमें तलाश रही हैं आदमखोर हो चुके भेड़ियों को

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अब तक चार भेड़ियों को वन विभाग ने फंसा लिया है अपने जाल में

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गांव वालों ने बताया दो दर्जन भेड़ियों का झुंड घूम रहा है पूरे इलाके में

Bahraich, UP : उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जंगल है दुधवा नेशनल पार्क। प्रोजेक्ट टाइगर का ये जंगल अपनी खूबसूरती और अपने जानवरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। करीब करीब 490 वर्ग किलोमीटर के लंबे चौड़े इलाके में फैला ये जंगल कई खतरनाक शिकारी जानवरों का घर भी है। इसी जंगल का एक हिस्सा है कतर्नियाघाट। उस घाट के आस पास के इलाके में अच्छी खासी बस्ती है। मगर इन दिनों उन्हीं बस्तियों में एक खौफ का साया मंडरा रहा है। उस खौफ का नाम है लंगड़ा भेड़िया। 

लंगड़े भेड़िये की फैली दहशत

वही लगड़ा भेड़िया जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला रखी है। दुधवा नेशनल पार्क की हद से जुड़ा हुआ है उत्तर प्रदेश का बहराइच का इलाका। उसी बहराइच जिले के 35 गांवों में भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है। अभी तक जो तस्वीरें सामने आईं थी, उसकी गवाही यही कहती है कि भेड़ियों के एक झुंड ने बीते 45 दिनों में करीब 30 लोगों को अपना शिकार बनाया जिनमें से 9 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दो दिन के ऑपरेशन में चार भेड़िये तो पकड़े जा चुके हैं लेकिन अब भी पूरे इलाके में भेड़ियों के झुंड का खौफ छाया हुआ है। ताजा वाकया ये है कि बहराइच के राजापुर कलां गांव में वही लंगड़ा भेड़िया एक बार फिर देखा गया, जबकि खौफ मचाने वाले इस भेड़िये के झुंड के चार भेड़िये वन विभाग के जाल में फंस भी चुके हैं। 

राइफल लेकर MLA उतरे मैदान में

आदमखोर भेड़िये के आतंक आलाम ऐसा है कि बहराइच के मेहसी के विधायक सुरेश्वर सिंह खुद अपनी लाइसेंसधारी राइफल लेकर मैदान में उतर आए हैं। विधायक और उनके समर्थक भी हथियारों के साथ गांवों में डेरा डाले हुए हैं। 

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आंगने में सो रहे बच्चों को बना रहे शिकार

भेड़िए का इस इलाके में शिकार करना इसलिए भी आसान है, क्योंकि ये इलाका बेहद गरीब है। यहां आमतौर पर घरों में दरवाजे तक नहीं हैं। यहां लोग आमतौर पर आंगन में सो रहे हैं और उनके साथ बच्चे भी सो रहे हैं. ये भेड़ियों का झुंड दबे पांव आकर घर के पास ही कहीं छिपकर बैठ जाते हैं और इंतजार करते हैं कि मां बच्चे के पास से हटे और ये शिकार करें। 

भेड़ियों के आतंक के पीछे है बाढ़

ये भेड़ियों की फितरत होती है कि अगर झुंड में अगर किसी एक को भी शिकार का आसान जरिया मिल जाए तो दूसरे सभी भेड़िए उसी तरीके पर चलने लगते हैं। बहराइच के 35 गांवों में फैले भेड़िये के इस आतंक के पीछे की यही कहानी लगती है। वन्य विभाग के मुताबिक वन इलाके में बाढ़ आई हुई है। जंगल के भीतर भेड़ियों को भोजन मिलने में मुश्किल हो रही है। इसलिए वो इंसानों की बस्ती की तरफ आ चुके हैं। भेड़िए जितने ताकतवर होते हैं उतने ही वो चालाक भी होते हैं। मौका और हालात देखकर ये लोग भी अपना पैंतरा बदल देते हैं। 

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चालाक शिकारी और तेज रफ्तार

आमतौर पर झुंड में रहने वाले भेड़िये के मुंह में 42 दांत होते हैं। भेड़िए का जबड़ा इतना मजबूत होता है कि वो अपने शिकार की हड्डी तक चबा जाने की ताकत रखता है। घरेलू पालतू कुत्ते की तरह ही भेड़िया 10 से 15 साल तक जिंदा रहता है लेकिन वो 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। इसके अलावा भेड़िया एक आला दर्जे के शिकारी होने के साथ साथ बेहतरीन तैराक भी होता है। जंगली भेड़ियों की सूंघने की क्षमता किसी जासूसी कुत्ते से भी कई गुना ज्यादा तेज होती है। कहा तो यहां तक जाता है कि भेड़िया अपने शिकार को 1.5 किमी दूर से सूंघ लेता है। 

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भेड़ियों का बड़ा झुंड

कुत्ते की प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर भेड़िया ही है। आमतौर पर एक भेड़िये को एक दिन में डेढ़ किलो से पौने दो किलो मांस खाने की जरूरत पड़ती है। मगर कई बार भेड़िया एक दिन में ही साढ़े चार किलो तक मांस खा जाता है। शिकारी जानवरों में भेड़िए को सामाजिक प्राणी माना जाता है क्योंकि वो अकेले रहना पसंद नहीं करते बल्कि झुंड में रहते हैं और एक झुंड में दो से लेकर 30 भेड़िये तक हो सकते हैं। 

शेर तक डरता है भेड़ियों के झुंड से

ऐसा कतई नहीं है कि एक जंगल में भेड़ियों का एक झुंड होता है या फिर एक ही झुंड में जंगल के सारे भेड़िये होते हैं। मगर ये जरूर देखा जाता है कि भेड़ियों का एक झुंड दरअसल उनका पूरा परिवार या कुनबा होता है। इस झुंड की कमान माता पिता भेड़िया के पास होती है। कई बार एक ही झुंड में दो से तीन पीढ़ियों के बच्चे होते हैं। लेकिन भेड़ियों के झुंड की सबसे खास बात ये होती है कि अगर झुंड के किसी भी सदस्य पर कोई जंगली जानवर या इंसान हमला कर दे तो ये भेड़िये मर मिटने को तैयार हो जाते हैं। भेड़ियों की इसी एकता की वजह से शेर और बाघ जैसे खूंखार और शातिर शिकारी भी भेड़िए का शिकार करने से बचते हैं। 

भेड़ियों का पूरा झुंड बन गया आदमखोर

बहराइच की चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर रेनू सिंह के मुताबिक आमतौर पर जंगल से वास्ता रखने वाले इंसानों का अक्सर भेड़ियों के साथ टकराव होता ही रहता है। लेकिन इस बार ये मामला कुछ ज्यादा ही खतरनाक हो गया। एक अंदाजा लगाया जा रहा है कि भेड़ियों का एक झुंड पूरी तरह से आदमखोर बन चुका है, इसीलिए वो लोगों पर लगातार हमले कर रहा है। आमतौर पर भेड़िए हमेशा झुंड में शिकार करते हैं, इसलिए वो बड़े से बड़े जानवर पर भी हमला करने से पीछे नहीं हटते। लेकिन यूपी के बहराइच की कहानी कुछ उल्टी नज़र आती है। यहां भेड़िया अकेले अटैक कर रहा है।

एक भेड़िया है लंगड़ा

सबसे खतरनाक बात जो अब तक सामने आई है कि वन विभाग की टीम को भेड़िए के जो पैर के निशान मिले हैं, उसके मुताबिक एक भेड़िया ठीक से चल नहीं पा रहा, यानी वो लंगड़ा कर चल रहा है, इसका मतलब साफ है कि उसके एक पैर में कोई दिक्कत है और इसीलिए वो जंगली जानवरों की बजाय घर के आंगन में सो रहे छोटे बच्चों को निशाना बना रहा है। 

मांओं की गोद से छीन रहे बच्चे

वन विभाग की 12 टीमें दिन रात ड्रोन कैमरों से भेड़ियों पर नजर रखने की कोशिश कर रही हैं। दावा है कि चार भेड़ियों को तो पकड़ लिया गया है। लेकिन झुंड के अपने साथियों को ना देखकर एक भेड़िया शायद बेहद खतरनाक हो चुका है। उस भेड़िये का एक पैर ठीक नहीं है। ऐसे में अब वो इस कदर खतरनाक हो चुका है कि माओं की गोद से बच्चों को खींचकर ले जा रहा है। 

चार भेड़िये पकड़े गए

आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए बहराइच के गांवों में 32 टीमें लगाई गई हैं। बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी में टीमों ने जाल बिछाया है। वन विभाग ने चार भेड़िये पकड़ लिए है और उनका अंदाजा है कि ये छह भेड़िये ही पूरे इलाके में दहशत फैला रहे हैं लेकिन उस इलाके के गांव वालों का कहना है कि हमला करने वाले भेड़ियों की ये गिनती दो दर्जन तक हो सकती है। यानी ये बात अभी तक साफ नही है कि असल में कितने भेड़िये इस झुंड में हैं और कितने भेड़िये इंसानी बस्तियों में घुसकर वहां शिकार तलाश रहे हैं। 

ड्रोन से निगरानी रात भर पहरा

अब तक की तफ्तीश से अंदाजा मिला है कि ये भेड़िए करीब 35 किलोमीटर के दायरे में घूम रहे हैं। इस वजह से ड्रोन से निगरानी करने की कोशिश की जा रही है। बड़े-बड़े अधिकारी मौके पर तैनात हैं। लगातार हमलों के बीच रात रात भर जागकर पहरा दिया जा रहा है। प्रशासन गांव गांव में घूमकर अपील करवा रहा है कि रात में लोग घरों से बाहर निकलें तो सावधान रहे और घर में बिजली ना हो तो छत पर सोएं। 

खूनी भेड़ियों की तलाश

भेड़ियों के आतंक में डूबे बहराइच के 35 गांवों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। वन विभाग की टीमें खेतों के बीच ड्रोन के जरिए भेड़ियों के निशान तलाश रही हैं। जाल के साथ जगह-जगह पिंजरा लगाया गया है। ड्रोन कैमरा, इंफ्रा रेड कैमरा, थर्मल इमेजिंग कैमरा का इस्तेमाल करके खूनी भेड़ियों की तलाश की जा रही है। 

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